हम विमुक्त जातियों और उनकी संस्कृति को भारतीय दृष्टिकोण से न देखकर पाश्चात्य दृष्टिकोण से देखने के आदी हो गए हैं। यह सम्मान वास्तव में विमुक्त जातियों और उनकी संस्कृति का सम्मान है।-भीकू रामजी इदाते
महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता भीकू रामजी इदाते ने अपना पूरा जीवन वंचित समुदायों के कल्याण के लिए समर्पित किया हुआ है। पाञ्चजन्य के लेखक रहे श्री इदाते उपाख्य दादा इदाते भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतू जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे हैं।
वर्तमान में दादा इदाते घुमंतू और अर्द्ध-खानाबदोश समुदायों के विकास और कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष तो हैं ही, नीति आयोग की पहचान और वर्गीकरण समिति के सदस्य भी हैं। उनकी इस क्षेत्र में दक्षता को देखते हुए ही 2019 में उनकी अध्यक्षता में विमुक्त, खानाबदोश और अर्द्ध-खानाबदोश समुदायों के लिए विकास और कल्याण बोर्ड का गठन हुआ था।
अंग्रेजों ने एक सोचे-समझे षड्यंत्र के तहत भारत की विमुक्त जातियों को उनकी मूल जातियों से विकृत करके उन्हें अपराधियों की श्रेणी में डाल दिया, जबकि वे स्वतंत्र योद्धा होने के साथ ही संस्कृति तथा प्रकृति को संरक्षित करती रही हैं।
इसी के मार्गदर्शन में अधिसूचित श्रेणी से बाहर आए समुदाय, खानाबदोश तथा अर्द्ध-खानाबदोश समुदायों की पहचान करने और औपचारिक रूप से वगीकृत करने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई थी।
दादा इदाते का मानना है कि विमुक्त जातियों की प्रति हमारी मानसिकता स्वतंत्र नहीं है। हम विमुक्त जातियों और उनकी संस्कृति को भारतीय दृष्टिकोण से न देखकर पाश्चात्य दृष्टिकोण से देखने के आदी हो गए हैं।
अंग्रेजों ने एक सोचे-समझे षड्यंत्र के तहत भारत की विमुक्त जातियों को उनकी मूल जातियों से विकृत करके उन्हें अपराधियों की श्रेणी में डाल दिया, जबकि वे स्वतंत्र योद्धा होने के साथ ही संस्कृति तथा प्रकृति को संरक्षित करती रही हैं। इन जातियों के समग्र विकास के लिए आयोग गठित होने से सकारात्मक परिणाम देखने में आ रहे हैं।
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