24 अप्रैल 2023 को नगरीय निकाय के लिए चुनावी दौरे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक जनसभा आयोजित थी। उसमें उन्होंने नारा दिया, “नो कर्फ्यू, नो दंगा, यूपी में सब चंगा”। उनके संबोधन का यह हिस्सा खूब हिट रहा।
नगरीय निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री जहां भी गये स्थानीयता को जोड़ते हुए उन्होंने कानून व्यवस्था और विकास को ही केंद्र में रखा। मसलन कानपुर में कहा कि पहले यहां कट्टा बनता था, अब डिफेन्स कॉरिडोर में सेना के लिए अत्याधुनिक हथियार बनेंगे। गोरखपुर में माफिया के जमाने की गैंगवार की ओर इशारा किया तो हरदम की तरह आजमगढ़ में बताया किस तरह यहां के दुर्दांत अपराधियों की वजह से यहां के युवाओं के लिए देश में पहचान का संकट खड़ा हो गया।
आज नगर निकाय के नतीजों के जरिए शहरी और शहर बनने की ओर अग्रसर क्षेत्रों के करोड़ों लोगों ने इस बात की तस्दीक कर दी कि उनको योगी का सुशासन पसंद है। क्योंकि यह शहर के विकास की बुनियादी शर्तों में से एक है।
इस लिहाज से देखें तो दो चरणों में संपन्न इस चुनाव में योगी ने कुल 50 जनसभाएं और सम्मेलन किये। वह भी तब जब पिछले चुनाव में 16 नगर निगमों में से 14 पर भाजपा के मेयर जीते थे। बीच में अगर तीन दिन कर्नाटक के चुनाव में व्यस्तता नहीं होती तो इनकी संख्या और अधिक होती। इसकी तुलना विपक्ष से करेंगे तो यही लगेगा कि उसने अपनी हार सुनिश्चित मानकर पहले ही भाजपा को वाकओवर दे दिया था।
कांग्रेस तो कर्नाटक के चुनावों में ही व्यस्त रही। उनका कोई बड़ा नेता यहां मैदान में उतरा ही नहीं। बसपा ने उम्मीदवारों से समन्वय की पूरी जिम्मेदारी स्थानीय नेताओं पर छोड़ दी थी। सपा के मुखिया अखिलेश यादव निकले जरूर पर योगी के मुकाबले यह चुनाव प्रचार कम रस्मअदायगी अधिक थी। कुल मिलाकर वह प्रचार के बाबत महज 7 नगर निगमों गोरखपुर, गाजियाबाद, लखनऊ, सहारनपुर, कानपुर अलीगढ़ एवं मेरठ में गये। शहरी निकायों में उनका दौरा कन्नौज और औरैया तक ही सीमित रहा। नतीजन भाजपा ने नगर निगमों के प्रतिष्ठा परक चुनावों में क्लीन स्विप किया। सब (17) पर भाजपा के मेयर पद के उम्मीदवारों की जीत हुई।
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