जयंती विशेष : आधुनिक भारत के ‘‘सरदार’’
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

जयंती विशेष : आधुनिक भारत के ‘‘सरदार’’

आचार्य चाणक्य के बाद यदि किसी ने संपूर्ण भारत के एकीकरण का स्तुत्य प्रयास किया तो वह लौह-पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल ही थे। उनके अप्रतिम साहसिक कार्यों के कारण कृतज्ञ राष्ट्र ने उन्हें ‘‘लौह पुरुष’’ और ‘‘सरदार’’ जैसे उपाधियों से अलंकृत किया।

by पूनम नेगी
Oct 31, 2022, 08:25 am IST
in भारत
लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

आज हम जिस विशाल भारत को देखते हैं, उसकी कल्पना भी सरदार वल्लभ भाई पटेल के बिना नहीं की जा सकती थी। आचार्य विष्णुगुप्त ( चाणक्य) के बाद यदि किसी ने संपूर्ण भारत के एकीकरण का स्तुत्य प्रयास किया तो वह लौह-पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल ही थे। आधुनिक काल  की बात करें तो जिस तरह जर्मनी के एकीकरण में ‘बिस्मार्क’ ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी; ठीक उसी तरह सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भी आजाद भारत को एक विशाल राष्ट्र बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया। नवीन भारत के निर्माता सरदार वल्लभ भाई पटेल सही मायने में राष्ट्रीय एकता के बेजोड़ शिल्पी थे। अप्रतिम साहसिक कार्यों के कारण कृतज्ञ राष्ट्र ने उन्हें ‘‘लौह पुरुष’’ और ‘‘सरदार’’ जैसे उपाधियों से अलंकृत किया।

वर्ष 1947 के पहले छह महीने भारत के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह वह दौर था जब साम्राज्यवादी शासन के साथ-साथ भारत का विभाजन अपने अंतिम चरण में था। तब यह तस्वीर पूरी तरह से साफ नहीं थी कि क्या देश का एक से अधिक बार विभाजन होगा? कीमतें आसमान पर पहुंच गई थीं, खाद्य पदार्थों की कमी आम बात थी। लेकिन सबसे बड़ी चिंता भारत की एकता को लेकर थी। इस पृष्ठभूमि में ‘गृह विभाग’ का गठन वर्ष 1947 के जून महीने में किया गया। इस विभाग का प्रमुख लक्ष्य देश की उन 565 रियासतों के भारतीय गणराज्य में विलय के साथ उनके रिश्तों के बारे में बातचीत करना था, जिनके आकार, आबादी, भू-भाग व आर्थिक स्थितियों में काफी भिन्नताएं थीं। उस समय महात्मा गांधी ने कहा था कि ‘राज्यों की समस्या इतनी ज्यादा विकट है कि सिर्फ ‘आप’ ही इसे सुलझा सकते हैं।’ काबिलेगौर हो कि यहां पर ‘आप’ से उनका आशय सरदार वल्लभभाई पटेल से था। समय काफी कम था और जवाबदेही बहुत बड़ी, लेकिन इसे अंजाम देने वाली शख्सियत भी कोई साधारण नहीं थी। सरदार पटेल इस बात के लिए दृढ़-प्रतिज्ञ थे कि वह किसी भी सूरत में राष्ट्र को झुकने नहीं देंगे। उन्होंने और उनकी टीम ने एक-एक करके सभी रियासतों से बातचीत कर उनको ‘आजाद भारत’ का अभिन्न हिस्सा बनाना सुनिश्चित किया। यह सरदार पटेल की दृढ़ इच्छाशक्ति, नेतृत्व कौशल और रणनीतिक चातुर्य का ही कमाल था कि 562 देशी रियासतों का भारत में विलय हो सका। जरूरत पड़ने पर वे कभी बल प्रयोग से भी नहीं चूके। हैदराबाद के निजाम ने जब एक भारत की अवधारणा को नहीं माना तो पटेल ने सेना उतारकर उसका घमंड चूर कर दिया। ‘ऑपरेशन पोलो’ नाम का यह सैन्य अभियान पूरी तरह सफल रहा और इस तरह हैदराबाद भारत का हिस्सा बन गया जूनागढ़ के लिए भी उन्होंने यही रास्ता अख्तियार किया। लक्षद्वीप समूह को भी भारत के साथ मिलाने में पटेल की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। सरदार पटेल कश्मीर को भी बिना शर्त भारत में जोड़ना चाहते थे पर नेहरू जी ने हस्तक्षेप कर कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दे दिया। नेहरू जी की हठधर्मिता के कारण कश्मीर की समस्या अंतर्राष्ट्रीय समस्या बन गयी। नेहरू जी अगर चाहते तो वह कश्मीर को भी सरदार पटेल को सौंप उसका पूर्ण विलय बिना किसी शर्त पर करा सकते थे।

