घ संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने दिगंबरराव तिजारे को मध्य भारत में संघ कार्य के लिए भेजा था और उनकी शाखा टोली के सदस्यों में राजाभाऊ भी थे।
गत दिनों धार में नर्मदा साहित्य मंथन आयोजित हुआ। इसके पहले दिन ‘एक भूला-सा सेनानी’ नाटक का मंचन सतीश दवे की मंडली ने किया। यह नाटक गोवा मुक्ति आंदोलन में सर्वस्व न्योछावर करने वाले संघ के प्रचारक राजाभाऊ महाकाल के बलिदान पर आधारित है। कलाकारों ने ऐसी प्रस्तुति दी कि दर्शकों को लगा कि उनके सामने साक्षात् राजाभाऊ ही आ गए हैं। बता दें कि संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने दिगंबरराव तिजारे को मध्य भारत में संघ कार्य के लिए भेजा था और उनकी शाखा टोली के सदस्यों में राजाभाऊ भी थे।
जब नाटक में राजाभाऊ को शाखा में देरी से आने पर तिजारे जी जब तक विश्राम की आज्ञा न हो तब तक दक्ष में खड़े रहने की आज्ञा देते हैं और फिर शाखा के बाद स्वयंसेवकों के साथ भूलवश बिना विश्राम दिए संघ स्थान से चले जाते हैं तो रात्रि में भयंकर वर्षा में भी राजाभाऊ खुले मैदान में दक्ष में खड़े रहते हैं। जब राजाभाऊ की मां उन्हें ढूंढते हुए तिजारे जी के पास आती हैं, तब तिजारे जी को ध्यान आता है और वे दौड़कर महाकाल मैदान में जाते हैं।
भयंकर बारिश में भी राजाभाऊ दक्ष की आदर्श स्थिति में खड़े थे और जब नाटक में तिजारे जी ने भाऊ को गले लगाया तो जैसे पूरा सभागार रेखांकित हो उठा। राजाभाऊ ने गोवा मुक्ति आंदोलन में भाग लिया था। नाटक में उनकी तेजस्विता, दूरदर्शिता दिखती है और देश के लिए प्राणार्पण करने की उनकी आतुरता भी। जब नाटक में उनकी अस्थियां लाने का दृश्य दिखाया गया तब हर दर्शक रोने की स्थिति में आ गया।
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