श्रीनगर। जामिया मस्जिद में रमजान के आखिरी शुक्रवार को जुम्मा-तुल-विदा की सामूहिक नमाज की अनुमति नहीं दी गई। यह जानकारी स्थानीय अधिकारियों ने दी। श्रीनगर शहर के नौहट्टा इलाके में स्थित मस्जिद के प्रबंध निकाय अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद ने एक बयान में कहा कि जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार की सुबह दरगाह का दौरा किया और प्रबंधन से गेट पर ताला लगाने को कहा क्योंकि प्रशासन ने फैसला किया था कि मस्जिद में जुम्मा-तुल-विदा की नमाज की अनुमति नहीं दी जाएगी।
औकाफ ने अधिकारियों के इस कदम का विरोध किया। उन्होंने कहा कि लाखों मुसलमानों को बहुत परेशानी हुई जो परंपरागत रूप से घाटी के सभी हिस्सों से जामिया मस्जिद में रमजान के आखिरी शुक्रवार को नमाज अदा करने के लिए आते हैं। पिछले महीने अधिकारियों ने मस्जिद में शब-ए-बारात सामूहिक नमाज़ की भी अनुमति नहीं दी थी। वहीं जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रशासन की तरफ से कहा गया कि घाटी में शांति है, लेकिन हम किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठा सकते। शांति का हवाला देते हुए प्रशासन ने सामूहिक नमाज की अनुमति नहीं दी और दरगाह पर ताला लगाने के आदेश जारी किए हैं।
जामिया मस्जिद में लगे थे देशविरोधी नारे
पिछले साल अप्रैल में श्रीनगर के डाउन टाउन में नौहट्टा चौक स्थित जामिया मस्जिद में नमाज पढ़ने के बाद अलगाववादियों के एक समूह ने आजादी के नारे लगाए। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने नारेबाजी में शामिल 13 लोगों को गिरफ्तार किया था। वीडियो में दिख रहा था कि अराजक तत्व ‘हमको चाहिए…आजादी’ और नारा-ए-तकबीर…अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगा रहे हैं।
20-25 युवाओं ने पहले नारे लगाने शुरू किए, जिसके बाद उनका मस्जिद कमेटी से विवाद भी हुआ। कोरोना की वजह से मस्जिद करीब 2 साल से ज्यादा समय के लिए बंद थी, लेकिन रमजान को देखते हुए प्रशासन ने इसे खोलेने का फैसला लिया था।
लहराया था आईएसआईएस का झंडा
जामिया मस्जिद पहले भी विवादों में रह चुकी है। 2018 में इसी मस्जिद पर कुछ अतिवादियों ने आतंकी संगठन ISIS का झंडा लहराया था, जिसकी जांच NIA को सौंपी गई थी। यह शुरू से ही अलगाववादियों का गढ़ मानी जाती रही है।
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