कुछ नया करने का मन में था ही तो मैंने भी उससे ही ग्लैडियस फूल की कलमें लीं और खेत में लगाया। कुछ समय बाद इसकी अच्छी पैदावार हुई। यही वह समय था जब ठाना कि मैं अपने खेतों में फूलों की खेती करूंगा
हिमाचल प्रदेश के किसान आत्मस्वरूप आज चैल इलाके के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। हों भी क्यों न! छोटे से गांव महोग से 30 साल पहले प्रयोग के तौर पर शुरू की गई फूलों की खेती ने आज राज्य के हजारों किसानों को रोजगार दे दिया है। उनकी ओर से की गई शुरुआत आज कई क्षेत्रों तक पहुंच चुकी है और राज्य में हर साल लगभग 200 करोड़ रुपये के फूलों का कारोबार होता है।
अकेले महोग की कुल भूमि के 70 प्रतिशत हिस्से पर फूलों की खेती होती और यहां के किसान सालाना 40 करोड़ से ऊपर के फूलों का कारोबार करते हैं। आत्म स्वरूप बताते हैं कि 1988 से मैंने फूलों की खेती शुरू की। यूं तो पहले सब्जियां और परंपरागत अनाज की खेती हुआ करती थी। लेकिन एक दिन महाराजा पटियाला के महल में माली का काम करने वाले व्यक्ति ने फूलों की खेती के बारे में बताया।
कुछ नया करने का मन में था ही तो मैंने भी उससे ही ग्लैडियस फूल की कलमें लीं और खेत में लगाया। कुछ समय बाद इसकी अच्छी पैदावार हुई। यही वह समय था जब ठाना कि मैं अपने खेतों में फूलों की खेती करूंगा और इसका काम भी शुरू कर दिया। उत्पादन भी अच्छा हो रहा था, लेकिन हमारे सामने इन्हें बेचने की चुनौती थी।
शुरुआत में हमें जहां भी बाजार के बारे में पता चलता, हम वहां इन्हें पहुंचाते थे। कंडाघाट से रेल द्वारा कालका और फिर अंबाला, दिल्ली, मंडी तक फूलों को पहुंचाया। इस दौरान फूल खराब भी हो जाते थे। लेकिन धीरे-धीरे गांव के अन्य किसानों को भी फूलों की खेती के लिए तैयार किया। जब पैदावार बढ़ी तो गांव से ही गाड़ियों के माध्यम से दिल्ली और मंडी में फूल भेजने लगे। आज गांव के किसान कारनेशन, लिलीयम, ब्रेसिका केल, जिप्सोफिला, गुलदावदी समेत 20 तरह के फूलों की खेती करके अच्छा-खासा पैसा कमा कर खुशहाल हो रहे हैं।
वे बताते हैं,‘‘आज गांव के युवा नौकरी के लिए बाहर न जाकर फूलों की खेती कर रहे हैं। वे लोग आसपास के अन्य किसानों को भी इसकी खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं।’’ उन्होंने यह भी बताया कि हॉलैंंड के एक वैज्ञानिक की सलाह पर अब किसान खुले खेत की बजाय पॉलीहाउस में फूलों की खेती कर रहे हैं। इसके बाद जहां एक ओर लागत में कमी आई तो दूसरी ओर बीमारियों की संभावना भी कम हो गई।
आत्म स्वरूप को फूलों की खेती के लिए कई सम्मान मिल चुके हैं। वे सम्मान के हकदार भी हैं। उनके कारण ही आज सैकड़ों किसानों और विशेषकर युवाओं को संपन्नता की नई राह मिली है।
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