अपने सहयोगी राजद के विरोध के बावजूद नीतीश कुमार समस्या ‘समाधान यात्रा’ कर रहे हैं, लेकिन अपने संभावित विरोध को देखते हुए वे ज्यादातर लोगों की समस्या ही नहीं सुन रहे हैं। इसलिए भाजपा ने पूछा है कि ऐसे में किसी समस्या का समाधान कैसे निकलेगा!
इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक यात्रा कर रहे हैं। यात्रा का नाम है—समाधान यात्रा। इसका उद्देश्य है लोगों की समस्याएं सुनना और उनका समाधान करना, लेकिन कल जब वे चंपारण पहुंचने वाले थे, तो उससे पहले सैकड़ों युवाओं को उनके घरों पर नजरबंद कर दिया गया। इस पर भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि क्या युवाओं को घरों में बंद रखना समस्या का समाधान है!
ये वे युवा हैं, जिन्होंने सचिवालय सहायक पद के लिए परीक्षा दी है। कुछ ऐसे भी युवा हैं, जिन्होंने शिक्षक नियुक्ति के लिए आवेदन किया है। परीक्षा में गड़बड़ी होने के कारण युवा चाहते हैं कि परीक्षा रद्द कर फिर से परीक्षा ली जाए। इस मांग के लिए दो—तीन दिन पहले पटना में बड़ी संख्या में छात्रों ने प्रदर्शन किया था। छात्रों की मांग को सुनने के बजाए, उन्हें पुलिस द्वारा जम कर पिटवाया गया। यही नहीं, जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह ने छात्रों के घावों पर नमक भी छिड़क दिया। उन्होंने पुलिस की इस बर्बरता का पक्ष लेते हुए कहा कि कानून—व्यवस्था को बनाए रखने के लिए यह कार्रवाई जरूरी थी। उन्होंने यह भी कहा कि पहली बार तो पुलिस ने लाठी नहीं चलाई है। अन्य राज्यों में भी पुलिस लाठी चलाती रहती है।
इस कारण छात्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज हैं। छात्रों का कहना है कि इसलिए चंपारण पहुंचने से पहले नीतीश कुमार ने वहां के छात्रों को नजरबंद करवाया।
शायद छात्रों के गुस्से को देखते हुए ही राजद नेता शिवानंद तिवारी ने नीतीश कुमार से कहा था कि अभी वे यात्रा न करें। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा था कि इस समय ठंड बहुत है, लेकिन नीतीश कुमार ने उनकी बात नहीं मानी और निकल पड़े यात्रा पर। अब वे समस्याओं से ही दूर भाग रहे हैं।
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