हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष के आखिर में चुनाव होने वाले हैं। मुख्यमंत्री अतिव्यस्त हैं परंतु यह व्यस्तता जनकार्यों की है, लिहाजा वे मिलने आए लोगों को नहीं टालते। जनता की फरियाद सुनते हैं और उनकी समस्याएं दूर करने की कोशिश करते हैं। पहाड़ी राज्य होने के नाते समस्याएं बहुत हैं। इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने क्षेत्रों के बीच संपर्क सहज करने के लिए सड़क, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, रोजगार जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया और आज हालात बदले हुए हैं। प्रदेश की समस्याओं, विकास, योजनाओं और चुनावी संभावनाओं पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर की विशेष बातचीत –
इतनी ऊर्जा आप कहां से लाते हैं और आज आप कितने बजे सुबह उठे हैं?
आज मैं सुबह साढ़े पांच बजे उठा हूं।
अभी शिमला में बरसात हो रही है और अभी भी अपने लोकप्रिय मुख्यमंत्री से मिलने के लिए लोगों की कतार लगी हुई है।
इतने छोटे से राज्य में इतनी भारी डिमांड। लगातार जनसंवाद… ये सब कैसे कर पाते हैं?
मैं जबसे राजनीति में आया हूं, तब से लोगों के साथ सरलता से मिलना, ये मेरा स्वभाव है। लोगों की बातों को सुबह से शाम तक सुनना। लोगों की बात सुनकर मदद का रास्ता तलाशने का काम करता हूं और इसमें काफी हद तक सफल भी होता हूं। अपनी ओर से मेरा प्रयास रहता है कि जो मुझसे मिलने आया है, उनसे मिलकर ही जाऊं।
आपकी दिनचर्या देखते हैं तो उसमें एक चीज देखने में आयी कि दिन में 300-400 लोगों से मिलना। मिलना ही नहीं, उनकी बात भी समझना। इसके लिए चाहे किसी के साथ, लंबा समय भी बैठना। इतनी जल्दी आप समझ कैसे जाते हैं और लोग आपसे संतुष्ट भी हो जाते हैं?
मैं नियमित रूप से सुबह लोगों से मिलता हूं। तभी किसी और बड़े कार्यक्रम में जाता हूं। जब शाम को आता हूं तो फिर लोगों से मिलकर जाता हूं क्योंकि लोग मिलने को आए हुए होते हैं। वस्तुओं को जल्दी समझने में मुझे कठिनाई नहीं होती, क्योंकि मैं बहुत वर्षों से काम कर रहा हूं। मुझे विधायक बने हुए भी 25 वर्ष हो गए। तो विपक्ष और सत्तापक्ष में रहकर काम किया है और प्रदेश के सारे मामले को बहुत करीबी से समझता हूं और अलग-अलग विभागों के और उसके साथ-साथ लोगों की समस्याओं के बारे में समझता हूं।
आप लोगों की समस्याओं को समझते हैं, तभी तो आप पांच बार से विधायक हैं? इस राज्य का स्वभाव है सरकार को पलट देना। सरकार को बरकरार रखना और दुबारा आना, ये आपकी बड़ी चुनौती है। क्या आपको ऐसा नहीं लगता?
देखिए! ये बड़ी चुनौती तो है। बार-बार एक ही क्षेत्र से जीतना बहुत मुश्किल काम होता है। खासतौर से नए विधानसभा क्षेत्र में मुझसे पहले जितने लोग भी पार्टी से चुनाव लड़े, उन सबकी जमानत जब्त हुई। 1998 के पश्चात जब जीत हासिल की, तब से लगातार जीत हासिल करते रहे हैं। पांचवीं बार जीता। स्वभाविक रूप से कठिन काम तो है, लेकिन हमने लोगों का दिल जीतने का प्रयास किया और उसमें सफल भी रहे हैं। जितने भी चुनाव जीते हैं, वह अच्छे मत से जीते हैं।
जैसा ये पहाड़ी राज्य है, उसके लिए वैसे ही फौलादी इरादे के साथ जयराम जी काम में जुटे रहते हैं। आज इस समय रात को 12 बजने को आए हैं, यानी? आधी रात का समय हो गया है। इतनी रात को भी जयराम जी की ऊर्जा देखकर दंग हूं। मुख्यमंत्री का शेड्यूल कितना व्यस्त हो सकता है… दिनचर्या कितनी व्यस्त हो सकती है… सत्ता से दूर रहते हुए भी व्यवहार कैसा होता है… जनसंवाद कैसा करते हैं… सक्रिय कितना रहते हैं… इस दृष्टि से जब हमने परखना शुरू किया इस चीज को हमलोग काफी देर से देख रहे थे। पिछले चार दिन से हमारे दो संवाददाता आपके साथ लगे रहे। आपसे कुछ दूरी पर थे, पर आपको नहीं पता परंतु हमें जो ब्यौरा मिला, वह चौंकाने वाला था।
चंबा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 800 करोड़ रुपये की जलविद्युत परियोजनाओं का शिलान्यास किया। पीएम मोदी ने 48 मेगावाट की चांजू-3 पनबिजली परियोजना और 30.5 मेगावाट की देवथल-चांजू जल विद्युत परियोजना की आधारशिला रखी।
आपने विधायक के तौर पर बाकियों की जमानत जब्त करवाई। मुख्यमंत्री के तौर आपको लगता है कि आपके नेतृत्व में पार्टी का पिछला प्रदर्शन सुधरेगा? अन्य दलों का प्रदर्शन कमजोर रहेगा या उनकी ताकत बढ़ेगी? आपको क्या लगता है?
