भारत का पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक मानस वास्तव में अत्यंत जिज्ञासा का विषय है जिस पर वैश्विक स्तर पर गंभीर शोध की आवश्यकता है।
भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा विविध क्षेत्रों में है। इसका महत्वपूर्ण संकेत मिलता है कि इस देश में सदियों पहले से लोगों के बीच वैज्ञानिक मानस मौजूद रहा है। भारत का पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक मानस वास्तव में अत्यंत जिज्ञासा का विषय है जिस पर वैश्विक स्तर पर गंभीर शोध की आवश्यकता है।
अनेक पश्चिमी विद्वानों की इन टिप्पणियों को पढ़कर हैरानी होती है, जब वे कहते हैं कि भारत के अनेक प्राचीन वैज्ञानिकों, गणितज्ञों आदि की रचनाएं सामान्य हस्तलिखित या मुद्रित दस्तावेजों के रूप में उपलब्ध नहीं हैं और वे अधिकांशत: संस्कृत के श्लोकों के रूप में हैं। यहां तक कि गणित के सिद्धांत भी संस्कृत श्लोकों के रूप में अभिव्यक्त किए गए हैं।
वे इस बात का उल्लेख हमारी कमी के रूप में कर रहे हैं। किंतु यह बात उनकी अनभिज्ञता और पूर्वाग्रह की ओर ही इशारा करती है। उन्हें अनुमान नहीं कि यह ज्ञान उस दौर से चला आया है जब वह अधिकांशत: लिखित रूप में उपलब्ध नहीं होता था और मौखिक रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को स्थानांतरित किया जाता था। हमारे विद्वानों ने इसके लिए संस्कृत का प्रयोग किया और अपने सूत्रों को पद्य में निबद्ध किया क्योंकि पद्य को याद रखना आसान होता है- विज्ञान के प्रमेयों, गणितीय फार्मूलों और गद्य की तुलना में। ज्ञान के आदान-प्रदान तथा हस्तांतरण का वह मार्ग भी अपने दौर के लिहाज से वैज्ञानिक मानस का परिचायक है।
वैज्ञानिक मानस का अर्थ है- नया जानने की उत्कंठा, तथ्यों और तर्कों को महत्ता देने की प्रवृत्ति, सवाल पूछने का साहस, और प्रयोगों तथा प्रमाणों की कसौटी पर कसने के बाद ही किसी बात पर विश्वास करने का नजरिया। वैज्ञानिक मानस से युक्त व्यक्ति पहले से प्रचलित धारणाओं को आंख मूंदकर स्वीकार नहीं करता और न ही किसी बड़े या प्रभावशाली व्यक्ति के कहने से प्रभावित होता है।
वैज्ञानिक मानस शब्द भारत से ही आया है। विश्व में ‘साइंटिफिक एटीट्यूड’ और ‘साइंटिफिक मैथड’ जैसे शब्दों का प्रयोग होता रहा है। हालांकि इनकी परिभाषा और अर्थ काफी हद तक वैज्ञानिक मानस से मिलता-जुलता है किंतु ‘वैज्ञानिक मानस’ शब्द अधिक गहरे और व्यापक अर्थों में प्रयुक्त किया गया है। साइंटिफिक मैथड शब्द व्यकितगत स्तर पर प्रयुक्त किए जाने वाले तौर-तरीकों की ओर इशारा करता है जबकि वैज्ञानिक मानस सामूहिकता की ओर इशारा करता है जैसे एक राष्ट्र या समाज।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वैज्ञानिक मानस की महत्ता को रेखांकित किया है। कारण यह कि वैज्ञानिक मानस का प्रसार एक व्यक्ति, समाज और देश के स्तर पर हमारा कायाकल्प करने की क्षमता रखता है। देश पहले ही तेजी से प्रगति कर रहा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी का मार्ग इस प्रगति को और गति देने में सक्षम है।
वैज्ञानिक मानस शब्द में विज्ञान का उल्लेख है किंतु वैज्ञानिक मानस से युक्त व्यक्ति विज्ञान की पृष्ठभूमि से आए, यह आवश्यक नहीं है। वह शिक्षित हो, यह भी आवश्यक नहीं है। वैज्ञानिक मानस का अर्थ है- नया जानने की उत्कंठा, तथ्यों और तर्कों को महत्ता देने की प्रवृत्ति, सवाल पूछने का साहस, और प्रयोगों तथा प्रमाणों की कसौटी पर कसने के बाद ही किसी बात पर विश्वास करने का नजरिया। वैज्ञानिक मानस से युक्त व्यक्ति पहले से प्रचलित धारणाओं को आंख मूंदकर स्वीकार नहीं करता और न ही किसी बड़े या प्रभावशाली व्यक्ति के कहने से प्रभावित होता है।
वह तार्किक सोच रखता है और हर घटना के पीछे के कारणों को खोजता है। तर्क और प्रमाण की कसौटी पर कसता है। एक कम शिक्षित व्यक्ति भी वैज्ञानिक मानस से युक्त हो सकता है, जैसे कि हमारे यहां जुगाड़ नामक वाहन का उदाहरण है। परिवहन की समस्या के समाधान के लिए कैसे छोटे-छोटे गांवों में कम शिक्षित लोगों ने प्रयोगशीलता तथा कल्पनाशीलता का प्रयोग करते हुए यह कामचलाऊ वाहन तैयार कर लिया। दूसरी तरफ, बड़े-बड़े नेता और वैज्ञानिक भी अंधविश्वासों को मानते रहे हैं। उत्तर प्रदेश के कितने ही मुख्यमंत्रियों ने नोएडा का दौरा नहीं किया क्योंकि उन्हें डर था कि इससे उनकी कुर्सी पर खतरा आ सकता है। हालांकि वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अंधमान्यता का खंडन कर दिखाया।
किसी भी बात पर आंख मूंद कर विश्वास कर लेना अंधविश्वास है और उसका विपरीत है- वैज्ञानिक मानस। इससे युक्त व्यक्ति खुद से तथा दूसरों से सवाल पूछने की प्रवृत्ति तथा साहस रखता है- ऐसा होता है तो क्यों होता है, चीजें कैसे काम करती हैं, इस तरह से क्यों काम करती हैं, इन्हें कैसे बेहतर किया जा सकता है, मैं कैसे इनके बारे में ज्यादा जानकारी हासिल कर सकता हूं, मैं कैसे इससे खुद लाभान्वित हो सकता हूं तथा दूसरों को लाभ पहुंचा सकता हूं। किसी का यह कथन क्या सच है? क्या इसे प्रमाणित करने के लिए कोई साक्ष्य उपलब्ध है?
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में निदेशक- भारतीय भाषाएं
और सुगम्यता के पद पर कार्यरत हैं।)
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