अरब सागर में अमेरिका की जबरदस्त मारक परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बी की तैनाती सबको हैरान किए हुए है। बात हैरानी की है भी, क्योंकि अरब सागर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है, जहां से कई देश सीधे निशाने पर लिए जा सकते हैं। तो क्या अमेरिका का निशाना पाकिस्तान की ओर है, या चीन की ओर या फिर ईरान उसके निशाने पर है?
यह अमेरिकी पनडुब्बी भारत के तटवर्ती राज्य गुजरात की समुद्री सीमा तथा पाकिस्तान के जलक्षेत्र के नजदीक तैनात की गई है। इसीलिए माना जाता है कि अमेरिका ने चीन, ईरान और अपने दोस्त से दुश्मन बनने की तरफ बढ़ रहे सऊदी अरब को कड़ा संकेत देने की गरज से इस पनडुब्बी को तैनात किया है।
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि दुनियाभर में सामरिक तनाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अरब सागर में पाकिस्तान के जलक्षेत्र के पास अमेरिका के अपनी महाविनाशकारी परमाणु पनडुब्बी तैनात करने के अनेक संभावित कारणों पर बहस छिड़ी है। अमेरिका की परमाणु बमों से लैस मिसाइलों वाली इस पनडुब्बी ‘यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया’ का तैनात होना इसलिए भी छुपी बात नहीं है, क्योंकि इसकी सार्वजनिक घोषणा खुद अमेरिका द्वारा ही की जा चुकी है।
कुछ रक्षा विश्लेषकों का तो मानना है कि अमेरिका का यह घोषणा करना ही अपने में एक अनोखी बात है। कारण यह कि आमतौर पर अमेरिका यह खुलासा नहीं करता है कि उसकी परमाणु पनडुब्बी किस जगह पर गश्त कर रही है। अमेरिका की केन्द्रीय कमांड का कहना है कि ‘यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया’ परमाणु पनडुब्बी ओहियो वर्ग की है।
एक वरिष्ठ अमेरिकी सैन्य अधिकारी का कहना है कि उनकी परमाणु पनडुब्बी देश के परमाणु अस्त्र संपन्न तंत्र का सबसे खास हिस्सा है। ओहियो वर्ग की यह पनडुब्बी हमले में खुद को बचाने की शक्ति, तैयारी तथा सागर में अमेरिकी सेना तथा रणनीतिक बलों की क्षमता सामने रखती है। बताते हैं कि अमेरिकी नौसेना के पास वर्तमान में ओहियो वर्ग की 14 बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां या एसएसबीएन कहते हैं। फिलहाल अमेरिका जिस ‘ट्राइडेंट डी 5 मिसाइल’ का इस्तेमाल करता है वह एक साथ कई निशाने भेद सकती है। ऐसी एक मिसाइल एक साथ 14 परमाणु बम ले जा सकती है और पलक झपकते ही 14 निशानों को बर्बाद कर सकती है।
ओहियो वर्ग की यह पनडुब्बी ड्रोन सिस्टम, विशेष अभियानों के लिए आधार, पानी के अंदर जासूसी और कमांड पोस्ट की भूमिका अदा कर सकती है। पत्रिका ‘द ड्राइव’ की रिपोर्ट बताती है कि इस पनडुब्बी का अरब सागर में तैनात होना तथा इसकी घोषणा करना अपने में बहुत ही नायाब बात है। फिलहाल अमेरिका ने इस पनडुब्बी की तैनाती की जगह और वक्त के बारे में स्पष्ट नहीं बताया है। लेकिन इतना तो तय है कि अमेरिका पहले भी अपने शत्रु देशों को सख्त संकेत देने के लिए ऐसी गश्त की घोषणाएं करता रहा है।
अमेरिका की यह परमाणु पनडुब्बी ऐसे समय पर अरब सागर में तैनात की गई है जब ईरान और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ चुका है। उधर ईरान रूस को बड़े पैमाने पर ड्रोन और मिसाइलें दे रहा है। इतना ही नहीं, अमेरिका का मित्र कहा जाने वाला सऊदी अरब भी बाइडन से मुंह बिचका रहा है। मोहम्मद बिन सलमान रूस के साथ तेल कटौती को लेकर हाथ मिला चुके हैं।
अमेरिका अरब सागर में परमाणु मिसाइलों से लैस पनडुब्बी को तैनात करके चीन को भी कड़ा संदेश देता मालूम दे रहा है। चीन ने अपने गोबी पठार में सैकड़ों मिसाइल साइलो बना रहा है। इन साइलों में चीन अपनी परमाणु हथियारों से लैस मिसाइलें छुपा रहा है। अरब सागर से चीन के ये मिसाइल साइलो महज 3,284 किमी दूर हैं और वहां तक ये अमेरिकी मिसाइलें पहुंच सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने चीन के ताइवान पर हमला करने की आशंका को लेकर कई बार उसे सावधान किया है। उधर उत्तर कोरिया भी लगातार मिसाइल परीक्षण करके तनाव को हवा दे रहा है। अंदेशा है कि उत्तर कोरिया कभी भी परमाणु बम का परीक्षण कर सकता है। इन सब हालातों के बीच, अमेरिका के सख्त पहल करते हुए अपनी महाविनाशकारी पनडुब्बियां तैनात करने के अर्थ कुछ हद तक तो समझे जा सकते हैं।
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