मैं अपने क्षेत्र की बात कर सकता हूं। परंतु मैं यह नहीं कह सकता हूं कि जमानत जब्त करवा दूंगा क्योंकि वहां कांग्रेस बहुत मजबूत रही है और लंबे समय तक रही है। फिर यहां पर कांग्रेस पार्टी की जमानत जब्त हुई। ऐसे में मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि हम अच्छे मत से जीते हैं और आगे के लिए काम कर रहे हैं।
आप जनता के बीच में जा रहे हैं। लोगों की स्मृति लंबी नहीं होती। वे काम को भूल जाते हैं। आप किन चीजों को याद दिलाना चाहते हैं या रजिस्टर कराना चाहते हैं? बहुत सी योजनाएं होंगी परंतु आपको खासकर चिन्हित करने को कहा जाए तो आप किन-किन चीजों की ओर लोगों को ध्यान दिलाना चाहते हैं?
देखिए, हमारी सरकार ने कुछ नई योजनाएं शुरू की हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमने गरीबों को ध्यान में रखकर काम किया है। हमने लाभार्थियों की संख्या बहुत बढ़ाई है। हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुष्मान भारत को सेचुरेशन पर लाने, सबको स्वास्थ्य की सुविधा अच्छी मिलें, इसके लिए हमने योजनाएं प्रारंभ कीं। साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोगों का मुफ्त इलाज करके घर भेजा। हिमाचल एक छोटा राज्य है। सघन बसावट भी नहीं है। क्षेत्रफल के हिसाब से काफी बड़ा है। हमारी सरकार से पहले इस प्रकार की कोई योजना थी ही नहीं।
आप नई सोच के साथ काम कर रहे हैं। उससे पहले दूरंदेशी की कमी थी या इच्छा शक्ति की कमी थी? सरकारें तो थीं परंतु इतने सारे क्षेत्र में काम करने की आपने जो योजना बताई है, उस पर मैं अध्ययन कर रहा था। मेरा एक और प्रश्न है, आपकी ऐसी पांच बड़ी योजनाएं कौन-सी हैं जिसे आप लोगों तक पहुंचाने में, उसकी मूल भावनाओं को जमीन पर उतारने में सर्वाधिक सफल रहे हैं?
हमारी हिमकेयर हिमाचल हेल्थ केयर योजना जिसमें पांच लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त है। इससे आयुष्मान भारत को पूरा जमीन पर लाने की कोशिश की है। दूसरी उज्ज्वला योजना, जो केन्द्र सरकार में आदरणीय मोदी जी ने शुरू की थी, उसको भी प्रदेश में जमीन पर ले आए। हिमाचल प्रदेश में हमने हर घर में सिलेंडर और चूल्हा पहुंचाया। हमने 3 लाख 35 हजार गैस के चूल्हे पहुंचाए। महिलाओं में इसका बहुत बड़ा असर देखने को मिलता है। इसी तरह से पूरे हिमाचल प्रदेश में यदि कोई बीमारी का शिकार हो जाए और वह बीमारी सारी जिंदगी चलती है और उसका लगातार इलाज चलता रहता है। चाहे किसी को ब्रेन हेमरेज हो गया, किसी को पैरालिसिस हो गया, इसके लिए हम ऐसे परिवार को मुख्यमंत्री सहारा योजना के अंगतर्गत तीन हजार रुपये देकर उनकी मदद कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में 20 हजार लोग ऐसे हैं जो बिस्तर पर अपना काम भी नहीं कर सकते।
ऐसी योजनाओं का विचार कैसे आया?
