प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी संसद सदस्यों की नारेबाजी के बीच राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपना वक्तव्य रखा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों की भाषा और व्यवहार को निराशाजनक बताते हुए कहा कि इस सदन में जो कहा जाता है, उसे देश ध्यान से सुनता है। कुछ सांसद सदन को बदनाम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने विरोध कर रहे विपक्षी सदस्यों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनके कृत्यों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आगे बढ़ने में मदद मिलती है।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कांग्रेस सरकार पर भी जमकर निशाना साधा. पीएम मोदी ने कहा- 60 साल कांग्रेस के परिवार ने गड्ढे ही गड्ढे कर दिए थे… जब वो गड्ढे खोद रहे थे, 6 दशक बर्बाद कर चुके थे… तब दुनिया के छोटे-छोटे देश भी सफलता के शिखरों को छू रहे थे।
हम देश को विकास का एक ऐसा मॉडल दे रहे हैं जिसमें हित धारकों को उसके सभी अधिकार मिलें। देश बार-बार कांग्रेस को नकार रहा है लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस अपनी साजिशों से बाज नहीं आ रही है। जनता न केवल उनको देख रही है बल्कि सजा भी दे रही है। इनकी राजनीति, अर्थ नीति और समाज नीति वोटबैंक के आधार पर ही चलती थी, लेकिन हमने रेहड़ी-ठेले पटरी वालों की चिंता की। PM- स्वनिधि और PM- विकास योजना के जरिए हमने समाज के एक बड़े वर्ग का सामर्थ्य बढ़ाने का काम किया है। इस देश में कृषि की सच्ची ताकत छोटे किसानों में है, लेकिन ये किसान उपेक्षित थे… इनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था, हमारी सरकार ने छोटे किसानों पर ध्यान केंद्रित किया।
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प्रधानमंत्री ने कहा- ये विज्ञान और तकनीक के विरोधी लोग हैं। ये हमारे वैज्ञानिकों को बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। इनको देश की चिंता नहीं है, इनको अपनी राजनीतिक उठा-पटक की चिंता है। डिजिटल लेनदेन में देश आज दुनिया का लीडर बना हुआ है। Digital India की सफलता ने आज पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। जिनको रोजगार और नौकरी का फर्क नहीं मालूम है वो हमको उपदेश दे रहे हैं। नए-नए नैरेटिव गढ़ने के लिए आधी-अधूरी चीजों से झूठ फ़ैलाने का प्रयास हो रहा है। बीते 9 सालों में अर्थव्यवस्था का विस्तार हुआ है और नए सेक्टर में रोजगार की नई संभावनाएं बनी है।
प्रधानमंत्री ने नेहरु सरनेम को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि अख़बारों में मैंने पढ़ा था कि 600 के करीब योजनाएं गांधी-नेहरू के नाम से हैं। मुझे यह समझ नहीं आता कि उनकी पीढ़ी का कोई व्यक्ति नेहरू सरनेम रखने से डरता क्यों है? क्या शर्मंदगी है? इतना बड़ा व्यक्ति है तो शर्मंदगी क्या है? और आप हमारा हिसाब मांगते हो। यह सदियों पुराना देश… जन-जन की पीढ़ियों की परंपरा से बना हुआ देश है, यह देश किसी परिवार की जागीर नहीं है।
उन्होंने कहा- देश देख रहा है, एक अकेला कितनों को भारी पड़ रहा है। देश के लिए जीता हूं, देश के लिए कुछ करने के लिए निकला हुआ हूं। इसलिए ये राजनीतिक खेल खेलने वाले लोगों के अंदर हौसला नहीं ही, वो अपनी जमीन बचाने का रास्ता ढूंढ रहे हैं।
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