यूपी के बरेली में मुस्लिम परिवार में जन्मी महविश ने सनातनी संस्कृति में आस्था जताते हुए हिंदू धर्म अपना लिया है। वह महविश से महिमा बन गई है। शुरू से मांसाहार का विरोध करने वाली युवती ने बालिग होते ही जीने की नई राह चुन ली है और अपने दोस्त सरन मौर्या के साथ वैदिक रीति रिवाज से शादी कर अपनी दुनिया बसा ली है। महिला बनने के बाद उसने कहा है कि अब तीन तलाक और हलाला का डर उसके दिल से निकल गया है।
महविश से महिमा बनी युवती बरेली में थाना भुता क्षेत्र के गांव सिंगाही मुरावान की रहने वाली है। घरवाले उसके फैसले का विरोध कर रहे थे तो उसने घर छोड़ दिया। सबकुछ जानते हुए परिवारवालों ने उसके अपहरण की झूठी रिपोर्ट उसके दोस्त सरन मौर्या के खिलाफ दर्ज करा दी थी, जो उसके ही गांव का रहने वाला है। इसके बाद महविश ने कानूनी प्रक्रिया का हिम्मत से सामना किया। दोस्ती से प्रेमी बने सरन मौर्या के साथ गांव छोड़कर वह बदायूं पहुंची और वहां कोर्ट मैरिज कर ली। कुछ दिन बाद दोनों वापस बरेली लौटे। कोर्ट के समक्ष महविश ने खुद के बालिग होने के प्रमाण पेश किए और सरन मौर्या के साथ रहने की इच्छा जताई। कोर्ट ने उसकी इच्छा के अनुसार सरन के साथ भेज दिया।
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एक दिन पहले महविश ने बरेली के अगस्त मुनि आश्रम में इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया है। इसके बाद उसने सरन मौर्या के साथ हिंदू परंपराओं के अनुरूप शादी भी रचा ली है। महविश अब महिमा मौर्या बन गई है। महिमा ने बताया कि सरन के परिवारवालों ने उसे खुशी से अपना लिया है और वे शादी में भी शामिल हुए मगर उसे अपने घरवालों से जान का खतरा है। शादी करने के बाद अब वह डीएम बरेली के कार्यालय में कागजों में मतांतरण के लिए प्रार्थना पत्र देने वाली है।
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