सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए लागू सीयूईटी में पूरी तरह शामिल हुए बिना जामिया मिल्लिया इस्लामिया द्वारा अलग से संपन्न कराई जा रहे प्रवेश परीक्षा के विरुद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के विरुद्ध किया विरोध प्रदर्शन किया। साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी में लगातार हो रही अनियमितता एवं पीएचडी के छात्रों का स्कोर कार्ड अभी तक न जारी करने को लेकर जामिया इकाई ने विरोध प्रदर्शन कर अपना रोष व्यक्त किया ।
गौरतलब हो कि भारत के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए यूजीसी ने एक प्रवेश परीक्षा कराने का निर्णय लिया था। परंतु जामिया प्रशासन द्वारा यह निर्णय नहीं माना गया है, अभाविप के ज्ञापन देने के बाद जामिया प्रशासन ने कुछ विषयों में इस वर्ष से तथा बचे हुए विषयों में अगले वर्ष 2024 से सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश लेने का निर्णय किया था। अभाविप सभी पाठ्यक्रमों में सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश न देने का विरोध करती है एवं शत प्रतिशत कोर्सेज में प्रवेश सीयूईटी के माध्यम से ही करने की मांग करती है ।
अभाविप दिल्ली के प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री ने बताया की, “सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश छात्रों के लिए काफी सुविधा जनक होगा तथा सभी छात्रों के लिए समान अवसर मिलेंगे, परंतु जामिया प्रशासन का इससे बचने का रवैया छात्रों के भविष्य के हानि कारक है। इसके अलावा विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पी एच डी के छात्रों का स्कोर कार्ड जारी करना अभी तक लंबित है जिसके लिए प्रशासन अभी तक शिथिल अवस्था में ही है।प्रशासन से मांग है की सीयूईटी को सभी पाठ्यक्रमों हेतु प्रवेश के लिए अनिवार्य करते हुए एवं विश्वविद्यालय की अन्य समस्याओं के प्रति शीघ्र कार्रवाई करते हुए संस्थान के व्यापक हित में जल्द जल्द उचित फैसला लेना सुनिश्चित करें। ”
अभाविप जामिया इकाई मंत्री नासिर खुर्शीद ने कहा की, “जामिया भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक है और यहाँ अध्ययन करने भारत के प्रत्येक कोने से छात्र छात्राएं अपने बेहतर भविष्य का सपना लिए आते हैं ऐसे में सी यू ई टी की एकरुपता में क्रियान्वयन न होना छात्रों के विकास में बाधक एवं पक्षपात पूर्ण सिद्ध होगा। विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन शत प्रतिशत अबतक नही हुआ है, परिणामतः जामिया शिक्षा की गुणवत्ता के अनेक लक्ष्यों को प्राप्त करने में पिछड़ सकता है । अभाविप की सभी मांगों पर विश्वविद्यालय शीघ्र निर्णय ले।”
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