साल में दो बार होने वाला भारतीय सेना के कमांडरों का पांच दिवसीय सम्मेलन इस बार सोमवार से शुरू होगा। इस साल का पहला सम्मेलन 21 अप्रैल तक होगा, जिसे पहली बार हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित किया जा रहा है। पहले दिन सेना के कमांडर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी वर्चुअल तौर पर बैठक में हिस्सा लेंगे। इसके बाद विस्तृत विचार-विमर्श की आवश्यकता वाले मुद्दों पर चर्चा करने के लिए व्यक्तिगत रूप से दिल्ली आएंगे।
सेना ने एक बयान में कहा है कि भारतीय सेना के कमांडरों का यह शीर्ष-स्तरीय कार्यक्रम है। यह वैचारिक स्तर के विचार-विमर्श के लिए एक संस्थागत मंच है। यह विचार-विमर्श भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने में मददगार होता है। वर्ष 2023 के लिए पहला कमांडर सम्मेलन 17 से 21 अप्रैल तक निर्धारित किया गया है। पहली बार उपलब्ध तकनीक का उपयोग करते हुए सम्मेलन हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित किया जा रहा है।
सम्मेलन के पहले दिन वर्चुअल तौर पर विभिन्न कमान मुख्यालयों के एजेंडे पर चर्चा की जाएगी। इसके बाद अंडमान-निकोबार कमान के कमांडर-इन-चीफ अपडेट देंगे और सेना मुख्यालय के प्रधान अधिकारियों के सत्र आयोजित होंगे। सैन्य कमांडरों का यह फोरम ‘परिवर्तन के वर्ष -2023’ के हिस्से के रूप में तैयार की गई गतिविधियों की प्रगति के साथ-साथ अग्निपथ योजना, डिजिटलीकरण, कॉम्बैट इंजीनियरों के कार्य संबंधी पहलुओं और बजट प्रबंधन पर प्रगति की भी समीक्षा करेगा। बैठक में शीर्ष नेतृत्व वर्तमान में उभरते सुरक्षा परिदृश्य पर भी मंथन करेगा और भारतीय सेना की परिचालन संबंधी तैयारियों की समीक्षा करेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 19 अप्रैल को सम्मेलन को संबोधित करेंगे, जहां वे उच्च तकनीक, नवाचार, निगरानी के लिए समाधान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, प्रशिक्षण, रोबोटिक्स, वर्चुअल रियलिटी, ऑपरेशनल लॉजिस्टिक्स आदि पर केंद्रित एक उपकरण डिस्प्ले की भी समीक्षा करेंगे। वरिष्ठ अधिकारियों को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, चीफ ऑफ द नेवल स्टाफ और चीफ ऑफ द एयर स्टाफ भी संबोधित करेंगे। सम्मेलन के दौरान चीन में पूर्व राजदूत विजय गोखले भारत-चीन संबंधों की भावी रूपरेखा पर वार्ता करेंगे।
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