शदाणी दरबार के सप्तम पीठाधीश्वर संत राजाराम साहिब की 63वीं बरसी पर आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय महोत्सव में पहुंचे पाकिस्तानी हिन्दू श्रद्धालुओं ने शदाणी दरबार के नवम पीठाधीश्वर संत डा. युद्धिष्ठर लाल के नेतृत्व में शदाणी घाट तक कलश यात्रा निकाली। कलश यात्रा में माता दीपिका शदाणी, इजना देवी, रेखा देवी, सुरा बाई, रेशमा देवी, राधिका, बेबी बाई, माया बाई, लाजी बाई, साना देवी, जयवती देवी आदि सहित बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु शामिल हुईं।
तीन दिवसीय महोत्सव के तहत शदाणी भक्त निवास में आयोजित संत समागम में शामिल हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी, पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी चिदानंद सरस्वती, संजय महंत, महंत रविदेव शास्त्री, साध्वी मैत्री गिरी का नवम पीठाधीश्वर संत डा.युधिष्ठिर लाल ने स्वागत किया।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि संत डा.युधिष्ठिर लाल धर्म के संरक्षण संवर्धन में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच आध्यात्मिक यात्रा में शदाणी दरबार सेतु के रूप में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रेम निभाने से समरसता आएगी, जो कि भारतीय संस्कृति के अनुरूप देश के विकास में अमूल्य योगदान देगी। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि शदाणी दरबार द्वारा भारतीय सनातन संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं। हर साल शदाणी दरबार द्वारा पाकिस्तान के हिन्दू तीर्थ यात्रियों को भारत की यात्रा कराकर गंगा और सिंधु नदी का मेल कराने का कार्य अनुकरणीय है।
महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद ने कहा कि संत युधिष्ठिर लाल भारत के श्रद्धालुओं को पाकिस्तान और पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं को भारत भ्रमण कराकर सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में विशेष भूमिका निभा रहे हैं। इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं।
शदाणी दरबार के नवम पीठाधीश्वर संत युधिष्ठिर लाल ने कहा कि शदाणी दरबार तीर्थ मूल रूप से पाकिस्तान में स्थित सिंध क्षेत्र में करीब 315 साल पहले 1708 में स्थापित हुआ था। हर साल सिंध से हिन्दू तीर्थ यात्री भारत आते हैं और शदाणी दरबार के कार्यक्रम में शामिल होते हैं।
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