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लव जिहाद आतंकवाद ही है, केरल स्टोरी इसकी ही कहानी है जो हर देश के लिए घातक है

क्या निमिषा फातिमा जैसी लड़कियां जो आईएसआईएस के जाल में फंसी, क्या वह लव जिहाद है या फिर यह आतंकवाद का वह प्रकार है, जिस पर ध्यान ही नहीं गया है?

by सोनाली मिश्रा
May 9, 2023, 08:42 pm IST
in विश्लेषण, लव जिहाद
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केरल स्टोरी को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार इस फिल्म पर प्रहार हो रहे हैं, और वहीं आम जन मानस में यह फिल्म कमाल करती जा रही है। यह वह विषय है, जिस विषय पर अभी तक दबे रूप में तो बात हुई थी, मगर इस प्रकार उचित डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन नहीं हुआ था। लव जिहाद के दायरे में आने वाले मामले क्या मात्र लव जिहाद के ही हैं? क्या निमिषा फातिमा जैसी लड़कियां जो आईएसआईएस के जाल में फंसी, क्या वह लव जिहाद है या फिर यह आतंकवाद का वह प्रकार है, जिस पर ध्यान ही नहीं गया है?

क्या वह युवा जो आईएसआईएस के साथ जुड़ते हैं, वह आतंकवाद के शिकार नहीं है? जो भी राज्य इस फिल्म पर प्रतिबन्ध लगा रहे हैं, क्या वह उन युवाओं की पीड़ा को और उस सत्य को सामने नहीं आने देना चाहते हैं, जो दरअसल उन युवाओं के लिए ही जानना आवश्यक है? तमिलनाडु मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन द्वारा केरल स्टोरी को न दिखाए जाने के निर्णय के बाद अब बंगाल ने इस फिल्म को दिखाए जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह निर्णय उन्होंने राज्य को हिंसा से बचाने के लिए लिया है!

आईएसआईएस के प्रति भटके युवाओं का नाता भारत के किसी हिंदूवादी समूह ने नहीं बल्कि आईइसआईएस की पत्रिका वॉइस ऑफ खुरासान ने ही वर्ष 2022 में बताया था कि भारत की ओर से आईएसआईएस का जो सुसाइड बॉम्बर था, वह अबूबकर था और वह ईसाई मत से इस्लाम में मतांतरित हुआ था।

यह भी कहा गया था कि अबूबकर जब यूएई में था, तब वह इस्लाम की ओर आकर्षित हुआ था और उसके बाद वह जिहाद की ओर आकर्षित हुआ एवं आईएसआईएस की दुबई में स्लीपर सेल के लिए काम करने लगा। उसके बाद वह केरल वापस चला गया और फिर कुछ दिनों के बाद वह काम के बहाने से लीबिया चला गया था। और फिर लीबियाई सेना के साथ संघर्ष करते हुए वह आत्मघाती हमलावर बन गया था और उसने खुद को उड़ा लिया था।

स्रोत- https://www.newindianexpress.com/states/kerala/2022/aug/22/kerala-engineer-resurfacesin-is-propaganda-magazine-probe-on-2489957.html

क्या यह आतंकवाद नहीं है? क्या घटनाएं मात्र लव जिहाद तक सीमित हैं या फिर कहा जाए कि लव जिहाद दरअसल कुछ नहीं है, वह आतंकवाद का ही एक और रूप है।

इसके साथ ही वर्ष 2016 में न्यूइंडियन एक्सप्रेस में एक खबर प्रकाशित हुई थी, और वह केरल के विषय में ही थी कि कई मतांतरित होते हैं मगर वह जाते कहाँ हैं, इसका पता नहीं चल सका है!

