जालंधर लोकसभा उपचुनाव के लिए सोमवार की शाम प्रचार अभियान थम गया है। जालंधर में भले ही लोकसभा का उपचुनाव हो, लेकिन जिस प्रकार से सभी राजनीतिक दलों ने अपनी ताकत झोंकी है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह उनके लिए नाक का सवाल बन चुका है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के मात्र साढ़े तीन महीने के भीतर संगरूर लोकसभा उपचुनाव हारने वाली ‘आप’ का विरोध उच्च स्तर पर हो रहा है, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, दिल्ली के अपने हमरुतबा व आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ जालंधर में डेरा डाले हुए हैं तो भारतीय जनता पार्टी ने आधा दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव प्रचार में लगा रखा है। पूरे प्रचार के दौरान कांग्रेस पार्टी का कोई राष्ट्रीय नेता प्रचार को नहीं आया, इससे आरोप लगने लगा है कि कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार को किस्मत के भरोसे छोड़ दिया है। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल अपने पिता व पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का भोग पड़ने के बाद जालंधर में डट गए हैं। शिअद यहां बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहा है। यह सीट कांग्रेस सांसद चौधरी संतोख सिंह भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हुई मौत के कारण खाली हुई थी। कांग्रेस ने उनकी धर्मपत्नी कर्मजीत चौधरी को मैदान में उतारा है।
कांग्रेस की योजना
विधानसभा चुनाव में पार्टी नेताओं के बिखराव की वजह से खता खा चुकी कांग्रेस उपचुनाव में पुरानी गलती से कुछ सीखी लगती है। कांग्रेस के प्रचार अभियान में कोई केंद्रीय नेता नहीं आया, पार्टी अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग, विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी प्रचार अभियान संभाले हुए हैं। कांग्रेस यह मान रही है कि उपचुनाव से ही देश में उनकी राजनीति के आगे के राह खुलेंगे, क्योंकि पूरे देश में आम आदमी पार्टी ही है जिसने उसके वोट बैंक को अपनी तरफ खींच कर अपना आधार बड़ा किया है। कांग्रेस सत्तारूढ़ ‘आप’ को उपचुनाव में पटखनी देकर पूरे देश में संदेश देना चाहती है कि पार्टी का आधार खोया नहीं है।
‘आप’ के सामने चुनौती
सत्तारूढ़ आप के लिए यह चुनाव सबसे चुनौती भरा है। 2022 से सरकार में होने के बावजूद आप संगरूर का उपचुनाव हार गई थी। वो भी तब जब चुनाव मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में ही हुआ था। ‘आप’ अगर यह चुनाव जीतती है तो उसके पास अपने दावे साबित करने का मौका होगा, क्योंकि इस जीत की नींव पर वह 2024 में अपना आशियाना खड़ा कर पाएगी। वहीं, ‘आप’ को पता है कि अगर उपचुनाव में उसे दूसरी हार मिलती है तो पंजाब मॉडल पूरी तरह से बिखर जाएगा। प्रचार अभियान के दौरान ‘आप’ नेताओं को लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ी और अपनी मांगों को लेकर पूरा महीना कर्मचारी संगठन जालंधर की सड़कों पर धरना प्रदर्शन करते रहे। ‘आप’ ने यहां से सुशील कुमार रिंकू को अपना उम्मीदवार बनाया है जो कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं। विधानसभा चुनाव में रिंकू को ‘आप’ के शीतल अंगुराल ने हराया था और बताया जाता है कि अब वो अपने हल्के में रिंकू को पसंद नहीं कर रहे हैं।
बीजेपी जीत के लिए दिखी गंभीर
चुनाव प्रचार के अंतिम दौर तक पहुंचते-पहुंचते बीजेपी ने यह संदेश दे दिया कि वह जीत के लिए चुनाव लड़ रही है। वह केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत, हरदीप पुरी, स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर सरीखे केंद्रीय मंत्रियों ने जालंधर में डेरा डाल रखा है। यहां तक की पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी बढ़ती उम्र के बावजूद जालंधर की सड़कें नाप रहे हैं। बीजेपी ने यहां से इंदर इकबाल सिंह अटवाल को उम्मीदवार बनाया है जो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व अकाली नेता चरणजीत सिंह अटवाल के बेटे हैं। इन चुनावों में चरणजीत सिंह अटवाल भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। इस बार सिख समाज में बीजेपी की स्वीकार्यता देखने को मिल रही है। एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने भी बीजेपी को समर्थन दिया है।
अकाली दल को कितनी उम्मीद
पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद जहां उम्मीद की जा रही थी कि पंथक वोट एकजुट होगी, लेकिन एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष बीबी जगीर कौर द्वारा बीजेपी को समर्थन देने से शिअद के पंथक वोट को एकजुट करने की कोशिश को झटका लगा है। बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रहे शिअद इस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती है तो उसे ऑक्सीजन मिलेगी, क्योंकि पिछले दो विधानसभा चुनावों में शिअद को करारी हार का सामना करना पड़ा है। अकाली दल-बसपा गठजोड़ ने डॉ. सुखविंद्र सुक्खी को अपना उम्मीदवार बनाया है। सवा महीने चले प्रचार अभियान के दौरान शिअद का अभियान बिखरा-बिखरा दिखाई दिया और स्टार प्रचारकों की कमी नजर आई।
अश्लील वीडियो ने उड़ाई ‘आप’ की नींद
मतदान से पहले एक कैबिनेट मंत्री की अश्लील वीडियो आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए गले की फांस बन गई है। विपक्ष लगातार आप सरकार पर मंत्री को कैबिनेट से बर्खास्त करने की मांग कर रहा है। चुनाव में विपक्ष ने इसे एक गंभीर मुद्दे के रूप में उठाया है। वहीं, राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा वीडियो की फोरेंसिक लैब से जांच करवा कर मुख्यमंत्री भगवंत मान को रिपोर्ट भेजने से सरकार के लिए मामला और उलझ गया हैं। क्योंकि चुनाव से ठीक पहले अगर मंत्री पर कार्रवाई की जाती हैं तो इसका सीधा असर चुनाव पर पड़ेगा और अगर कार्रवाई नहीं करती हैं तो विपक्ष के हाथों में सरकार के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा होगा।
चर्चा में ‘आप’ का भ्रष्टाचार
सरकार के लिए चुनौती इसलिए भी हैं क्योंकि 14 माह पुरानी सरकार में पहले ही दो कैबिनेट मंत्रियों डॉ. विजय सिंगला और फौजा सिंह सरारी को भ्रष्टाचार के मामले में हटाया जा चुका है और बठिंडा देहाती के विधायक अमित रतन कोटफत्ता भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं। जबकि जलालाबाद के विधायक गोल्डी कंबोज के पिता सुरेंदर कंबोज ब्लैकमेलिंग के मामले में जेल में हैं। दिल्ली में शराब घोटाले के मुख्य आरोपी मनीष सिसोदिया व अरविंद केजरीवाल के 45 करोड़ के शीश महल ने भी पार्टी की खूब किरकिरी की है। किसी समय भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने वाली आम आदमी पार्टी आज इस पर रक्षात्मक मुद्रा में दिख रही है।
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