उड़ीसा राज्य में पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। माना जाता है कि द्वापर के बाद भगवान श्री कृष्ण पुरी में बस गए थे, और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं और रहस्य हैं।
इस मंदिर में लाखों की सख्यां में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ओडिशा के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़े कई ऐसे रहस्य हैं, जिन्हें जानकर आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे। तो चलिए जगन्नाथ पुरी मंदिर के इन चमत्कारी रहस्यों के बारे में आपको बतातें हैं।
मान्यता है कि जब भगवान श्री कृष्ण ने अपना देह त्यागा था, तब उनका अंतिम संस्कार किया गया था। इस दौरान उनका बाकी शरीर तो पंच तत्वों में विलीन हो गया था, लेकिन उनका दिल सामान्य और जीवित रहा था, कहा जाता है कि उनका दिल आज भी सुरक्षित है, जो पुरी के भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर आज भी धड़कता है।
बतादें, पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा की काठ (लकड़ी) की मूर्तियां विराजमान हैं। जिन्हें हर 12 साल बाद बदला जाता है, और जब इन मूर्तियों को बदला जाता है तब पूरे शहर की बिजली को बंद कर दिया जाता है, इस दौरान मंदिर के आस पास पूरी तरह अंधेरा होता है। इसी के साथ मंदिर की सुरक्षा में सीआरपीएफ के जवान तैनात किए जाते हैं। इस दौरान मंदिर में किसी का भी प्रवेश वर्जित होता है। मंदिर में इन मूर्तियों बदलने के लिए सिर्फ एक पुजारी को प्रवेश की अनुमति होती है। पुजारी को हाथ में दस्ताने पहनने होते हैं, साथ ही आंखों पर पट्टी भी बांधी जाती है, जिससे पुजारी मूर्तियों को बदलते समय अपनी आंखों से नहीं देख सके। आश्चर्य की बात तो ये है, कि मंदिर में पूरी तरह से अंधेरा होने के बाद भी पुजारी की आंखों पर पट्टी बांधी जाती है, जिससे मूर्तियों के बदलने की प्रक्रिया को किसी भी तरह न देखा जाए।
भगवान श्रीकृष्ण का हृदय है ब्रह्म पदार्थ
माना जाता है, कि जब पुरानी मूर्ति से नई मूर्ति बदली जाती है, तब पुरानी मूर्ति से एक चीज निकाली जाती है, जिसे ब्रह्म पदार्थ कहते हैं, इस ब्रह्म पदार्थ को पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में रख दिया जाता है। मान्यता है कि यह ब्रह्म पदार्थ भगवान श्रीकृष्ण का हृदय है, और अगर किसी ने इसे देख लिया तो उसकी मृत्यु निश्चित है।
साउंड प्रूफ है मंदिर का आर्किटेक्चर
जगन्नाथ पुरी मंदिर का आर्किटेक्चर बेहद सुंदर है, इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है, कि मंदिर समुद्र के किनारे होने की वजह से लहरों की आवाज लगातार आती रहती है, लेकिन जैसे ही मंदिर के सिंहद्वार में आप प्रवेश कर लेते हैं, वैसे ही लहरों की आवाज सुनाई देना बंद हो जाती है।
कहीं से भी देखने पर मंदिर पर लगा सुदर्शन चक्र सीधा ही दिखता है
इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है, कि मंदिर के ऊपर एक सुदर्शन चक्र लगा है, जिसे कहीं से भी देखने पर वो हमेशा सीधा ही दिखाई देता है। यानि आप कहीं से भी खड़े होकर देखेंगे, तो ऐसा लगेगा कि सुदर्शन चक्र का मुंह आपकी ही तरफ है।
मंदिर पर लगा झंडा रोज बदला जाता है, जो हमेशा हवा के विपरीत लहराता है
इस मंदिर के ऊपर एक झंडा लगा है, जिसे प्रतिदिन शाम को बदलना जरूरी माना जाता है, इसके पीछे की मान्यता है, कि अगर इस झंडे को नहीं बदला गया तो, यह मंदिर आने वाले 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा। इस झंडे से जुड़ा एक और रहस्य है कि यह झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। इस रहस्य को आज तक कोई भी जान नहीं सका है, कि आखिर ऐसा क्यों होता हैं ?
