यह एक धारणा बनाई गई है कि भारत सिर्फ कृषि प्रधान देश था। भारत सिर्फ कृषि प्रधान देश नहीं था। भारत की दीर्घकालीन सभ्यता बताती है कि हमारे यहां 64 प्रकार की कलाएं थीं। उद्योग भी बड़े स्तर पर था। हम दुनिया के साथ व्यापार करते थे।धर्मपाल जी ने भारत के संदर्भ में बहुत शोधपूर्ण लेखन किया है। उनकी एक पुस्तक में बताया है कि 18वीं शताब्दी में भारत में विज्ञान एवं उद्योग के क्षेत्र में प्रगत देश था। विल डूरंट ने आंकड़ों के साथ बताया है कि अंग्रेजों ने भारत के उद्योगों को किस तरह लूटा है। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कही। वे स्वदेशी जागरण मंच के स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत भोपाल सहित 16 जिलों के जिला रोजगार सृजन केंद्रों के लोकार्पण एवं शुभारंभ अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।
भोपाल स्थित शिवाजी नगर स्थित सी-13 में सर्वप्रथम सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने मंत्रोच्चोर के बीच रोजगार सृजन केंद्र का विधिवत शुभारंभ किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के उप–मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओमप्रकाश , स्वावलंबी भारत अभियान के अखिल भारतीय सह–समन्वयक जितेंद्र गुप्त और स्वदेशी जागरण मंच मध्य भारत प्रान्त की महिला कार्य प्रमुख प्रतिभा चतुर्वेदी उपस्थित रहे।
श्री होसबाले ने कहा कि भारत में स्थानीय स्तर पर भी लोगों को रोजगार मिलने की व्यवस्था थी। लेकिन हम किन्हीं कारणों से रोजगार के मामले में पिछड़ गए। स्वतंत्र भारत में अपने पैरों पर खड़े होने के जो प्रयत्न होने चाहिए थे, नहीं हुए। हमें आज विचार करना चाहिए कि कैसे हम अपने स्तर पर रोजगार को बढ़ाने के प्रयास कर सकते हैं। रोजगार के लिए एक इकोसिस्टम बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि वे स्वरोजगार के लिए शासकीय सहायता चाहने वाले युवाओं को हतोत्साहित न करें। बल्कि उन्हें ठीक प्रकार से मार्गदर्शन दें, उन पर भरोसा करे और उन्हें प्रोत्साहित करें। समाज में भी स्वरोजगार के प्रति सकारात्मक वातावरण बनना चाहिए, भले ही वह स्वरोजगार कितना ही छोटा हो। भारत को स्वावलंबी बनाने का यह अभियान समूचे समाज का अभियान बनना चाहिए।
सरकार्यवाह होसबाले ने कहा कि कोरोना के दौरान अपने गांव लौटे लोगों को राष्ट्रीय विचार के संगठनों ने कौशल का प्रशिक्षण दिया ताकि वे अपने ही स्थान पर कार्य कर सकें, उन्हें बड़े शहरों की ओर न भागना पड़े। परंपरागत कौशल में नई टेक्नोलॉजी को जोड़कर हम लोगों के कौशल को और प्रभावी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को स्वावलंबी बनाने के लिए क्रिएशन ऑफ वेल्थ, स्किल एन्हांस और क्रिएशन ऑफ जॉब्स पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पूर्व तो भारत के अनेक लोगों ने भारत को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने का विचार किया लेकिन स्वतंत्रता मिलने के बाद इस दिशा में भारतीय दृष्टि के अनुकूल समुचित प्रयास नहीं हुए। हमने जिस प्रकार समाजवाद और मिश्रित अर्थव्यवस्था के मार्ग को अपनाया, उसके कारण कहीं न कहीं हम पिछड़ गए। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा स्वतंत्रता संग्राम केवल अंग्रेजों से स्वतंत्रता कराने तक सीमित नहीं था अपितु सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी हम स्वतंत्रतापूर्वक अपनी भारतीय दृष्टि से काम करें, यह हमारे लोगों ने विचार किया था।
