अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते नजर आए। भारत के इतिहास में शायद यह पहला अवसर है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इस ऐतिहासिक समझौते से उनके यहां करीब 10 लाख लोगों को न केवल रोजगार मिलेगा, बल्कि उन्होंने यह घोषणा भी कर डाली कि अमेरिका और भारत मिलकर दुनिया की चुनौतियों से मुकाबला करेंगे
एक बड़ी कंपनी के मार्केटिंग विभाग में काम करने वाले मयंक अग्रवाल को दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरने के बाद टी-2 टर्मिनल के एक हिस्से में इंडिगो के ढेरों विमान खड़े दिखे, जो अगले कुछ दिनों में उड़ान भरना शुरू करने वाले थे। भारतीय विमानन कंपनी इंडिगो ने 2019 में 300 विमानों का आर्डर दिया था, जिसकी आपूर्ति शुरू हो गई है। टी-2 टर्मिनल पर वही विमान खड़े हैं। लेकिन कुछ समय बाद ही एयर इंडिया ने 470 विमान की खरीद का आर्डर देकर दुनिया को चौंका दिया। यह दुनिया में किसी भी कंपनी द्वारा विमानों की खरीद के लिए किया गया अब तक का सबसे बड़ा सौदा है। इस सौदे में 400 विमान सिंगल आई यानी छोटे मार्ग के लिए हैं, जबकि 70 विमान लंबे मार्ग के लिए रखे गए हैं। यह सौदा 80 बिलियन डॉलर का है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अमेरिका की बोइंग और फ्रांस की एयरबस के साथ इस सौदे में टाटा समूह ने 370 अतिरिक्त विमानों की खरीद का विकल्प भी रखा है।
धमक भारत की
इस सौदे की अहमियत को इसी बात से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एयर इंडिया-एयरबस सौदे में शामिल हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने ही नहीं, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी इस सौदे को मील का पत्थर बताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इमैनुएल मैक्रों को विशेष रूप से धन्यवाद देते हुए कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण सौदा भारत और फ्रांस के गहरे संबंधों के साथ-साथ भारतीय विमानन क्षेत्र को और मजबूत करेगा तथा दोनों देशों में अवसर पैदा करेगा। यह मजबूत भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है।’’ फ्रांस के राष्ट्रपति ने ट्वीट कर इस सौदे को भारत और फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी का एक नया चरण बताया।
यह सबसे बड़े विमान आपूर्ति आर्डर का ही असर था कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते नजर आए। भारत के इतिहास में शायद यह पहला अवसर है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इस ऐतिहासिक समझौते से उनके यहां करीब 10 लाख लोगों को न केवल रोजगार मिलेगा, बल्कि उन्होंने यह घोषणा भी कर डाली कि अमेरिका और भारत मिलकर दुनिया की चुनौतियों से मुकाबला करेंगे। इससे समझा जा सकता है कि अमेरिका भारत को कितना महत्व दे रहा है। इसी तरह, फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें अपने दोस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों को देखकर खुशी हुई। उन्होंने एयरबस और एयर इंडिया के बीच हुए समझौते के लिए धन्यवाद भी दिया। इसी तरह, ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुनक ने भी रॉल्स रॉयस से इंजन खरीदने के लिए भारत को धन्यवाद दिया। इससे पता चलता है कि भारत का महत्व पूरी दुनिया में कितना बढ़ा है।
2008 में जब अमेरिका का वित्तीय संस्थान लेहमैन ब्रदर्स दिवालिया हो गया था, तब भारतीय कंपनियों व भारतीयों ने अमेरिका और दुनिया की अर्थव्यवस्था को संभालने में बड़ा योगदान दिया था। इसके बाद ही दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों में भारतीयों को बड़े पद दिए जाने लगे, पर भारत के प्रति दुनिया की महाशक्तियों का नजरिया 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद बदला। मोदी सरकार ने इस बात को पहचाना कि हम इन देशों (अमेरिका, ब्रिटेन या फ्रांस) का माल भी खरीद रहे हैं, इनके यहां नौकरियां भी चला रहे हैं, फिर भी ये हमें दोयम दर्जे का समझ रहे हैं। इसके बाद सरकार ने अमेरिका समेत उन कंपनियों को पहचाना, जो भारत में अपना माल बेचती हैं या बेचना चाहती हैं और दुनिया के बड़े देशों में प्रभावशाली भी हैं।