मंदिर के शिखर की छाया कभी नहीं बनती
यह तो आप सभी जानते हैं, कि किसी भी चीज पर सूर्य या चांद की रोशनी पड़ने पर उसकी परछाईं बनती है, लेकिन इस मंदिर के शिखर पर सूरज की रोशनी हो या चांद की रोशनी किसी भी रोशनी पर कभी भी कोई परछाईं नहीं बनती है।
मंदिर के शिखर पर नहीं बैठते पक्षी
आपने ये तो हमेशा देखा होगा कि मंदिर या बड़ी इमारतों पर पक्षी हमेशा बैठे दिख जाते हैं, लेकिन पुरी के इस मंदिर के ऊपर से न ही कभी कोई प्लेन उड़ता है, और न ही कोई पक्षी मंदिर के शिखर पर बैठता है। भारत के किसी दूसरे मंदिर में ऐसा कभी नहीं देखा गया है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर की रसोई का रहस्य
कहा जाता है कि जगन्नाथ पुरी मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है, और इस रसोई का रहस्य भी चौंकाने वाला है। मंदिर में भगवान के प्रसाद को पकाने के लिए मिट्टी के सात बर्तनों को एक के ऊपर एक रखकर चूल्हे पर पकाया जाता है, लेकिन सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात तो ये है, कि इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का प्रसाद सबसे पहले पकता है, इसके बाद एक-एक करके नीचे रखे मटकों का प्रसाद पकता जाता है। कहा जाता है, कि चाहे कितने ही श्रद्धालु क्यों न आ जाएं, प्रसाद कभी खत्म नहीं होता है, और न ही कभी व्यर्थ जाता है। मंदिर के बंद होते ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है।
कब निकाली जाती है जगन्नाथ पूरी रथ यात्रा ?
भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा हर साल अषाढ़ माह के शुक्त पक्ष के दूसरे दिन निकाली जाती है। इस साल ये रथ यात्रा 20 जून 2023, को निकाली जाएगी। रथ यात्रा का महोत्सव 10 दिनों तक चलता है, जो शुक्ल पक्ष की ग्यारस के दिन समाप्त होता है। इस दौरान पुरी में लाखों की संख्या भक्त पहुंचते है, जो न सिर्फ भारत से होते हैं, बल्कि विदेशों से भी आते हैं, और इस महा आयोजन का हिस्सा बनते है। इस दिन भगवन श्रीकृष्ण, उसके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है। इस दौरान तीनों रथों को भव्य रूप से सजाया जाता है, जिसको लेकर तैयारियां महीनों पहले से शुरू हो जातीं हैं।
कैसे पहुंचे पुरी के जगन्नाथ मंदिर ?
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के दक्षिण में स्थित पुरी शहर तक यातायात के सुगम साधन उपलब्ध हैं। अगर आप पुरी फ्लाइट से जाना चाहते हैं, तो पुरी के सबसे नजदीक एयरपोर्ट भुवनेश्वर में है, जिसका नाम बीजू पटनायक एयपोर्ट है, जो केवल 60 किलोमीटर दूर है। देश के किसी भी शहर से भुवनेश्वर की फ्लाइट लेकर आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है। इसके बाद आप भुवनेश्वर पहुंचकर पुरी तक का सफर सड़क के रास्ते कर सकते हैं। जगन्नाथपुरी सड़क के रास्ते देश के ज्यादातर शहरों से जुड़ा है। प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल होने की वजह से पुरी में नजदीकी शहरों और पर्यटन स्थलों के लिए नियमित रूप से बस सेवा उपलब्ध रहती है। वहीं अगर बात ट्रेन की करें, तो पुरी ट्रेन सेवा के जरिए पूरे देश से अच्छी तरह से जुड़ा है। आप असानी से अपने स्टेशन से ट्रेन लेकर पुरी के जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंच सकते हैं।
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