झारखंड में एक बार फिर से डायन बिसाही के नाम पर एक वृद्ध दंपत्ति की हत्या कर दी गई। यह मामला गुमला जिले के बिशुनपुर थाना क्षेत्र का है। हत्या करने वाले इंद्रजीत उरांव ने हत्या के बाद खुद थाने पहुंचकर आत्मसमर्पण कर दिया।
बताया जा रहा है कि गुमला जिले के रिसापाठ गांव के रहने वाले इंद्रजीत उरांव को 9 मई की रात में एक सपना आया। सपने में इंद्रजीत ने देखा कि उसके दादा-दादी उसके साथ गाली गलौज, जादू टोना और उसकी मां को मारना चाह रहे हैं। इसके बाद उसने दादा दादी की हत्या की योजना बनाई। अगले दिन यानी 10 मई को इंद्रजीत खेत में गया जहां उसके दादा कुछ काम कर रहे थे। वहां उसने लाठियों से पीट-पीट कर 55 वर्षीय दादा तुरी उरांव की हत्या कर दी। उसकी 50 वर्षीय दादी नयहरी देवी ने इंद्रजीत को रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह रुका नहीं। दादी को लगा कि अब इंद्रजीत उसकी भी हत्या कर देगा तो वह अपने घर की ओर भागी। इंद्रजीत भी उनके पीछे पीछे भागकर घर आया और दादी पर हमला कर दिया। उसने तब तक दादी को मारा जब तक कि उसकी मौत नहीं हो गई। इसके बाद इंद्रजीत ने बिशुनपुर थाना जाकर आत्मसमर्पण कर दिया और सारी घटना पुलिस वालों को बताई। पुलिस ने इंद्रजीत को गिरफ्तार कर दोनों शवों को अपने कब्जे में ले लिया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
इस मामले में पुलिस का कहना है कि मामला जमीन विवाद और अंधविश्वास से जुड़ा हो सकता है। इस पर गहनता से जांच की जा रही है।
यह तो रही गुमला की बात। अभी कुछ दिन पहले ही 2 मई की रात लातेहार जिले के चंदवा थाना क्षेत्र की लाधुप पंचायत में भी एक वृद्ध दंपत्ति को ग्रामीणों द्वारा लाठियों से मारकर उसकी हत्या कर दी गई थी। ग्रामीणों ने इस दंपत्ति पर भी जादू टोना करने का आरोप लगाया था।
आपको बता दें कि झारखंड में डायन बिसाही के नाम पर हर वर्ष औसतन 35 हत्या हो जाती है जिसमें ज्यादातर संख्या महिलाओं की होती है। हत्या करने वालों में अधिकतर आस-पड़ोस के लोग होते हैं या फिर परिवार के लोग शामिल होते हैं।
इन दोनों मामले में आश्चर्यजनक रूप से एक समानता देखने को मिली, जहां गुमला और लातेहार जिले के दोनों गांव नक्सल प्रभावित हैं। यहां पर भी इस बात का अंदेशा लगाया जा सकता है कि दोनों हत्याएं या तो अंधविश्वास की वजह से की गई या फिर जमीन विवाद की वजह से।
ऐसी हत्याओं में यह देखने को मिल रहा है कि किसी परिवार के अंदर अगर जमीन को लेकर विवाद चल रहा है या फिर कोई और पारिवारिक झगड़े चल रहे हैं तो ऐसे मामले में मजबूत पक्ष कमजोर पक्ष पर डायन बिसाही का आरोप लगाकर उसकी हत्या कर देता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि सरकार की ओर से पिछले कई वर्षों से डायन बिसाही के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।अगर इस अभियान को सफल कहा जाए तो पुलिसिया व्यवस्था पर भी सवाल उठना स्वाभाविक है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
टिप्पणियाँ