भगवान विष्णु के विराजमान स्थान माने जाने वाले श्री बदरीनाथ धाम के कपाट कल यानी 27 अप्रैल को खोले जाएंगे। मंदिर धर्माचार्यों ने इसके लिए सुबह 7 बजकर 10 मिनट का शुभ मुहूर्त निर्धारित किया हुआ है। धार्मिक परंपरा के अनुसार पांडुकेश्वर से आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी को डोली के रूप में बदरीनाथ ले जाया जाता है, जिसकी यात्रा शुरू हो चुकी है। ये डोली आज शाम तक बदरीनाथ पहुंच जाएगी। इस यात्रा में धर्माचार्यों द्वारा गाङू तेल का घड़ा भी कंधे में रखकर ले जाया जाता है, ये तेल टिहरी दरबार में निकाला जाता है।
बदरीनाथ धाम में पिछले एक सप्ताह से बर्फबारी हो रही है। बावजूद इसके तीर्थ यात्रियों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। पहले दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी बाबा केदार के दर्शन किए और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नाम से पूजा अर्चना की। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इस साल रिकॉर्ड संख्या में करीब 50 लाख श्रद्धालु यहां चारधाम यात्रा में आएंगे।
केदारनाथ में बाबा के भक्तों की भीड़
बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद 18 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए। पहली बार स्वर्ण जड़ित गर्भ गृह में पहुंचकर भक्त भाव विभोर दिखे। उल्लेखनीय है कि मुंबई के एक दानदाता ने सवा दो क्विंटल सोना इस गर्भ गृह की सज्जा के लिए दान किया है। आज 15 हजार से ज्यादा श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए पंजीकृत हैं। खराब मौसम के बावजूद हजारों की संख्या में बाबा के भक्त जय बाबा केदार के जय घोष के साथ पैदल मार्ग पर चढ़ाई कर रहे हैं।
शंकराचार्य की समाधि पर सूनापन होने पर बीकेटीसी अध्यक्ष ने लिया संज्ञान
बीते दिन आदि शंकराचार्य की जयंती पर उनकी समाधि स्थल पर सजावट नहीं किए जाने पर बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने संज्ञान लेते हुए अधिकारियों का जवाब तलब किया है। उन्होंने कहा है कि ये परंपरा के विरुद्ध है, इस बारे में आगे भी ध्यान रखा जाए।
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