31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में कृषक पिता झवेरभाई पटेल व माता लाडबा पटेल की चौथी संतान के रूप में जन्मे वल्लभ भाई पटेल  का समूचा जीवन संघर्षों में बीता। करमसद के प्राथमिक विद्यालय और पेटलाद स्थित उच्च विद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपनी अधिकांश शिक्षा स्वाध्याय से ही अर्जित की। जब वे 17 साल के थे तब उनकी शादी गना गांच की रहने वाली झावेर बा से हो गयी थी। 22 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा पास कर वह बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन गये। सन् 1913 में वापस आकर उन्होंने अहमदाबाद में एक वकील के रूप में अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू कर दी तथा शीघ्र ही सफल वकील के रूप में समूचे क्षेत्र में अपनी धाक जमा ली। बताते चलें कि यह वह समय था जब महात्मा गांधी देश की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आन्दोलन छेड़े हुए थे। सन् 1926 में उनकी भेंट गांधी जी से हुई और वे स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े।

साल 1928 में गुजरात में बारडोली सत्याग्रह हुआ जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने किया। यह प्रमुख किसान आंदोलन था। उस समय प्रांतीय सरकार किसानों से भारी लगान वसूल रही थी। सरकार ने लगान में 30 फीसदी वृद्धि कर दी थी। जिसके चलते किसान बेहद परेशान थे। वल्लभ भाई पटेल ने सरकार की मनमानी का कड़ा विरोध किया। सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश में कई कठोर कदम उठाए। लेकिन अंत में विवश होकर सरकार को पटेल के आगे झुकना पड़ा और किसानों की मांगे पूरी करनी पड़ी। दो अधिकारियों की जांच के बाद लगान 30 फीसदी से 6 फीसदी कर दिया गया। बारडोली में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्व करने के कारण उनका नाम ‘सरदार’ पड़ा। इस आंदोलन की सफलता पर हर्षित होकर गांधी जी ने कहा था कि जिस तरह रामकृष्ण परमहंस को विवेकानंद नाम का दुर्लभ नर रत्न मिला था, उसी तरह मुझे भी वल्लभ भाई के रूप में अमूल्य वस्तु प्राप्त हुई है। खेड़ा सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी ने सरदार पटेल के बारे में कहा था कि ”कई लोग मेरे पीछे आने के लिए तैयार थे, लेकिन मैं अपना मन नहीं बना पाया कि मेरा डिप्टी कमांडर कौन होना चाहिए। फिर मैंने वल्लभ भाई के बारे में सोचा।”

1932 में वल्लभभाई पटेल की माताजी का निधन हुआ, उस समय वल्लभभाई 16 माह की सजा के दौरान गांधीजी के साथ यरवदा जेल में थे। अंग्रेज उन्हें कुछ शर्तों के साथ उनकी माताजी के अंतिम संस्कार में जाने की छूट देने को तैयार थे, लेकिन सरदार उनकी शर्तों को मानने को तैयार नहीं हुए। इस प्रकार वह अपनी माँ अंतिम संस्कार तक में भी नहीं गये। बड़े भाई विट्ठलभाई के अंतिम संस्कार में भी इन्हीं शर्तों के कारण शामिल नहीं हुए। ऐसा था इस महामानव का चट्टानी व्यक्तित्व।

सरदार पटेल वस्तुतः भारत की राष्ट्रीय एकता के आधारभूत स्तंभ हैं।  स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री, गृहमंत्री व सूचना प्रसारण मंत्री रहे सरदार पटेल के योगदान को केवल देशी रियासतों के विलय तक सीमित करना उचित नहीं है। वे संविधान सभा की सलाहकार समिति और प्रांतीय संविधान समिति के अध्यक्ष थे और संचालन समिति व राज्य समिति में वे सदस्य के रूप में शामिल थे। बतौर गृहमंत्री सरदार पटेल जी ने ही भारतीय नागरिक सेवाओं का भारतीयकरण कर इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाएं (आईएएस) बनाया। सूचना और प्रसारण मंत्रालय का दायित्व निभाते हुए ‘ऑल इंडिया रेडियो’ की उर्दू सेवा शुरू करने का श्रेय भी सरदार पटेल को जाता है। उन्हीं के सशक्त मार्गदर्शन में देश में राष्ट्रवाद का मार्ग प्रशस्त हुआ क्योंकि उन्होंने लोगों को बड़ा सोचने पर विवश किया।

