मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारतीय फॉरेस्ट कैडर के अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं कि वो जंगलों से धार्मिक स्थलों के अवैध कब्जे तुरंत हटाएं। सीएम धामी का संकेत उत्तराखंड के जंगलों में चल रहे मजार जिहाद की तरफ था। उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा करवाए एक सर्वे में ये जानकारी सामने आई है कि पिछले बीस सालों में उत्तराखंड की वन भूमि पर अवैध कब्जे कर तेरह सौ से ज्यादा मजारें बना दी गई हैं और यहां संदिग्ध लोगों की गतिविधियां नोटिस में आई हैं।
मुख्यमंत्री धामी उत्तराखंड के आईएफएस एसोसिएशन के सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने पहुंचे थे, जहां अपने संबोधन में सीएम धामी ने कहा वन भूमि पर अतिक्रमण की शिकायतें लगातार मिल रही हैं, वहां धर्मस्थल खास कर मजारों के नाम पर अतिक्रमण किया जा रहा है। ऐसे अतिक्रमण पर सख्त कार्रवाई की जाए। वन भूमि पर किसी को भी अतिक्रमण नहीं करने दिया जाए।
सीएम का मजार जिहाद पर गंभीर रुख साफ दिखाई दिया। वे अपने संबोधन में इस बात के लिए साफ तौर पर नाराज दिखे कि ये मजारें किसके संरक्षण में बनती रहीं, कौन इसके लिए जिम्मेदार है। उल्लेखनीय है कि ‘पाञ्चजन्य’ ने सबसे पहले इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था। उत्तराखंड में मजार जिहाद का आलम ये है कि जिस रिजर्व फॉरेस्ट में आम इंसानों के जाने पर पाबंदी है वहां भी मजारें बना दी गईं। ऐसे उदाहरण जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व और राजा जी टाइगर रिजर्व में देखने में आए हैं।
शासन द्वारा पुलिस और वन विभाग से अलग-अलग इस विषय पर जांच करवाई गई और इसे बाकायदा क्रॉस चेक किया गया, जिसमें ये जानकारी सामने आई कि करीब तेरह सौ अवैध मजारें बना दी गई हैं। ये किसी सूफी या बाबा की मजारें नहीं है, बल्कि मिट्टी के टीले और चबूतरे बनाकर झाड़ फूंक का धंधा करने बाहरी प्रदेशों के मुस्लिम आकर यहां कब्जा कर रहे हैं। पुलिस ने तो शासन को भेजी अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि इन अवैध मजारों में अपराधिक प्रवृति के संदिग्ध लोग पनाह लेते हैं और यहां नशेड़ी भी पकड़े जाते रहे हैं।
बहरहाल सीएम धामी ने जिस तरह से वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं उससे जाहिर होता है कि वो भी इस मजार जिहाद से चिंतित हैं। एक खास बात और मुस्लिम देवबंदी मजारों को नहीं मानते है और बरेलवी समुदाय के लोग मानते हैं, उत्तराखंड में बरेलवी समुदाय के लोग मजार जिहाद में लगे बताए गए हैं।
ऐसे शुरू होता है मजार जिहाद
पुलिस और वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अवैध मजारें कोई एक दिन में नहीं बन जातीं, इसके लिए बाकायदा पहले रेकी की जाती है। जंगल में ऐसी सूनसान जगह देखी जाती है, जो कि मुख्य मार्ग से नहीं दिखती हो, पहले मुख्य सड़क के पेड़ो पर हरे कपड़े बांध दिए जाते हैं, फिर रास्ते में पत्थरों को रखकर चूना लगाकर रास्ता बना दिया जाता है। जहां मजार बनानी होती है वहां पहले मिट्टी का टीला बनाया जाता है। उस पर पत्थर आदि रखकर चादर डाल कर अगरबत्ती, दीया जलाया जाता है। जब इसका कोई विरोध नहीं करता तो एक झोपड़ी बना दी जाती है। एक-दो लोग आकर रहने लगते हैं। जब झोपड़ी नहीं हटती तो धीरे-धीरे मजार का चबूतरा और फिर झोपड़ी पक्की इमारत में तब्दील हो जाती है। ये कब्जेदार बड़ी चालाकी से आसपास के हरे पेड़ों की जड़ों में चूने का पानी डालते रहते हैं ताकि पेड़ सूख जाएं।
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