पशु तस्कर झारखंड के रास्ते बांग्लादेश तक गोवंश ले जा रहे हैं, लेकिन राज्य का प्रशासन खुद से कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। गोतस्करों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई न होने से उनका दुस्साहस बढ़ता जा रहा है।
झारखंड में गोतस्करी को लेकर सरकार का नरम रवैया निरंतर तस्करों का मनोबल बढ़ा रहा है। हर जिले में गोतस्कर पकड़े जा रहे हैं, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। ताजा मामला दुमका के सरैयाहाट थाना क्षेत्र का है। गोड्डा के सांसद डॉ निशिकांत दुबे 28 दिसंबर की सुबह तकरीबन 4 बजे सड़क मार्ग से देवघर से भागलपुर की ओर जा रहे थे। इसी दौरान सरैयाहाट थाना क्षेत्र के बुढ़वाकुरा के निकट उन्होंने देखा कि कुछ लोग काफी संख्या में गोवंश हांकते हुए ले जा रहे हैं। इसे देखते ही सांसद ने इसकी सूचना सरैयाहाट थाने की पुलिस को दी। इसके बाद पुलिस ने सभी पशुओं को जब्त किया और पशु चिकित्सा पदाधिकारी शंकर टुडू के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की।
पता चला है कि गोतस्कर 185 गोवंश को बंगाल के रास्ते बांग्लादेश की सीमा तक ले जा रहे थे। वहां से ये पशु बांग्लादेश ले जाए जाते। सरैयाहाट के थाना प्रभारी विनय कुमार के अनुसार इस मामले में सात लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। इनमें से दो मोइनुद्दीन शेख और अली हुसैन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। बाकी हैं—खुर्शीद शेख, नसरुद्दीन शेख, शाहबुद्दीन शेख, इश्तिहार शेख और रईस शेख। ये सभी सरैया थाना क्षेत्र के पथरा गांव के निवासी हैं। इन लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। गोवंशों की देखभाल की जिम्मेदारी स्थानीय ग्रामीणों को दी गई है।
निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि राज्य में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संरक्षण में पशु तस्करी हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक वे सरैयाहाट में लगभग 10,000 से अधिक गोवंशों को बचा चुके हैं। इसके बाद भी इस मामले पर न तो सरकार संज्ञान ले रही है और न ही प्रशासन सक्रिय हो पा रहा है।
आपको बता दें कि हाल ही के दिनों में कुछ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि गोतस्करों के विरुद्ध पुलिस प्रशासन को कोई कार्रवाई नहीं करनी है और अगर कार्रवाई आवश्यक हो तो यह सब पशुपालन अधिकारी की मौजूदगी में हो। इसे लेकर भी विपक्ष ने निशाना साधा था और इसे तुष्टीकरण मानते हुए विरोध किया था। विपक्ष का कहना था कि सरकार अब खुलकर पशु तस्करों का समर्थन करने लगी है और अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में झारखंड का कोई भी पशु सुरक्षित नहीं रहेगा।
पशु तस्करों का दुस्साहस.
झारखंड में पशु तस्कर पुलिस पर भी हमले करने से नहीं चूकते हैं। अभी कुछ दिन पहले ही खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड के रोड़ो गांव में ऐसा ही हुआ था। बता दें कि यह गांव वर्षों से गोकशी और गोतस्करी के लिए कुख्यात रहा है। इसी मामले में तोरपा पुलिस एक अभियुक्त इजहार अंसारी उर्फ कल्लू को पकड़ने के लिए पहुंची थी। इस दौरान कल्लू के अब्बा 82 वर्षीय निजामुद्दीन अंसारी की मौत दिल का दौरा पड़ने से हो गई थी। इस मौत की आड़ में गांव वालों ने इजहार को पकड़ने आई पुलिस को बंधक बना लिया। रात में कई वरिष्ठ अधिकारियों के पहुंचने के बाद इन सभी को छोड़ा गया। इजहार तो नहीं पकड़ा गया, लेकिन अगले दिन कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाडी गांव वालों के समर्थन में आ गए। इसका नतीजा यह हुआ कि पुलिस अधिकारी सत्यजीत कुमार को लाइन हाजिर कर दिया गया।
ऐसी ही एक और घटना रांची जिले के तुपुदाना थाना क्षेत्र के अंतर्गत हुई थी। यहां गोतस्करों को पकड़ने के लिए पुलिसकर्मी संध्या टोपनो अपनी टीम के साथ खड़ी थी। उन्होंने तस्करों को रुकने का इशारा किया, लेकिन तस्करों ने संध्या टोपनो पर ही गाड़ी चढ़ा कर उनकी हत्या कर दी।
इन घटनाओं को देखते हुए पिछले दिनों रांची के सांसद संजय सेठ ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान गोतस्करी के मामले को उठाया था। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि गोतस्करी को राष्ट्रीय अपराध घोषित किया जाए और इसके लिए कठोर कानून बनाया जाए।
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