इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान कहा कि परिवार की अनापत्ति के बगैर आर्य समाज मंदिर शादी नहीं करा सकता। उच्च न्यायालय ने कहा कि पवित्र धार्मिक स्थल का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों से धन अर्जित करने के लिए किया जा रहा है। नाबालिग लड़के-लड़कियों का अवैध ढंग से विवाह कराया जा रहा है। शादी करने वालों को सुरक्षा का प्रलोभन दिया जाता है। न्यायालय ने सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा हनुमान सड़क नई दिल्ली के अध्यक्ष को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन व उच्च न्यायालय के सुझावों पर अमल करने एवं बाल विवाह पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही यह भी कहा है कि आठ हफ्ते में गाइडलाइन तैयार कर न्यायालय में रिपोर्ट पेश करें। उच्च न्यायालय ने अभियुक्त पप्पू की जमानत याचिका की सुनवाई करने के बाद यह टिप्पणी की।
अभियुक्त पप्पू पर आरोप है कि उसने जिस लड़की को घर से भगा कर शादी किया। शादी के समय वह लड़की 15 वर्ष की थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रयागराज स्थित आर्य समाज मंदिर कृष्ण नगर के पुजारी ने नाबालिग लड़की को बालिग ठहरा दिया और शादी भी करा दी। उनके दस्तावेज का सत्यापन कराना भी जरूरी नहीं समझा। घर से भाग कर शादी के लिए आने वाले लड़के-लड़कियों के दस्तावेजों का सत्यापन कराया जाए। ऐसा न कर आर्य समाज मंदिर घर से भागे लड़के-लड़कियों की अवैध शादी कराने का स्थान बन गया है, इससे संस्था का सम्मान गिर रहा है।
बता दें कि लड़की की मां ने 24 अगस्त 2022 को कौशाम्बी जनपद के कोखराज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। वादिनी की तरफ से तहरीर में कहा गया कि किसी अज्ञात युवक ने उसकी बेटी का अपहरण कर लिया है। 21 अगस्त 2022 को वादिनी की बेटी घर से बाहर शौच के लिए निकली थी। उसके बाद से लौट करके घर नहीं आई। एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने लड़की की तलाश शुरू की। गत 15 नवंबर 2022 को लड़की पुलिस को मिल गई। लड़की का आरोप था कि उसका अपहरण के बाद बलात्कार किया गया था। पुलिस ने जब लड़की को जनपद न्यायालय में पेश किया तब लड़की ने अपना बयान बदल दिया। लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया कि उसने अपनी मर्जी से आर्य समाज मंदिर में शादी की थी और शादी करने के बाद जीवन यापन कर रही है।
टिप्पणियाँ