इससे पूर्व मुख्य अतिथि ओमप्रकाश ने कहा कि खादी ग्राम उद्योग भारत सरकार का स्वरोजगार देनेवाला सबसे प्रमुख प्रकल्प है। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार दिया जा रहा है। उन्होंने बताया की भारत सरकार लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित कर रही है और इसके लिए उन्हें सहायता प्रदान कर रही है।
इसके साथ ही स्वावलंबी भारत अभियान के अखिल भारतीय सह–समन्वयक जितेंद्र गुप्त ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य भारत को स्वावलंबन की ओर ले जाना है। भारत के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक क्षेत्र के 24 संगठनों ने भारत को स्वावलंबी बनाने का संकल्प लिया है। स्वावलंबी भारत का निर्माण चार चरणों में काम करने से संभव हो सकता है– विकेंद्रीकरण, उद्यमिता, सहकारिता और स्वदेशी (स्थानीय उत्पाद)। इस दिशा में पहले देशभर में रोजगार के प्रति जनजागरण किया गया और रोजगार सृजन केंद्रों को शुरू कर उनके माध्यम से स्वरोजगार की जानकारी देने के केंद्र विकसित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन केंद्र की मूल भावना है कि नौकरी की अपेक्षा युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना और स्वरोजगार के संबंध में आवश्यक जानकारी प्रदान करना। नौकरियों की भी जानकारी यहां दी जाएगी लेकिन नौकरी रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम नहीं बन सकती। रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम तो स्वरोजगार ही है।
ये काम करेंगे रोजगार सृजन केंद्र
रोजगार सृजन केंद्रों का संचालन स्वदेशी जागरण मंच के स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत किया जाएगा। ये केंद्र स्वयं रोजगार देने का का कार्य नहीं करेंगे बल्कि फेसिलिटी सेंटर या कंसलटेंसी एजेंसी की तरह कार्य करेंगे। इन केंद्रों पर युवाओं को सरकारी, गैर सरकारी, निजी क्षेत्र और औद्योगिक क्षेत्रों में नौकरियों के अवसरों की जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही विशेषज्ञों द्वारा रोजगार के क्षेत्रों और अवसरों के बारे में युवाओं का मार्गदर्शन किया जाएगा। वहीं शासन की रोजगार योजनाओं की पूर्ण जानकारी भी इन केंद्रों से मिल सकेगी। ये सभी केंद्र दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय से जुड़ेंगे। स्वावलंबी भारत अभियान में देश के 24 बड़े संगठन जुड़े हुए हैं। अभियान के अंतर्गत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी रोजगार संबंधी जानकारी मिल सकेगी। इसके लिए वेबसाइट mysba.co.in पर देशभर के रोजगार देने वाले और रोजगार पाने वाले समूह और लोग आपस में जुड़ सकेंगे। इसके लिए ऑनलाइन डिजिटल वालंटियर, डिजिटल कार्यकर्ता एवं डिजिटल पूर्णकालिक बन सकेंगे।
एक केंद्र का प्रत्यक्ष और 15 का वर्चुअल हुआ लोकार्पण
सरकार्यवाह श्री होसबाले ने भोपाल सहित मध्यभारत प्रांत के 16 शासकीय जिलों में रोजगार सृजन केंद्रों का लोकार्पण किया। भोपाल के केंद्र का प्रत्यक्ष और शेष 15 जिलों के केंद्रों का वर्चुअल लोकार्पण किया। इस दौरान सभी जिलों पर प्रत्यक्ष कार्यक्रम आयोजित हुआ और वहां बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित रहे। इस प्रकार भोपाल, विदिशा, रायसेन, सीहोर, राजगढ़ नर्मदापुरम, बैतूल, हरदा, अशोकनगर, गुना, शिवपुरी, दतिया, ग्वारलियर, भिंड, मुरैना और श्योपुर जिला केंद्रों पर रोजगार केंद्रों ने कार्य प्रारंभ कर दिया है।
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