चीन इन दिनों उबाल पर है। जनता ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ की सख्तियों से इस कदर परेशान आ चुकी है कि कम से कम 13 प्रमुख शहर उसके आक्रोश की तपिश झेल रहे हैं। चीन सरकार के विरुद्ध आक्रोशित नागरिक सड़कों पर उतरे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि बीजिंग से शुरू होकर ये प्रदर्शन अब धीरे—धीरे कई शहरों को अपनी चपेट में ले चुके हैं। पुलिस के लिए प्रदर्शनकारियों को काबू कर पाना भारी पड़ रहा है। लोगों में इतना गुस्सा है कि उस कम्युनिस्ट चीन में वे सत्ता और सीधे राष्ट्रपति शी जिनपिंग को कठघरे में खड़ा करने की ‘जुर्रत’ कर रहे हैं। ताजा समाचार है कि कल भी पूरी रात सड़कों पर जबरदस्त प्रदर्शन होते रहे।
दरअसल चीन में कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसे काबू करने के लिए सरकार ने जीरो टॉलरेंस नीति के तहत पाबंदियां और सख्त की हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि जिन शहरों में मामूली से केस हैं वहां भी सरकार की ऐसी सख्ती से लोग परेशान हैं। खाने—पीने की चीजों की भारी किल्लत और घरों में जबरन कैद किए जाने से उकता चुके लोग अब सीधे जिनपिंग सरकार को गद्दी से उतरने को कह रहे हैं। लोग नारे कर रहे हैं और लॉकडाउन को हटाकर ‘आजादी’ देने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है-‘हमें प्रेस, अभिव्यक्ति और आने—जाने की आजादी दी जाए। हमें हमारी आजादी दी जाए’।
चीन सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, कल यानी 27 नवंबर को देश में कोरोना के 40 हजार मामले पता चले हैं। अभी तक कोरोना मामले इतनी बड़ी संख्या में देखने में नहीं आए थे। चीन में आज सक्रिय कोरोना मामलों का आंकड़ा 3 लाख से अधिक पहुंच गया है। यही वजह है कि एक लंबे समय से जीरो टॉलरेस नीति अपनाई जा रही है। जिनपिंग सरकार ने कई तरह की कड़ी पाबंदियां लगाई हुई हैं। इनकी वजह से लोगों के घरों में न राशन है, न बच्चों को पिलाने के लिए दूध, न दवाएं हैं, न अस्पताल तक पहुंच की कोई सुविधा ही है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से सरकार ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में भी ऐसी सख्ती लागू की हुई है जहां कोरोना के मामले न के बराबर हैं, जैसे तिब्बत।
जीरो टॉलरेंस नीति और उसकी वजह से सख्त लॉकडाउन ने करीब 66 लाख लोगों को कई दिनों से उनके घरों में कैद किया हुआ है। खाने के लिए राशन लाना तक मुश्किल हो गया है। इतना ही नहीं, वहां रोज की जा रही कोविड जांच से भी लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। सरकारी कायदों की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध बेहद कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।
उल्लेखनीय है कि चीन में जीरो टॉलरेंस नीति को लागू हुए अब करीब दस महीने हो चले हैं। लेकिन अब लोग इससे उकताकर जबरन सड़कों पर उतर रहे हैं। वे खुलकर सांस लेना चाहते हैं। पाबंदियां को धता बताना चाहते हैं। उइगर मुस्लिम बहुल सिंक्यांग प्रांत में तो आक्रोश के भड़कने के पीछे 25 नवंबर की एक घटना बताई जा रही है। उस दिन वहां एक इमारत की 15वीं मंजिल आग की चपेट में आ गई थी। इस दुर्घटना में 10 लोग मारे गए। इसकी बड़ी वजह रही लॉकडाउन की वजह से समय पर राहत का न पहुंचना। नागरिकों ने गुस्से में आकर आरोप लगाया है कि अधिकारियों की लापरवाही उन लोगों की मौत की वजह बनी थी। इस घटना से गुस्साए लोग सारे प्रतिबंधों को भूलकर सड़कों पर उतर आए, जिन्हें काबू करना पुलिस के वश में नहीं रहा। जगह—जगह तोड़फोड़ किए जाने के भी समाचार मिले हैं।
हालांकि सुनने में यह भी आया है कि सरकार ने नए नियम बनाए हैं जिनमें प्रतिबंधों में थोड़ी राहत दी गई है। इसे आर्थिक हालात को सुधारने वाला बताया जा रहा है। लेकिन कोरोना के मामलों के बढ़ने पर स्थानीय प्रशासन अनेक सख्त नियमों को बनाए हुए है। इसीलिए वहां फिर से जीरो टॉलरेंस नीति की सख्ती ही अमल में लाई जा रही है। ऐसे में देश की राजधानी बीजिंग से शुरू हुए ये सरकार विरोधी प्रदर्शन शियान, उरुम्की, चोंगकिंग, वुहान, झेंगझाऊ, शिजियाझुआंग, कोरला, होटन, शंघाई, नानजिंग और ल्हासा तक पहुंच चुके हैं। लगातार तीन दिन से नागरिक सरकार विरोधी नारे लगा रहे हैं।
सिंक्यांग प्रांत में हो रहे प्रदर्शनों में ‘शी जिनपिंग कुर्सी छोड़ो’, ‘कम्युनिस्ट पार्टी सरकार छोड़ो’, ‘सिंक्यांग को अनलॉक करो’, ‘पीसीआर टेस्ट नहीं चाहिए, नहीं चाहिए’ और ‘प्रेस को आजाद करो’ जैसे नारे लगाते हुए लोग सड़कों पर धरने देकर बैठे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि चीन का मीडिया लोगों के विरोध प्रदर्शनों पर मूक बैठा है। विरोध से जुड़ी खबरें न छापी जा रही हैं, न दिखाई जा रही हैं। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख छापा है, जिसमें लिखा है कि पश्चिम का मीडिया जीरो कोविड नीति के विषय को ज्यादा ही तूल दे रहा है। अखबार लिखता है कि आपसी मतभेदों की वजह से पश्चिम के देश चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की आलोचना कर रहे है।
चीन की आर्थिक राजधानी माना जाने वाला शंघाई शहर तो जैसे उबल रहा है। शंघाई में लॉकडाउन और सख्ती से नाराजगी वाले हालात निश्चित रूप से देश को आर्थिक रूप से नुसान पहुंचाने वाले साबित हो रहे हैं। समाचार है कि अनेक देशों में बसे चीनी लोग वहां भी प्रदर्शन कर रहे हैं। जबकि चीन सकरार ऐसे समाचारों को फर्जी बता रहा है। लेकिन आयरलैंड के डबलिन शहर में, ब्रिटेन के शेफील्ड शहर में, कनाडा के टोरंटो शहर में तथा अमेरिका के सान फ्रांसिस्को शहर में ऐसे प्रदर्शन होने की खबरें आई हैं।
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