इसके पीछे एक बहुत ही दिलचस्प किस्सा है। मैं अपने क्षेत्र में जनसंपर्क में था। एक गांव में चौपाल की तरह के कार्यक्रम में बैठकर बातचीत की। जब वहां से चलने लगे तो हमारे एक साथी ने कहा कि एक घर में आपको किसी से मिलना है। हालांकि मुझे अगले कार्यक्रम के लिए देर हो रही थी। जब मुझे घर के अंदर लेकर गए तो वहां मैंने देखा कि एक नौजवान बिस्तर पर लेटा था। उसने उठने की कोशिश की, और नमस्ते की। वह मेरा पार्टी का कार्यकर्ता था। जब मैंने उनसे पूछा कि ऐसी स्थिति कैसे हुई, तब मालूम हुआ कि एक दुर्घटना के दौरान स्पाइनल कार्ड टूट गई, जिसके कारण दोनों टांगें नहीं चल सकतीं। इसके कारण अब वह कार्यक्रम वगैरह में नहीं जा सकता। मैं ये सारी बातें उनके बिस्तर पर बैठकर सुन रहा था। मैंने उनकी आंखों में बहुत ज्यादा निराशा देखी। उन्होंने मुझसे एक बात कही कि मैं तो एक गिलास पानी के लिए भी परिवार पर निर्भर हो गया हूं। घर में मेरे पास किसी न किसी को रहना पड़ता है। ऐसे सुनते-सुनते मेरे दिमाग में बात बैठ गई।
जब मैं मुख्यमंत्री बना तो संगठन के एक कार्यकर्ता ने इसी तरह से कहीं और के बारे में बताया तो हमें एकदम वही दृश्य ध्यान में आया। फिर हमने अधिकारियों से बातचीत की कि ऐसे लोगों के लिए क्या करना चाहिए। उस वक्त उन्हें लगा कि इस तरह के लोगों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं होगी। रजिस्ट्रेशन शुरू किया गया तो इनकी संख्या 20 हजार तक पहुंच गई। इस तरह से ऐसे लोगों के लिए 3000 रुपये प्रति माह देने की मुख्यमंत्री सहारा योजना बनी जिससे बहुत ही पुण्य का कार्य हुआ।
हमने गरीबों को ध्यान में रखकर काम किया है। हमने लाभार्थियों का नंबर बहुत बढ़ाया है। हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुष्मान भारत को सेचुरेशन पर लाने, सबको स्वास्थ्य की सुविधा अच्छी मिलें, इसके लिए हमने योजनाएं प्रारंभ कीं। साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोगों का मुफ्त इलाज करके घर भेजा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 अक्तूबर को ऊना में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। देश में सबसे आधुनिक चौथी वंदे भारत ट्रेन हिमाचल को मिली है। प्रधानमंत्री ने हिमाचल के लिए लगभग तीन हजार करोड़ की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-तृतीय चरण का भी शुभारंभ भी किया।
ये बहुत ही संवेदनाशील बात है जिसे आप राजनीति में बचाकर रखते हैं और लंबा सफर तय करते हैं। आपका राजनीतिक सफर भी इस बात का प्रमाण है। एक बात इस संवेदनशीलता से जुड़ी हुई करना चाहता हूं। आपने काम बताए जो बहुत ही प्रभावी रहे, यशस्वी रहे, मगर ऐसे कौन चार-पांच काम हैं , जो अधूरे हैं और यदि जनता आपकी सरकार को दुबारा चुनती है तो आप उन्हें प्राथमिकता देंगे?
