राष्ष्टीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के निमंत्रित सदस्य और वरिष्ठ प्रचारक श्री हस्तीमल जी का 14 जनवरी को उदयपुर में निधन हो गया। 77 वर्षीय हस्तीमल जी कुछ समय से अस्वस्थ थे और जयपुर में उनकी चिकित्सा चल रही थी। कुछ दिन पहले ही उन्हें उदयपुर ले जाया गया था। उनका जन्म श्रावण शुक्ल चतुर्थी, संवत् 2002 (1945) को तत्कालीन उदयपुर जिले (वर्तमान राजसमंद जिले) के आमेट कस्बे में हुआ था।
उन्होंने 1969 में संस्कृत से स्नातक की उपाधि ली थी। वे किशोरावस्था में ही संघ के स्वयंसेवक बन गए। उच्चतर माध्यमिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने नागपुर में संघ का तृतीय वर्ष प्रशिक्षण प्राप्त किया और प्रचारक निकल गए। उसके बाद अगले एक दशक तक उदयपुर में संघ के विभिन्न उत्तरदायित्वों को निभाया। 1974 में वे जयपुर भेजे गए।
आपातकाल के बाद भी उनका केंद्र जयपुर ही रहा। इस दौरान उन्होंने विभाग प्रचारक, संभाग प्रचारक, सह प्रांत प्रचारक, प्रांत प्रचारक, क्षेत्रीय सह प्रचारक और क्षेत्रीय प्रचारक का दायित्व निभाया। जुलाई, 2000 में उन्हें अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख की जिम्मेदारी मिली। 2004 से 2015 तक वे अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रहे। इसके बाद अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल से जुड़े।
आपातकाल के दौरान जयपुर के विभाग प्रचारक थे श्री सोहन सिंह और नगर प्रचारक (सायं) थे हस्तीमल जी। ये दोनों भूमिगत आंदोलन का नेतृत्व कर रहे सक्रिय थे। पुलिस दोनों को कई दिनों तक खोजती रही। एक दिन जौहरी बाजार क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की बैठक थी। दोनों मोटरसाइकिल से वहां पहुंचे ही थे कि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जयपुर की सेंट्रल जेल भेज दिया।
आपातकाल में यातनाओं को सहने के बाद वे और दृढ़ हो गए। इसी दृढ़ता के साथ उन्होंने राजस्थान में लगभग चार दशक तक संघ कार्य किया। उन्होंने अनेक कार्यकर्ताओं को भी गढ़ा, जो आज विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। पाक्षिक पत्रिका ‘पाथेय कण’ को प्रारंभ करने में भी उनकी मुख्य भूमिका रही। ऐसे कर्मयोगी स्व. हस्तीमल जी को पाञ्चजन्य परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि।
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