सभी उत्पाद देसी घी से बनते हैं। कुछ उत्पाद विदेश भी जाते हैं।
आज हैदराबाद में जब कोई मिठाई खरीदने की बात करता है, तो उसके मन में सिर्फ एक-‘जी. पुल्ला रेड्डी समूह’ नाम आता है। पूरे हैदराबाद में इस समूह की 16 दुकानें हैं। समूह के संस्थापक हैं जी. पुल्ला रेड्डी। 1948 में उन्होंने कुर्नूल में एक छोटी-सी मिठाई की दुकान शुरू की थी। शुरुआत में उन्हें बड़ी परेशानी हुई, लेकिन उनकी मेहनत ने उन्हें आगे बढ़ाया। अब वे इस दुनिया में नहीं हैं। उनके कारोबार को उनके पुत्र और विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष रहे श्री राघव रेड्डी संभाल रहे हैं।
श्री रेड्डी ने कुर्नूल में दुकान शुरू करने के पीछे की कहानी को इन शब्दों में बताया, ‘‘1948 में कुर्नूल में मिठाई की लगभग सभी दुकानें मुसलमानों की थीं। मेरे पिताजी के मौसा ने उन्हें एक दिन बुलाया और कहा कि मिठाई की दुकान खोलो। फिर उन्होंने तन, मन से मदद भी की। इस तरह दुकान का श्रीगणेश हुआ।’’ उन्होंने यह भी बताया कि कुर्नूल के बाद 1957 में हैदराबाद में एक दुकान खोली गई। जैसे-जैसे काम बढ़ा तो दुकानें और कर्मचारी भी बढ़े।
पिछले 65 वर्ष में हैदराबाद में 16 दुकानें हो गई हैं। इनसे लगभग 500 लोगों को रोजगार मिल रहा है। आज ‘जी. पुल्ला रेड्डी समूह’ की दुकानों में 86 प्रकार का नमकीन और मिठाइयां बनती हैं। मिठाइयों में गुड़ का काजू, गुजिया, मेवों के लड्डू, मैसूर पाक, पेपर स्वीट्स आदि प्रसिद्ध हैं। पेपर स्वीट्स का आवरण चावल के आटे का होता है और उसके अंदर घी, शक्कर या गुड़ भरा जाता है। इसकी बहुत अधिक मांग है।
श्री रेड्डी ने यह भी कहा कि इस कारोबार में सबसे अधिक चुनौती है गुणवत्ता को बनाए रखना। ग्राहक वही स्वाद चाहता है, जो उसे पहली बार मिला है। दूसरी चुनौती है नई-नई दुकानों के खुलने की। आए दिन कोई दुकान खुलती है और वह बाजार में पैठ बनाने के लिए कई तरह के पैंतरे अपनाती है। इसका असर पुराने दुकानदारों पर पड़ता है। इस समूह का हैदराबाद में सालाना कारोबार 120 करोड़ रु. का है। वहीं कुर्नूल में पांच दुकानें हैं और वहां सालाना लगभग 12 करोड़ रु. का व्यवसाय होता है।
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