भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अभी हाल में खाड़ी देशों के दौरे पर थे और वहां उन्होंने अमेरिका, सऊदी अरब और यूएई के साथ मिलकर एक ऐसी योजना तैयार की है कि चीन बगलें झांकने को मजबूर हो गया है। उक्त तीनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ डोवल ने खाड़ी तथा अरब देशों में रेलवे संजाल विकसित करने को लेकर एक महत्वपूर्ण वार्ता में भाग लिया।
ताजा जानकारी के अनुसार, भारत के एनएसए अजीत डोवल ने दो दिन पूर्व, रविवार को सऊदी अरब, अमेरिका तथा संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों से भेंट की। इस दौरान पश्चिमी एशिया के देशों में भारतीय विशेषज्ञता का डंका बजाते हुए उन्हें रेल संजाल के माध्यम से आपस में जोड़ने तथा इलाके को समुद्री गलियारे के जरिए दक्षिण एशिया तक संपर्क बनाने के बारे में डोवल ने एक महत्वाकांक्षी प्रस्ताव पर चर्चा की। बताया गया है कि उक्त प्रस्ताव को तैयार करने में अमेरिका की बड़ी भूमिका है।
इस संबंध में नई दिल्ली के अधिकारियों का कहना है कि डोवल इस विशेष वार्ता के लिए सऊदी अरब गए थे। उम्मीद के अनुसार उनकी वहां दक्षिण एशिया में भारतीय उपमहाद्वीप को पश्चिम एशिया के साथ रेल, समुद्र और सड़क संपर्क बनाने के लिए विस्तृत पैमाने पर उक्त देशों की एक संयुक्त परियोजना पर विशद चर्चा हुई।
नई दिल्ली जिसे ‘मिशन क्रीप’ योजना के तौर पर जानती है वह और कुछ नहीं, बीजिंग की पश्चिमी एशियाई देशों में अपना राजनीतिक रसूख बढ़ाने की कवायद ही है। चीन ने पिछले दिनों वहां सऊदी अरब तथा ईरान के बीच राजनयिक संबंध बहाल कराने में कथित खास भूमिका निभाई थी। भारत की दृष्टि से चीन पश्चिम एशिया में उसके हितों को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाला है।
उल्लेखनीय है कि यह परियोजना इतनी महत्वपूर्ण है कि सबसे पहले अमेरिका की न्यूज वेबसाइट एक्सियोस ने इसकी जानकारी जारी की। कहा गया कि यह उन कुछ खास पहलों में से एक है जो व्हाइट हाउस की मध्य पूर्व योजना को लेकर चल रही हैं। स्पष्ट कहा जा रहा है यह परियोजना दरअसल इस इलाके में चीन के दबदबा बढ़ाने की कोशिशों को ध्वस्त करने वाली है। ध्यान रहे कि मध्य पूर्व में चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना बड़े आक्रामक तरीके से चलने के आसार हैं।
अमेरिकी पोर्टल एक्सियोस का कहना है कि अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई तथा भारत के एनएसए में इस योजना को लेकर सहमति बनी है। अब वह दिन दूर नहीं लगता जब खाड़ी और अरब देशों में भारतीय रेलवे की दक्षता का सदुपयोग होगा और एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा खड़ा होगा। माना जा रहा है कि भारत मध्य पूर्व के बंदरगाहों से नौवहन मार्गों के जरिए संपर्क में अना रहेगा। सूत्रों के अनुसार, भारत स्वयं इस परियोजना में हिस्सेदारी को बहुत महत्व दे रहा है। इसकी वजह यह है कि इस काम से भारत के तीन रणनीतिक उद्देश्य पूरे होंगे।
नई दिल्ली जिसे ‘मिशन क्रीप’ योजना के तौर पर जानती है वह और कुछ नहीं, बीजिंग की पश्चिमी एशियाई देशों में अपना राजनीतिक रसूख बढ़ाने की कवायद ही है। चीन ने पिछले दिनों वहां सऊदी अरब तथा ईरान के बीच राजनयिक संबंध बहाल कराने में कथित खास भूमिका निभाई थी। भारत की दृष्टि से चीन पश्चिम एशिया में उसके हितों को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाला है। लेकिन अब नई रेल और समुद्र परियोजनाओं से भारत का मध्य पूर्व से जुड़ाव बढ़ने पर कच्चे तेल को और सुगमता से लाया जा सकेगा जिससे भारत को खर्च कम आएगा। कहा यह भी जा रहा है कि इस निकट जुड़ाव से मध्य पूर्व के देशों में बसे करीब 80 लाख मूलत: भारतीयों को भी संबल मिलेगा जो खाड़ी में काम—काज कर रहे हैं।
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