जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि पहले आतंकवाद फैलाकर समाज के मनोबल को तोड़ने का प्रयास किया गया और अब नारको टेररिज्म से समाज खासतौर पर युवाओं की ऊर्जा को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। जम्मू विश्वविद्यालय के जनरल जोरावर सिंह सभागार में जी-20 के तहत शांति निर्माण और सुलह, युद्ध रहित युग की शुरुआत विषय पर वाई (युवा) 20 परामर्श सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत को कई दशक तक पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद झेलना पड़ा है। अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर में पहले ऐसी व्यवस्था थी, जो भेदभाव को दर्शाती थी। आतंकवाद के कारण 45000 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। लाखों लोग अपनी मातृभूमि छोड़ने के लिए मजबूर हुए, लेकिन अब जम्मू-कश्मीर में नई सुबह की शुरुआत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंक का ऐसा तंत्र विकसित था, जिसने समाज के मनोबल को तोड़ने का काम किया। कई दशक तक समाज की आकांक्षाओं का गला घोटा गया, लेकिन अब नए और आकांक्षी जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े युवा हितधारक हैं। अब आर्थिक विकास, आकांक्षी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार जैसे बुनियादी मौलिक अधिकार अब हिंसा के बंधक नहीं हैं। युवा शक्ति जम्मू-कश्मीर की ताकत हैं। उन्होंने समाज को फिर से जीवंत करने और समावेशी विकास के लिए खुद को समर्पित किया है।
शिक्षा केंद्र में बदल रहा जम्मू-कश्मीर
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि आज जम्मू-कश्मीर भारत के शिक्षा केंद्र के रूप में बदल गया है। आईआईएम, आईआईटी, एम्स, आईआईएमसी व केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसे बड़े संस्थान यहां हैं। अब युवा अपने लिए नहीं बल्कि विश्व कल्याण के लिए सोचें। उन्होंने ने कहा कि एकता की भावना के साथ सभ्य व सहयोगी विश्व व्यवस्था बनाने का सबसे महत्वपूर्ण समय है। युवा शांति की चुनौतियों से निपटने और सामाजिक चेतना को तेज करने के लिए नई आशा, अभिनव समाधान पेश करेंगे। युवा दुनिया को नया आकार देने का काम कर सकते हैं। शांति की स्थिति में ही व्यक्ति और समाज की आकांक्षाएं पूरी हो सकती हैं। युवा पीढ़ी संपूर्ण मानवता के लिए एक शांतिपूर्ण और समृद्ध वर्तमान और भविष्य बनाने के लिए उत्सुक हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत सुरक्षा चुनौतियों के व्यापक पहलुओं को प्रभावी ढंग से हल करने के साथ दुनिया का नेतृत्व करेगा। इसमें एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की भावना के साथ सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और पर्यावरण शामिल हैं। यह युवाओं का दायित्व है कि वे अपनी सामूहिक शक्ति का उपयोग मानवता के विकास और उत्थान के लिए करें। युवा विश्वास और आपसी सम्मान के आधार पर एक वैश्विक समाज बनाने के लिए महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद के आदर्शों का पालन करें। युवा भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा तैयार करें।
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