इसमें मूनाथुल इस्लाम सभा, जो इस्लाम में मतांतरण के लिए आधिकारिक केंद्र है, उसके हवाले से आंकड़े प्रस्तुत किए गए थे कि 600 से अधिक लोग प्रतिवर्ष इस्लाम अपनाकर उनके केंद्र से निकलते हैं, मगर उसके बाद क्या होता है, उनमें से अधिकतर का नहीं पता चलता। यहाँ तक कि पुलिस के पास भी यह सूचना नहीं होती है। इसमें केंद्र के हवाले से लिखा था कि 20 से 30 वर्ष की महिलाओं की संख्या अधिक होती है, जो शादी के लिए इस्लाम अपनाती हैं।

इससे भी पहले यदि आंकड़ों की तलाश में जाते हैं तो यह पाते हैं कि वर्ष 2009 में केरल उच्च न्यायालय ने सरकार से कहा था कि वह लव जिहाद को रोकने के लिए क़ानून बनाएं। केरल उच्च न्यायालय के जस्टिस के टी शंकरण ने यह अवलोकन दो ऐसे लोगों की अंतरिम जमानत को खारिज करते हुए दिया था जिन पर लव जिहाद की घटनाओं को करने का आरोप था।

न्यायालय ने ही यह कहा था कि पिछले चार वर्षों में 3000 से 4,000 धार्मिक मतांतरण हुए थे और यह प्रेम प्रसंगों के मामले को लेकर हुए थे।

यहाँ तक कि वर्ष 2011 में अमेरिकी डिप्लोमैटस ने भी ईसाई महिलाओं के इस्लाम में मतांतरित होने को लेकर चिंता व्यक्त की थी। चेन्नई से अपनी रिपोर्ट में यह लिखा था कि हिन्दू और ईसाई दोनों ही धार्मिक समूहों ने यह चिंता व्यक्त की है कि उनकी बेटियों को निशाना बनाया जा रहा है।

जहां एक तरफ 32,000 के आंकड़ों को लेकर हंगामा मचाया गया तो वहीं दूसरी ओर आरफा खानम जैसी कथित पत्रकार उन तमाम बातों को झुठलाकर यह लिख रही हैं कि कश्मीर फाइल्स एवं केरल स्टोरी केवल सरकार द्वारा किया गया प्रोपोगैंडा है और कहा कि लव जिहाद एक झूठ है।

आरफा की बात से आधा सहमत हुआ जा सकता है कि लव जिहाद एक झूठ है, क्योंकि यह तो वैश्विक आतंकवाद है। जिसमें लड़कियों को आतंकियों के प्रति रोमांटिसाइज़ किया जाता है। यह पूरी दुनिया के आंकड़े कहते हैं। और कश्मीर फाइल्स एवं अब केरल स्टोरी ने आरफा जैसी एजेंडा फैलाने वालों की वास्तविकता को सामने ला दिया है, इसलिए यह बौखलाहट अपने चरम पर है।

Kashmir Files and Kerala story are based on facts and therefore are not propaganda.

But your claim that they are propaganda is vicious propaganda.#KeralaStory #KashmirFiles https://t.co/E2FrqYttNw

— Maria Wirth (@mariawirth1) May 8, 2023

प्रश्न यह भी है कि आखिर जब 32000 के आंकड़ों पर शोर मचाकर इसे झूठा साबित करने का असफल प्रयास किया जा रहा है तो उसी समय उन तमाम आंकड़ों पर बात क्यों नहीं की जा रही है जो चीख चीखकर इसे आतंकवाद का ही एक रूप प्रमाणित कर रहे हैं।

यह आतंकवाद का ही एक प्रकार है, जिसमें युवाओं को उनके धार्मिक विश्वासों से दूर करके एक ऐसे मार्ग पर धकेल दिया जाता है जहां पर अँधेरे के अतिरिक्त कुछ नहीं है। और जैसा कि न्यायालय ने भी यह स्पष्ट किया है कि यह किसी मजहब के विरोध में नहीं बल्कि आईएसआईएस के विरोध में बनी हुई फिल्म है, तो ऐसे में आंकड़ों को झुठलाकर आतंकवाद के इस बेहद चिरपरिचित परन्तु चर्चा रहित स्वरुप पर बात करने से इंकार क्यों किया जा रहा है?

मार्च में ही एनआईए द्वारा पीएफआई के विरुद्ध दायर की गयी चार्जशीट में यह देखा जा सकता है कि कैसे पीएफआई का मोड्यूल है जो मतांतरण को लेकर कार्य करता है। अब प्रश्न यह भी उठता है कि क्या यह कथित पत्रकार भारत के उन तमाम युवाओं के शत्रु क्यों बने हुए हैं, जिन्हें आतंक के उद्देश्य से मतांतरित करा लिया जाता है?

