पाकिस्तान के एक मौलाना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर इन दिनों तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह गुरु नानक देव जी के बारे में कह रहे हैं कि वह अच्छे इंसान नहीं हो सकते हैं क्योंकि उन्होंने न तो कलमा पढ़ा था और न ही इस्लाम को कुबूल किया था। इधर लोगों ने इस वीडियो को खालिस्तानी समर्थकों के मुंह पर तमाचा बताया है।
"Nanak didn't read Kalma, didn't convert to Islam. He can't be a good man"
– Truth of their Pakistani masters Khalistanis hide from Sikhs-Hinduspic.twitter.com/akXi2NTXzy
— Pakistan Untold (@pakistan_untold) February 24, 2023
इस वीडियो क्लिप को ‘पाकिस्तान अनटोल्ड’ ने अपने ट्विटर पर शेयर किया है। इसमें मौलाना कह रहा है, ‘कुछ लोग मुझे कहते हैं कि गुरुनानक, बाबा फरीद से बहुत प्यार करते थे। मैं उनसे कहता हूं कि अगर वह बाबा फरीद से इतना प्यार करते थे तो फिर कलमा क्यों नहीं पढ़ा। एक ही दलील देते हैं कि गुरुनानक, बाबा फरीद से बड़ा प्यार करने से कोई मुसलमान नहीं हो जाता। सच्चा मुसलमान वही है जो कलमा पढ़े।’
इस वीडियो पर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं, एक ने लिखा, ‘खालिस्तानी तत्व सच्चे सिख नहीं हैं क्योंकि असली सिख राष्ट्र के प्रति वफादार हैं। वे इसे और इसके लोगों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। वे हिंसा से देश को विभाजित करने के लिए इस्लामिक पाकिस्तान के साथ काम नहीं कर सकते।’ वहीं, एक अन्य ने लिखा, ‘गुरुनानक नेकदिल इंसान थे कैसे वो आतंकी धर्म स्वीकार कर लेते।’ एक ने लिखा, ‘ये ले खालिस्तानी, बाबा गुरुनानक को छोड़ कलमा पढ़।’ ऐसे ही हजारों कमेंट हें। बता दें कि पाकिस्तान के मौलाना खादिम हुसैन रिजवी का यह पुराना बयान सोशल मीडिया पर अब वायरल हो रहा है। मौलाना ख़ादिम हुसैन रिजवी की 2020 में मौत हो चुकी है।
बताते चलें कि गुरुनानक देव का जन्म नानकाना साहिब में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उन्होंने 1539 में पाकिस्तान के करतारपुर साहिब में समाधि ली थी, जहां अब करतारपुरसाहिब गुरुद्ववारा है। इस जगह पर हर साल भारी संख्या में भारत से भी श्रद्धालु जाते हैं।
वीडियो में बाबा फरीद का जिक्र
वीडियो में मौलवी जिन बाबा फरीद का जिक्र कर रहे हैं, उनका नाम शेख फरीद था, जिन्हें पंजाबी भाषा का पहला कवि माना जाता है। कहते हैं कि बाबा फरीद का गुरुनानक देव पर काफी गहरा प्रभाव था। गुरुनानक देव जी ने कई ऐसे प्रतीकों का प्रयोग किया था, जो उनसे जुड़े थे। वहीं, बाबा फरीद को गुरुनानक देव की कविताओं से गुरुग्रंथ साहिब को समझने में मदद मिली थी।
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