काशी में मुस्लिम महिलाओं ने रविवार को लमही स्थित सुभाष भवन में गुलालों और फूलों की होली खेलकर मोहब्बत का पैगाम भेजा। महिलाओं ने सुभाष मन्दिर में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा पर गुलाल चढ़ाने के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर पर गुलाल लगाकर होली खेली। इस दौरान महिलाओं ने कहा कि काशी में बाबा विश्वनाथ भस्म से होली खेलते हैं, तो मुस्लिम महिलाएं गुलाल उड़ाकर हिन्दू महिलाओं के चेहरे को रंग देती हैं। गुलाल हवा में जब उड़ता है तो सबके चेहरे रंगीन हो जाते हैं और सबके दिल मिल जाते हैं।
विशाल भारत संस्थान एवं मुस्लिम महिला फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में जुटी मुस्लिम महिलाओं ने ढोल की थाप पर फगुआ गीत गाकर हवा में गुलाल उड़ा फिजाओं को रंगीन बना दिया। एक दूसरे के चेहरों पर गुलाल लगा लड्डू खाकर खुशी का इजहार किया।
इस अवसर पर फाउण्डेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने कहा कि हमने मजहब बदल लिया, लेकिन संस्कृति नहीं बदली और न ही पूर्वज बदले। हमारे खून में शामिल है पूर्वजों के होली का रंग। जब ईद में हिन्दू भाई गले मिलते हैं और रोजा इफ्तार करवाते हैं, तो मुसलमानों को भी होली मिलन समारोह का आयोजन करना चाहिए। जो मौलाना कहते हैं कि रंग पड़ने से इस्लाम खतरे में आ जाएगा, वे झूठे हैं। रंगरेज दिनभर कपड़ा रंगता है तब उसका ईमान खतरे में नहीं आता। होली सबको मिलकर मनाना चाहिए। भारत की खूबसूरती एकता और मोहब्बत में है।
सुभाषवादी नेता नजमा परवीन ने कहा कि सब भेद भुलाकर दिलों को मिलाने का त्योहार है होली। सब मिलकर खेलें और मोहब्बत के रंग में रंग जाएं। किसी कट्टरपंथी की परवाह न करें। संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि तेजाबी जुबान के नफरती बयानबाजों को काशी की मुस्लिम महिलाओं ने अच्छा सबक दिया है। मिलकर तीज त्योहार मनाने की संस्कृति तो सदियों से थी, वह तो कुछ लोगों ने त्योहारों को धर्म में बांट दिया। सूफियों ने होली खेली, सुल्तानों ने होली खेली, नवाबों ने खेली, तो ये कट्टरपंथी कौन होते हैं, हमें होली खेलने से मना करने वाले। रिश्तों को मजबूत करने और दुश्मनी खत्म करने का त्योहार है होली। होली खेलने में नगीना बेगम, नाजिया, शमसुन्निशा, तरन्नुम, रजिया, सरोज, प्रभावती, पार्वती, चमेली, लालती, पूनम, सुनीता, प्रियंका, रमता, गीता, सारिका, कलावती, रीता, मैना, चन्दा, किसुना, बिन्दु, धनेसरा, सुमन और ममता आदि शामिल रहीं।
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