वर्ष 2016 में ही यह समाचार सामने आया था कि केरल में हर वर्ष गुमशुदा बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। हमने अपने पिछले लेख में भी बताया था कि केरल पुलिस के आंकड़े भी गुमशुदा मामलों के विषय में क्या कहते हैं।

यहाँ तक कि वर्ष 2022 में अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष जॉर्ज कुरियन ने भी अमित शाह से अनुरोध किया था कि वह उन तमाम मामलों में एनआईए द्वारा जांच कराएं जहां पर ईसाइयों को जबरन इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा मतांतरित करवाया जा रहा है।

इंडिया टुडे के अनुसार 23 सितम्बर को भेजे गए पत्र में जॉर्ज कुरियन ने लिखा था कि आतंकी गतिविधियों के लिए लव जिहाद के माध्यम से ईसाई लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है और ईसाई समुदाय इस्लामी कट्टरपंथियों के लिए एक आसान शिकार है।

उन्होंने इस तथ्य की ओर भी ध्यानाकर्षित किया था कि केरल से जिन 21 लोगों ने आईएसआईएस ज्वाइन किया है उनमें से पांच ऐसे थे, जो ईसाई मत से मतांतरित होकर मुस्लिम बने थे।

वर्ष 2022 में ही गार्डियन ने यह लिखा था कि आतंकी समूह इंजीनियर आतंकियों की नियुक्ति कर रहे हैं। इसी रिपोर्ट में था कि संयुक्त राष्ट्र ने अपनी वर्ष 2020 की अंतरिम रिपोर्ट में यह चेतावनी दी है कि भारत के केरल राज्य में पर्याप्त संख्या में आईएसआईएस के आतंकी हैं और आईएसआईएल की भारतीय शाखा, जिसकी घोषणा 10 मई 2019 को हिंदी विलायाह के नाम से की गयी थी, उसमें 200 के लगभग सदस्य हैं और कर्नाटक से भी आतंकी समूह में लोग शामिल हो रहे हैं।

स्त्रोत – https://sundayguardianlive.com/news/terror-groups-recruiting-engineer-terrorists

यह भी लिखा था कि 27 मार्च 2020 को एनआईए ने कहा था कि केरल के कासरगोड जिले से एक इंजीनियरिंग छात्र मुहम्मद मुशिन, अल हिन्दी के रूप में आईएसआईएस में शामिल हुआ था। हालांकि खुफिया सूत्रों के अनुसार मुशिन अफगानिस्तान के खोरासान प्रांत में एक ड्रोन हमले में मारा गया था। और फिर उस समय पता चला था कि वह केरल के मल्लापुरम जिले से था।

इस लेख में उन तमाम युवाओं के नाम थे, जो इस आतंकी समूहों में शामिल हो रहे थे और उस जहर का शिकार हो रहे थे, जो उन्हें कट्टरता के माध्यम से दिया जा रहा था।

आंकड़े और घटनाएं चीख चीखकर यह प्रमाण दे रही हैं कि यह आतंकवाद का ही एक रूप है, परन्तु फिर भी एक बहुत बड़ा वर्ग मीडिया का भी है जो इस फिल्म को प्रोपोगैंडा बता रहा है, जैसे कश्मीर फाइल्स के आंकड़े झुठलाए थे वैसे ही वह लोग अब केरल स्टोरी के आंकड़े झुठला रहे हैं।

दरअसल वह आंकड़े नहीं झुठला रहे हैं, वह उन तमाम परिवारों की पीड़ाओं पर नमक बुरक रहे हैं, जिनकी बेटियाँ या बेटे इस आतंकवाद का शिकार हो गए हैं। प्रश्न केरल स्टोरी को प्रोपोगैंडा बताने वालों से यह भी है कि वह इन युवाओं की पीड़ा के साथ क्यों नहीं है?

Topics: National Newsराष्ट्रीय समाचार# केरल स्टोरी# Kerala Storyलव जिहाद आतंकवाद ही हैलव जिहाद आतंकवादकेरल में लव जिहादlove jihad is terrorismlove jihad terrorismlove jihad in kerala
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