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अवैध बस्तियों पर गरजा धामी का बुलडोजर

पछुआ देहरादून में सरकारी जमीन पर बसी अवैध बस्तियों ने जब नोटिस दिए जाने पर भी कोई ध्यान नहीं दिया तो धामी सरकार ने बुलडोजर चलवाकर इन्हें गिरवा दिया। ये अवैध बस्तियां राजनीतिक संरक्षण से बसी थीं। अब अन्य अवैध बस्तियों पर कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही

by दिनेश मानसेरा
Mar 27, 2023, 08:32 am IST
in भारत, उत्तराखंड
पछुवा देहरादून में अतिक्रमण हटवाते सुरक्षाकर्मी

पछुवा देहरादून में अतिक्रमण हटवाते सुरक्षाकर्मी

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देहरादून जिले में नदियों के किनारों पर अवैध रूप से काबिज बस्तियों को भी हटाने की मांग उठने लगी है।

पछुवा देहरादून में सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बने सैकड़ों मकानों को धामी सरकार के बुलडोजर ने ध्वस्त कर दिया है। ध्वस्तीकरण की इस कार्रवाई के दौरान ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि किस तरह से सोची-समझी चाल के तहत मुस्लिम समुदाय के लोग पश्चिम उत्तर प्रदेश से यहां आकर अवैध रूप से बसते चले गए। जिस सरकारी जमीन पर धामी सरकार के बुलडोजर गरज रहे हैं, वह उत्तराखंड जलविद्युत निगम की है। निगम ने शक्ति नहर का निर्माण किया जो हिमाचल सीमा पर श्री पोंटा साहब तक जाती है। इसी नहर के दोनों तरफ अवैध कब्जे हुए। ध्वस्तीकरण की इस कार्रवाई के दौरान मस्जिदों और मदरसे की इमारत को छोड़ दिया गया।

डाक पत्थर से ढकरानी, शक्ति नहर, आसन बैराज के पास बसी अवैध बस्तियों पर धामी सरकार के बुलडोजरों ने सैकड़ों की संख्या में बने पक्के मकानों को मिट्टी में मिला दिया है। जानकारी के मुताबिक ये वे भवन हैं तो अवैध बस्ती की बसावट के समय कच्ची झोंपड़ियां थीं। कांग्रेस के राजनीतिक संरक्षण की बदौलत ये धीरे-धीरे पक्के निर्माण में तब्दील होते चले गए, इसी की आड़ में यह अन्य मकान बने और इनमें रहने वाले मतदाता भी बनते गए। ये सब नारायण दत्त तिवारी के शासन काल में हुआ, जब स्थानीय विधायक नवप्रभात, तिवारी सरकार में वजनदार कैबिनेट मंत्री बने।

पछुवा देहरादून में धामी सरकार की सख्त कार्रवाई को देखते हुए देहरादून जिले में नदियों के किनारों पर अवैध रूप से काबिज बस्तियों को भी हटाने की मांग उठने लगी है। जानकारी के मुताबिक टोंस, कालसी, यमुना, रिसपाना आदि नदियों के किनारे भी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अवैध बस्तियों को हटाने की मांग की गई है

एक बात और सामने आई है कि अतिक्रमित भूमि पर कुछ लोगों के इंदिरा आवास, प्रधानमंत्री आवास के तहत घर भी बने हुए हैं, जिन्हें फिलहाल नहीं हटाया जा रहा है। मौके पर मौजूद एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के आगे यह सवाल उठा कि इन्हें यहां कैसे आवास दे दिए गए। इस बारे में जांच-पड़ताल शुरू हो गई है।

पछुवा देहरादून में धामी सरकार की सख्त कार्रवाई को देखते हुए देहरादून जिले में नदियों के किनारों पर अवैध रूप से काबिज बस्तियों को भी हटाने की मांग उठने लगी है। जानकारी के मुताबिक टोंस, कालसी, यमुना, रिसपाना आदि नदियों के किनारे भी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अवैध बस्तियों को हटाने की मांग की गई है। वैदिक मिशन पछुवा देहरादून के प्रमुख जगवीर सिंह पुंडीर कहते हैं कि धामी सरकार ने पहली बार हिम्मत वाला काम किया है। अब यह अन्य नदियों के किनारे भी होना जरूरी है अन्यथा यहां जनसंख्या असंतुलन की समस्या खड़ी हो जाएगी।

उधर यहां से हटाए गए मुस्लिम सेवा संगठन ने देहरादून डीएम कार्यालय में जाकर धरना देने का भी प्रयास किया जिसे पुलिस प्रशासन ने नाकाम कर दिया। मुस्लिम सेवा संगठन के लोगों का कहना था कि हमें घर खाली करने का मौका तक नहीं दिया गया और रमजान सिर पर है।

जलविद्युत निगम के डीजीएम हेमंत श्रीवास्तव का कहना था कि कब्जेदारों को पूर्व में नोटिस दिए गए, उनके घरों पर मार्क लगाए गए, मुनादी करवाई गई और नोटिस की मियाद खत्म होने के बाद भी दस दिन तक कार्रवाई रोके रखी थी कि कब्जेदार खुद अपना कब्जा हटा लें। जब उनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया तो शासन को कार्रवाई करनी पड़ी।

एक जानकारी की मुताबिक अवैध कब्जेदारों पर इतनी बड़ी कार्रवाई के निर्देश सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से आए। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कुछ दिन पहले हर जिले में सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के निर्देश अपर मुख्य सचिव के माध्यम से सभी डीएम को दिए थे। इसी के बाद से देहरादून, उधम सिंह नगर, हरिद्वार में अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू हुआ है।

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