लातेहार के हेसला गांव में अयोजित पंचायत ने डायन बताकर पति पत्नी को पीटने का निर्णय सुनाया और गांव वालों ने उन्हें तब तक पीटा जब तक उनकी मौत नहीं हो गई।
झारखंड में अंधविश्वास ने वृद्ध दंपति की जान ले ली और प्रशासनिक लापरवाही से वृद्ध दंपति की हत्या में शामिल एक व्यक्ति की जान चली गई।
मामला लातेहार जिले का है। बता दें कि यहां पर डायन बिसाही के आरोप में 2 मई की रात में एक वृद्ध दंपत्ति की हत्या ग्रामीणों ने पीट पीट कर दी थी। उन पर आरोप लगाया गया कि ये दोनों लोगों पर जादू टोना करते हैं। इसे लेकर चंदवा थाना क्षेत्र के नक्सल प्रभावित क्षेत्र लाधुप पंचायत के हेसला गांव में एक बैठक रखी गई थी। पंचायत ने पति-पत्नी को लाठी से पीटने की सजा दी। इस दौरान वृद्ध दंपत्ति अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को नकारते रहे लेकिन ग्रामीणों ने उनकी एक भी नहीं सुनी और उन्हें वे लाठी से तब तक पीटते रहे जब तक उनकी मौत नहीं हो गई।
इस पूरे घटना में अपनी जान बचा कर भागने वाली वृद्ध दंपत्ति की पुत्रवधू के बयान पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इसके बाद पुलिस ने गांव के लगभग 25 लोगों को 3 मई को गिरफ्तार कर लातेहार जेल भेज दिया।
इधर गिरफ्तार लोगों में सैन्धु मुंडा नाम के एक व्यक्ति की लातेहार मंडल कारा में मौत हो गई। इसके बाद मामला और बिगड़ गया। सैन्धु के परिवार वालों ने पुलिस पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए उन पर कार्रवाई की मांग की है। मृतक के परिजन इस बात पर अड़ गए कि जब तक इस मामले की प्राथमिकी दर्ज नहीं होती तब तक मृतक का अंतिम संस्कार नहीं कराया जाएगा। मृतक के भाई इलिश मुंडा ने जेल पदाधिकारियों और सिपाहियों पर हत्या का आरोप लगाते हुए बताया कि वह 5 मई को सैन्धु से मिला था। उस वक्त वह पूरी तरह से ठीक था। लेकिन अगले दिन 6 मई को पुलिस ने दोपहर में सूचना दी कि सैन्धु की मौत हो गई। इसके बाद जैसे ही लातेहार सदर अस्पताल पहुंचे तो वहां देखा कि मृतक के शरीर पर कई जगह चोट के निशान हैं। इलिश मुंडा का आरोप है कि यह मौत पुलिस की पिटाई से ही हुई है।
इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए आनन-फानन में जेल अधीक्षक मेनशन बरवा के आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज की गई । इस प्राथमिकी में प्रभारी कक्षपाल शंकर मुंडा, चंद्रशेखर सिंह, दीप नारायण विश्वकर्मा, प्रदीप प्रजापति और मनोहर बारला को शामिल किया गया है।
इसे लेकर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से हिरासत में हुई मौत की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि फोटो में साफ दिख रहा कि मृतक के शरीर पर चोट के निशान हैं। साफ है कि जेल में आरोपित की पिटाई की गई है। इस कारण उसकी मौत हुई है।
पुलिस के अनुसार घटना के अगले दिन यानी 3 मई से आरोपित मंडल कारा में बंद था। 6 मई को अचानक उसकी तबियत खराब हो गई जिसके बाद कर्मचारी उसे इलाज के लिए लातेहार सदर अस्पताल लेकर पहुंचे थे जहां उसकी मौत हो गई। चिकित्सकों के अनुसार आरोपित की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है।
अब देखना यह है कि पुलिस ने हिरासत में हुई मौत की प्राथमिकी तो दर्ज कर ली है, लेकिन इस पूरे मामले की जांच निष्पक्ष हो पाती भी है या नहीं। हालांकि एक बात साफ है कि झारखंड में मौत का सिलसिला जारी है, फिर वो मौत अंधविश्वास की वजह से हो या फिर हिरासत में रहने वाले कैदियों की।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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