रेलवे स्टेशन और रेल लाइन किनारे अवैध रूप से बसे सवा चार हजार से ज्यादा परिवारों को अपने कब्जे या तो छोड़ने होंगे या फिर इन्हे हटाया जाएगा। ऐसा हाई कोर्ट का आदेश है जिसकी मुनादी रेलवे और नगर प्रशासन करवा चुका है। अवैध कब्जेदारो ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय का रुख किया है जहां अब पांच जनवरी को सुनवाई होनी है।
कौन है अवैध कब्जेदार ? कैसे और कब बसे ?
रेलवे की जमीन पर चार हजार से ज्यादा लोग कैसे और कब आकार काबिज हुए इसके लिए आजादी के आसपास का इतिहास देखना पड़ता है। रेलवे लाइन के दूसरी तरफ गौला नदी बहती है इस नदी से जो पत्थर निकलता था उसको तोड़ कर रेलवे लाइन पर बिछने वाली गिट्टी बनाई जाती थी, अंग्रेजी शासन काल में और इसके बाद भी ये काम यहां होता था और ये गिट्टी फिर माल गाड़ी में भरकर मैदानों को भेजी जाती थी। इस काम के लिए रामपुर के ठेकदारों के मजदूर यहां लाए गए थे और वे नदी किनारे ये काम करते थे और वे फिर यहीं झोपड़ियां बना कर रेल लाइन के पास रहने लगे। इन झोपड़ियों ने धीरे धीरे पक्के मकानों का रूप ले लिया। रेलवे स्टेशन के बराबर में गफूर बस्ती जिसे ढोलक बस्ती भी कहा जाता है, यहां ढोलक बनाने वाले खाना बदोश आकार रहते थे, गौला में मजदूरी की लालच में वे भी यहां आकर बस गए, वोट बैंक की राजनीति ने यहां उनके नाम वोटर लिस्ट में डलवा दिए और ये लोग अवैध कब्जेदार तो रहे लेकिन इन्हें राजनीतिक संरक्षण मिलने लगा। खास तौर पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का वोट बैंक ये इस लिए बन गए क्योंकि यहां काबिज ज्यादातर लोग मुस्लिम समुदाय से थे।
सालों से चल रहे है अवैध कब्जेदारी के मामले
रेलवे और यहां कब्जेदारी में रह रहे लोगो के बीच इज्जत नगर रेलवे महाप्रबंधक के यहां,जिला अदालत से लेकर हाई कोर्ट,सुप्रीम कोर्ट तक कई मामले पिछले पैंतीस सालो से चल रहे थे, अवैध रूप से बसे लोगो का कोई संगठन नहीं था इस लिए हर कोई अपने अपने केस की पैरवी करता रहा, जो नोटिस मिलने के बाद कोर्ट नही गए उनके खिलाफ एक तरफा निर्णय हो गए। यही लोग आज ये कह रहे है कि कोर्ट में हमारी सुनवाई नहीं हुई। जबकि 2007 में भी ये मामला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गया तब प्रशासन और सरकार की इच्छा शक्ति इस मामले में जवाब दे गई, 2016 से ये मामला एक जनहित याचिका दायर होने के बाद से खुलने लगा और इस बार हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया । कुछ साल पहले जो लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को कहा था कि सबके पक्ष को सुना जाए, वहां सुनवाई भी हुई, कुछ लोग कोर्ट भी पहुंचे कुछ आर्थिक वजहों से नही गए और अब जब हाई कोर्ट ने जमीन खाली करने का फैसला सुना दिया तो मुद्दा मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति से जोड़ कर देखा जाने लगा, जबकि हकीकत ये है अवैध कब्जेदारों में हिंदू समुदाय के लोग भी है और इनके मंदिर भी और स्कूल भी है।
रेलवे की जमीन की हद