वे अनुभवी प्रशासक थे। उन्होंने अहमदाबाद में स्वच्छता कार्य को आगे बढ़ाने में सराहनीय कार्य किए। उन्होंने पूरे शहर में स्वच्छता और जल निकासी प्रणाली सुनिश्चित की। उन्होंने सड़क, बिजली तथा शिक्षा जैसी शहरी अवसंरचना के अन्य पहलुओं पर भी जोर दिया। आज यदि भारत जीवंत सहकारिता क्षेत्र के लिए जाना जाता है तो इसका श्रेय सरदार पटेल को जाता है। ग्रामीण समुदायों, विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाने का उनका विजन अमूल परियोजना में दिखता है। यह सरदार पटेल ही थे, जिन्होंने सहकारी आवास सोसायटी के विचार को लोकप्रिय बनाया और इस प्रकार अनेक लोगों के लिए सम्मान और आश्रय सुनिश्चित किया। वह किसान पुत्र थे और भारत के किसानों की उनमें प्रगाढ़ आस्था थी। श्रमिक वर्ग उनमें आशा की किरण देखता था तथा व्यापारी और उद्योगपतियों ने उनके साथ इसलिए काम करना पसंद किया, क्योंकि वे समझते थे कि सरदार पटेल भारत के आर्थिक और औद्योगिक विकास के विजन वाले दिग्गज नेता हैं। उनके राजनीतिक मित्र भी उन पर भरोसा करते थे। आचार्य कृपलानी का कहना था कि जब कभी वह किसी दुविधा में होते और यदि बापू का मार्गदर्शन नहीं मिल पाता था, तो वह सरदार पटेल का रुख करते थे।

इस अप्रतिम राष्ट्र नायक की बहुमूल्य विरासत का उत्सव मनाने के लिए समूचा देश प्रति वर्ष 31 अक्टूबर को उनकी जयंती एकता दिवस के रूप में मनाता है। बकौल प्रधानमंत्री मोदी, “आज हम कश्मीर से कन्याकुमारी, अटक से कटक और हिमालय से महासागर तक हर तरफ जो तिरंगा लहराता देख रहे हैं, उसका पूरा श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता ही है।”

Topics: सरदार पटेलआधुनिक भारत के ‘‘सरदार’’सरदार पटेल की जयंतीसरदार पटेल जयंती विशेषSardar Patel"Sardar" of modern IndiaSardar Patel's birth anniversarySardar Patel Jayanti special
Share27TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

कांग्रेस कार्यसमिति में सरदार पटेल को लेकर गढ़ा झूठा नैरेटिव

अकेली कम्युनिस्ट पार्टी पूरा चीन नहीं है!

भारतीय संविधान सभा का प्रथम दिन 9 दिसम्बर, 1946)। (दाएं से) बीजी खेर, सरदार वल्लभ भाई पटेल एवं उनके पीछे केएम मुंशी

वामपंथी और सोशलिस्ट संविधान सभा के विरोधी

सरदार पटेल को भारत रत्न देने में क्यों हुई देरी ?

बॉलीवुड की अनकही कहानियां : वह पहली फिल्म जिसका उद्घाटन सरदार पटेल ने किया

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी

‘एक देश, एक संविधान’ का संकल्प पूरा, अब ‘एक देश, एक चुनाव’ और ‘एक देश, एक समान नागरिक संहिता’ पर काम : पीएम मोदी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

लेफ्टिनेंट जनरल एमके दास, पीवीएसएम, एसएम
**, वीएसएम (सेवानिवृत्त)

‘वक्त है निर्णायक कार्रवाई का’ : पाकिस्तान ने छेड़ा अघोषित युद्ध, अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाएगा भारत

पाकिस्तान के मंसूबों का मुंहतोड़ जवाब देती भारत की वायु रक्षा प्रणाली, कैसे काम करते हैं एयर डिफेंस सिस्टम?

काशी विश्वनाथ धाम : ‘कोविलूर टू काशी’ शॉर्ट फिल्म रिलीज, 59 सेकेंड के वीडियो में दिखी 250 साल पुरानी परंपरा

उत्तर-दक्षिण भारत के सांस्कृतिक सेतु

पश्चिमी कृपा का आनंद लेने वाला पाकिस्तान बना वैश्विक आतंकवाद का केंद्र : मेलिसा चेन

कुमार विश्वास ने की बलूचिस्तान के आजादी की प्रार्थना, कहा- यही है पाकिस्तान से छुटकारा पाने का सही समय

‘ऑपरेशन सिंदूर’ युद्ध नहीं, भारत की आत्मा का प्रतिकार है : जब राष्ट्र की अस्मिता ही अस्त्र बन जाए!

यह युद्ध नहीं, राष्ट्र का आत्मसम्मान है! : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऑपरेशन सिंदूर को सराहा, देशवासियों से की बड़ी अपील

शाहिद खट्टर ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

मोदी का नाम लेने से कांपते हैं, पाक सांसद ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

ऑपरेशन सिंदूर पर बोले शशि थरूर– भारत दे रहा सही जवाब, पाकिस्तान बन चुका है आतंकी पनाहगार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies