उत्तराखंड की महान विभूतियों में आज बात बीडी पांडे की, जो भारतीय सिविल सेवा के सदस्य और भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में कैबिनेट सचिव थे। उन्होंने पश्चिम बंगाल और पंजाब के राज्यपाल के रहने के साथ संक्षिप्त अवधि के लिए चंडीगढ़ के प्रशासक के रूप में भी कार्य किया था। भारत सरकार ने भैरव दत्त पांडे को भारतीय समाज में उनके योगदान के लिए सन 1972 में पद्मश्री और 2000 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
भैरवदत्त पांडे का जन्म 17 मार्च सन 1917 को उत्तराखण्ड में नैनीताल के हल्द्वानी शहर हुआ था। उन्होंने सन 1931 में राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज अल्मोड़ा से हाई स्कूल की परीक्षा पास की थी। सन 1935 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री लेने के बाद वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी चले गये थे। 1938 में उन्होंने लंदन से ‘इंडियन सिविल सर्विस’ की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वर्तमान उत्तराखण्ड के कुमाऊँ व गढ़वाल डिवीजन से इस परीक्षा में सफल होने वाले वह प्रथम व्यक्ति थे।
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भैरवदत्त पांडे भारत सरकार में कैबिनेट सचिव नवंबर 1972 से मार्च 1977 और पश्चिम बंगाल व पंजाब राज्यों के राज्यपाल सन 1981 से 1984 जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे। भैरवदत्त पांडे ने भारत में स्वतंत्रतापूर्व के ब्रिटिश राज और स्वतंत्रता पश्चात के शासनतंत्र को बहुत निकट से देखा और इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत में ब्रिटिश राज और स्वतंत्र भारत में शीर्ष सरकारी पदों पर आसीन रहे भैरवदत्त पांडे सन 1984 में सेवानिवृत होकर अल्मोड़ा के चम्पानौला मोहल्ले स्थित अपने पुराने पैतृक मकान में सादगीपूर्वक रहने लगे थे।
अल्मोड़ा में उनके पैतृक निवास तक पहुंचने के लिए माल रोड से करीब सवा सौ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मिट्टी के फर्श और पटालों से बनी ढालदार छत वाले साधारण घर को देखकर यह अनुमान लगाना भी बेहद कठिन होता है कि यहां कोई पूर्व महामहिम रहते थे। पैतृक निवास पर ही 4 अप्रैल सन 2009 को उनका देहावसान हुआ था।
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