अभी तक हल्द्वानी या काठगोदाम में दिन में चार या पांच ट्रेन ही आती है जिनके खड़े करने की जगह रेलवे के पास नही है,कुछ ट्रेन हाथो हाथ वापसी करती है ,रेलवे अपनी जगह खाली करवा कर वहां ट्रेन पार्किंग, उनकी सफाई की व्यवस्था करना चाहता है, यही वजह है कि उसने अपनी जगह खाली करवाने के लिए आ रहे करीब २३ करोड़ रु के खर्च को जिला नैनीताल प्रशासन के समक्ष जमा करवाया है और हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट तक कई बरस तक इस लड़ाई को लड़ा है। रेलवे स्टेशन से करीब २.२ किमी तक पटरी किनारे 4365 अवैध कब्जेदार सन 2016 से रेलवे ने चिन्हित कर नोटिस दिए थे। पटरी से पन्द्रह मीटर दोनो तरह रेलवे अपनी जमीन खाली करवाना चाहता हैं। जिसकी पैमाईश करीब 29 एकड़ बताई गई है।
अब फिर से सुप्रीम कोर्ट की तरफ नजर
रेलवे की जमीन से अवैध कब्जे हटाने के लिए जहां एक ओर प्रशासन ने कमर कसी हुई है वहीं स्थानीय कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश पीड़ित पक्ष को साथ लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए है। स्वाभाविक है कि ये एक बड़ा कांग्रेस का वोट बैंक है, कांग्रेस के दिग्गज नेता सलमान खुर्शीद इसकी सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे है, कोर्ट में पांच जनवरी को सुनवाई होनी है। लोगो की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की ओर लगी हुई है, यहां 4365 परिवारों के करीब पंद्रह हजार लोगो को यहां से हटना है या रुकना है ये कोर्ट के आदेश पर निर्भर रहेगा।
मीडिया पर अलग अलग है प्रचार
सोशल मीडिया पर प्रभावित मुस्लिम लोगो की संख्या पच्चास हजार तक बताई जा रही है जबकि ये संख्या मुस्लिम समुदाय की करीब दस हजार है और करीब दो हजार हिंदू समुदाय से है।अतिक्रमण की जद में निजी भवन ही नही,स्कूल, मस्जिद मजार मंदिर भी है। जब आंदोलन होता है तो उसमे हर मुस्लिम परिवार कों शामिल होने का आह्वान किया जाता है जिसकी वजह से सोशल मीडिया में भीड़ ज्यादा दिखती है, जिसको लेकर मुस्लिम नेता और एक्टिविस्ट अपने नेरेटिव का खेल खेल रहे है।
पुलिस प्रशासन है तैयार : आईजी नीलेश भरणे
हल्द्वानी- रेलवे अतिक्रमण को लेकर पुलिस ने पूरी की अपनी सभी तैयारी पूरी कर ली है।आईजी कुमाऊँ नीलेश आनंद भरणे ने जानकारी देते हुए बताया कि 14 कंपनी पैरामिलिट्री और पांच कंपनी रैपिड एक्शन फोर्स की मांग हमने की थी, फोर्स आने लगी है और 8 जनवरी तक पूरी फोर्स हल्द्वानी पहुंच जाएगी। उन्होंने बताया कि गढ़वाल रेंज से भी पुलिस के अधिकारी और सिपाहियों की मांग की गई है।
माहौल खराब करने कोशिश करने वालों को भी चिन्हित किया जा रहा है। बनभूलपुरा क्षेत्र के सभी असलहे जमा करवा लिए गए है। हिस्ट्रीशीटर लोगो की परेड करवाई जा रही है। सोशल मीडिया की भी लगातार पूरी मॉनिटरिंग की जा रही है। उन्होंने बताया माहौल खराब करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी हम ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से हालात पर नजर रखी हुई है।
आईजी डा.नीलेश भरणे ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों का पूरी तरह से पालन कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि बेहतर तो यही है मुनादी हो जाने के बाद लोग खुद ही अपना अवैध कब्जा छोड़ दे।
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