पंछी द्वारा 18 किस्म के पेठे, कुरकुरी दालमोठ और अन्य 31 प्रकार का नमकीन बनाया जाता हैं, जो देश-विदेश में मशहूर हैं
आगरा की पहचान जितनी ताजमहल से है, उतनी ही यहां के नाम से जुड़ चुकी है पंछी पेठे की शान।आज सिर्फ आगरा ही नहीं, बल्कि भारत भर से उड़ान भरते हुए विदेशों तक जा पहुंचा है। 1926 में श्री पंचमलाल या पंछीलाल ने ‘पंछी पेठा’ की नींव डाली थी, जो अब ‘पंछी फूड्स’ के नाम से प्रचलित है।
पंछी पेठा के स्वामी गौरव गोयल ने पाञ्चजन्य को बताया कि गुणवत्ता से ही किसी ब्रांड का नाम होता है और वे इसे उत्तरोत्तर बढ़ाने में विश्वास रखते हैं। पंछी के उत्पादों को बनाने में विशेषज्ञ कारीगरों की टीम बेहद स्वच्छ वातावरण में तरह—तरह के स्वाद वाले व्यंजन तैयार करती है। यहां के पेठे को भारत के साथ ही अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और मध्य पूर्वी देशों में भी खूब पसंद किया जाता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि पेठा स्वाद ही नहीं, सेहत के लिए भी उतना ही पसंद किया जाता है। पेट को शीतल रखने, रक्तचाप को नियंत्रित रखने, पांडु रोग तथा पोषण के गुणों से भरपूर इसकी तासीर इसे एक विशेष वर्ग में पसंदीदा बनाती है। वहीं गजक का कारोबार सर्दियों में अधिक होता है, क्योंकि इसमें तिलहन, गुड़ आदि पदार्थों का समावेश किया जाता है। इसके अलावा पंछी की दालमोठ के तो कहने ही क्या। देश और दुनियाभर से आगरा घूमने आने वाले पर्यटक पेठे के अलावा यहां की दालमोठ जरूर लेकर जाते हंै। गौरव बताते हैं कि पंछी का नाम ही उसका सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी है।
आगरा ही नहीं, जहां भी पेठा बिकता है वह पंछी के नाम से ही बेचा जाता है। लेकिन पंछी के केवल पांच अधिकृत विक्रय केंद्र हैं, जिनमें 5 आगरा में और एक फतेहपुर सीकरी में है। पंछी द्वारा कुल18 किस्म के पेठे बनाए जाते हैं, जिनमें सबसे ज्यादा बिकने वाले सादे पेठे के अतिरिक्त पान पेठा, चॉकलेट पेठा, मेलोना पेठा, अंगूरी पेठा, केसर पेठा, शाही अंगूरी, चेरी पेठा, गुलाब लड्डू हैं। इसके साथ ही नमकीन की 31 किस्में हैं, जिनमें गुजराती सेव, नवरत्न मिक्सचर, शाही हींग, लौंग सेब और दालमोठ लोगों को खूब पसंद है। वहीं तिल, गुड़, मेवा और चीनी से बनी कुटैमा गजक का जायका भी लाजवाब है।
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