इन कंपनियों के प्रमुखों ने भारत आना आरंभ किया और सरकार ने उनसे नए तरीकों से मोल-भाव करना शुरू किया। 2014 के बाद गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक से लेकर दुनिया की बड़ी-बड़ी तकनीकी कंपनियों के प्रमुख अधिकारी प्रधानमंत्री मोदी से मिले। भारत सरकार ने दुनिया को अपनी उपभोक्ता शक्ति के बारे में बताना शुरू किया था। पीएमओ में काम कर चुके एक अधिकारी ने इस सौदे पर कहा कि जरूरी नहीं कि भारत सारे उत्पाद बनाए। बहुत से उत्पाद विदेशों से खरीदना दूसरे देशों के साथ संबंधों अपने राष्ट्रीय हितों और कई अन्य मुद्दों के लिए जरूरी होता है।
भारत बनेगा विमानन केंद्र
फिलहाल ग्लोब के इस ओर यानी भारत के इर्द-गिर्द सिंगापुर और दुबई ही दो ऐसे हवाई केंद्र हैं, जहां से दुनियाभर के लिए विमान सेवाएं हैं। भारत से भी कुछ सीधी उड़ानें यूरोप और अमेरिका जाती हैं, लेकिन ये अधिकाशत: भारतीय यात्रियों को ही लेकर जाती हैं। दुनिया की महत्वपूर्ण दूसरी उड़ानें भारत होकर जाती हों, ऐसा बहुत ही कम है। लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में देश का विमानन क्षेत्र बढ़ा है, पूरे देश में बड़े-बड़े हवाई अड्डे बने हैं या बन रहे हैं, इसे देखते हुए जल्द ही भारत दुनिया के उड्डयन नक्शे पर एक बड़ा पड़ाव होने जा रहा है। भारत विमान परिचालन के लिहाज से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वर्तमान में भारत में लगभग 700 विमान उड़ान भरते हैं। इनमें अधिकतर नैरो बॉडी हैं, जो घरेलू उड़ान भरते हैं। लेकिन अब भारतीय कंपनियां जंबो या वाइड बॉडी विमानों की ओर बढ़ रही हैं।
विमानों के इंजनों और उसकी मरम्मत का काम करने वाली जीई एयरोस्पेस के एशिया एवं इंडोनेशिया के प्रमुख विक्रम राय के मुताबिक, भारतीय विमानन उद्योग में बहुत संभावनाएं हैं। जल्द ही उन्हेें भी एयर इंडिया की तरह आर्डर मिलने की संभावना है, क्योंकि भारत में विमानन उद्योग बहुत तेजी से बढ़ रहा है। सरकार भी विमानन क्षेत्र में ढांचागत विकास पर जोर दे रही है। सरकार की उड़ान योजना के बाद देश के लगभग सभी शहर हवाई नेटवर्क से जुड़ चुके हैं।
2016 से पहले भारत में केवल 49 हवाई अड्डे थे, जो बढ़कर अब 147 से ज्य़ादा हो गए हैं। इन्हीं हवाई अड्डों की बदौलत भारतीय विमानन कंपनियों ने बीते लगभग एक साल में बोइंग और एयरबस को 1100 से अधिक विमानों के आर्डर दिए हैं। एयर इंडिया के 470 विमानों के अलावा इंडिगो ने भी लगभग 500 विमानों की खरीद का आर्डर दिया है। गो फर्स्ट ने 72, अकासा एयरलाइंस ने 56 तथा विस्तारा ने 17 नए विमानों के लिए आर्डर दिया है। यानी अगले कुछ सालों में भारतीय विमानन कंपनियों ने बोइंग और एयरबस को जितने विमानों की आपूर्ति के लिए आर्डर दिए हैं, उससे उन्हें अन्य देशों से नए विमानों के आर्डर और आपूर्ति के लिए सौदा करने से पूर्व सोचना पड़ जाएगा।
एयर इंडिया ने जो आर्डर दिया है, उसमें 70 विमान बड़े आकार के हैं, जो बिना रुके सीधे अमेरिका तक जा सकते हैं। मतलब यह कि आने वाले दिनों में एयर इंडिया अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे देशों के लिए अधिक उड़ानों का संचालन करेगी। भारत में बेशक घरेलू विमानन कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हों, पर भारतीय एयरलाइंस भारतीयों को विदेश लाने, ले जाने के मामले में कतर और एतिहाद एयरलाइंस का मुकाबला करने में पिछड़ रही थीं । लेकिन एयर इंडिया के 70 बड़े विमान खरीदने के बाद भारतीय स्वदेशी एयरलाइन कंपनी से दुनिया के किसी भी देश में जा सकेंगे।
एयरइंडिया के पूर्व प्रमुख वी. तुलसीदास के मुताबिक, जिस तरह से भारत का विमानन क्षेत्र विकसित हो रहा है, उससे साफ है कि भारत केवल विमानन केंद्र ही नहीं, बल्कि बहुद्देशीय उड़ानों का केंद्र भी बनेगा। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता और कोच्चि में जिस तरह से हवाई अड्डे विकसित हुए हैं, इससे इनके विमानन केंद्र बनने की संभावना है।
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