उत्तराखंड पुलिस पिछले एक साल से अज्ञात शवों को लेकर परेशान है। पता नहीं कौन लोग हैं, जो पुलिस और स्थानीय लोगों की नजर बचाकर उत्तराखंड सीमा के भीतर शव फेंककर चले जाते हैं। दरअसल उत्तराखंड के उधमसिंहनगर जिले की सीमा यूपी से लगी हुई है। कुछ स्थान ऐसे हैं कि एक मकान का दरवाजा दोनों प्रदेशों में खुलता है। खटीमा-पानीपत राष्ट्रीय सड़क मार्ग भी कभी यूपी कभी उत्तराखंड का हिस्सा बनता है। ऐसे ही कई ग्रामीण क्षेत्र हैं, जहां दोनों राज्यों की सीमाएं हैं। ऐसे में अपराधी अपने राज्य के कानूनी दांव पेंच से बचने के लिए ऐसी हरकत कर रहे हैं। जिसकी वजह से दोनों राज्यों की पुलिस परेशान है।
पिछले एक साल में उत्तराखंड के उधमसिंहनगर जिले की पुलिस ने 65 अज्ञात शवों को बरामद किया है, जिनमें से केवल 21 की शिनाख्त हो पाई है और 44 शवों की पहचान नहीं हो पाई है। इनमें सबसे ज्यादा 22 शव काशीपुर कोतवाली क्षेत्र में बरामद हुए हैं। ये वो क्षेत्र है, जिसका रामपुर और मुरादाबाद जिले के साथ सीमा है। जसपुर थाना क्षेत्र में 2 शवों की पहचान नहीं हो पाई है। कुंडा में एक, बाजपुर और आईटीआई थाना चौकी क्षेत्र में दो-दो शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है।
पुलिस के आगे मजबूरी है कि लावारिस मिले शव का दो दिन के भीतर अंतिम संस्कार करना होता है। ऐसे में शव की पहचान की वस्तुएं पुलिस को संभाल कर रखनी होती है। माना ये जा रहा है कि उधमसिंहनगर में ये लावारिस शव, यूपी से यहां लाकर फेंक दिए जाते हैं, ताकि इनकी पहचान न हो सके। कुछ समय बाद यहां की पुलिस भी मामले को ठंडे बस्ते में डाल देती है।
कुमायूं मंडल के आईजी डॉ नीलेश भरने का कहना है कि अज्ञात शवों की पहचान के लिए जानकारी यूपी पुलिस से साझा की जाती रही है। कुछ एक की पहचान भी हुई है, लेकिन बड़ी संख्या में लावारिस शवों की पहचान नहीं हो पाई है। इस पर और काम करने की जरूरत है।
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