देखिए! एक तो हमारी सहारा योजना है। इसके बाद दूसरी योजना हिमकेयर की योजना है, उज्जवला योजना है। इसके साथ-साथ हमारी एक और योजना है कि गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की बेटियों की जब शादी होती है, तो उनके खाते में हम मुख्यमंत्री शगुन योजना के अंतर्गत आशीर्वाद के रूप में 31,000 रुपये डालते हैं। इसी तरह यहां एक स्वावलंबन योजना है जिसके माध्यम से हमारे नौजवानों को अपने पांव पर खड़े होने की ताकत मिलती है। इसमें 1 करोड़ रुपये तक कौशल विकास योजना को आगे बढ़ाने के लिए दिए जाते हैं। इसमें हम 25 प्रतिशत की छूट भी दे रहे हैं। इसी तरह जनमंच है जिसके अंतर्गत सारी समस्याओं का समाधान एक स्थान पर होता है। इसमें राज्य के 12 मंत्री हर रविवार को लोगों के बीच निर्धारित स्थान पर जाते हैं। इसके लिए लोगों की शिकायतें पहले ही ले ली जाती हैं और शिकायतकर्ता को माइक देकर अपनी समस्याओं को बताने का अवसर दिया जाता है। इनकी समस्याओं को सुनते हैं और वहां बैठे मंत्री एवं अधिकारी समस्या का समाधान मौके पर करते हैं। इस तरह का हमने कुछ हटकर करने का प्रयास किया है जिसका लाभ हमें मिला है।
जहां तक आने वाले समय में काम करने की बात है, तो हिमाचल प्रदेश में भौगोलिक दृष्टि से बहुत संभावनाएं हैं। इस पर अभी बहुत काम करने की जरूरत है। कहने को हमारी सरकार के पांच वर्ष हो रहे हैं, परंतु हमारे दो वर्ष कोविड में चले गए। कोविड के कारण कई चीजें को पटरी पर लाना ही सबसे बड़ी चुनौती थी। भविष्य में यहां पर्यटन क्षेत्र में बहुत काम करने की योजना है। आने वाले समय में यदि हमें मौका मिलता है तो हम निश्चित रूप से इस योजना पर काम करेंगे। यहां पर रोजगार की बहुत बड़ी संभावनाएं हैं। हिमाचल प्रदेश में पर्यटन की संभावना और ज्यादा बढ़ा सकते हैं। पर्यटकों के आने-जाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू कनेक्टिविटी का है। सड़क निर्माण में हम आगे बढ़े हैं। हमने अपने कार्यकाल में जितनी सड़कें बनाईं, उतनी अभी तक किसी ने नहीं बनाईं। इसमें हिमाचल प्रदेश में बहुत बड़ा अवसर है जिसमें निजी निवेश आ सकता है। इस पर हमें काम करने की जरूरत है। ईज इन डूईंग बिजनेस में हमने बहुत काम किया। इसमें हम पहले 16वें नंबर पर थे और आज इसमें 7वें नंबर पर हैं।
पहाड़ी राज्यों में एक चुनौती और भी है – जैसे उत्तराखंड में उसकी जनांकिकी बदलने के लिए अघोषित मगर एक संगठित तौर पर काम होता है। इस राज्य की पहचान है तो केवल भौगोलिक पहचान नहीं है। इसमें एक सांस्कृतिक पक्ष भी है। देवभूमि है। उसके प्रति आप क्या सोचते हैं और उसके लिए क्या तैयारी है?
जहां तक हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में जो परिस्थिति है, उसमें ऐसी कोई बड़ी चुनौती नहीं है, जो जनांकिकी को प्रभावित कर सके। लेकिन बात ठीक है कि जिस प्रकार की परिस्थितियां बनती जा रही हैं जिसमें कुछ घटनाएं हिमाचल प्रदेश में भी देखने को मिली हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कही कोई कमी न रह जाए, सबको अपना अधिकार है फिर भी कोई गलत तरीके से न हो, हमने कानून में भी बहुत सख्त बदलाव किया है। धर्म स्वतंत्रता का एक विषय है जिस पर हमने काम किया है। फिर भी हमें इसमें और काम करने की जरूरत है जिससे हिमाचल प्रदेश, देवभूमि के संस्कार सुरक्षित रहें।
सिरमौर वाला जो कार्यक्रम था जिसमें हट्टी वाला मुद्दा था जिसमें जनजातीय दर्जा मिलने की बात थी। ये आपको राजनीतिक तौर पर लाभ पहुंचाएगा या सामाजिक आवश्यकता बहुत बड़ी थी?
ये सामाजिक आवश्यकता थी। ये उस क्षेत्र के लिए बड़ा भावुक मुद्दा रहा है। ये 1966 से, जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश में हुआ करता था, तब उस क्षेत्र को जनजातीय में लिया गया। लेकिन हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बीच में एक नदी है। नदी के उस पार जनजातीय हो गया और नदी के इस पार हिमाचल प्रदेश में जनजातीय में चिन्हित नहीं किया गया। एक ही परिवार के दो भाई उस तरफ रहते थे, वो जनजातीय श्रेणी में आ गए और दो भाई इधर रहते थे, वे जनजातीय श्रेणी में नहीं आए। यह एक बहुत बड़ी विसंगति थी। इसके लिए लोग मांग कर रहे थे। भौगोलिक दृष्टि से भी वह पिछड़ा क्षेत्र है। इसके विकास के लिए जो जरूरी है, वह होना चाहिए। हमने इस मामले को उठाया, इसे केन्द्र के समक्ष रखा और इस बात की खुशी है कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने इसको मंजूरी दी। खासकर अमित शाह जी का धन्यवाद, क्योंकि गृह मंत्री होने के नाते विभाग उनके जिम्मे था। हम इस विषय को लेकर उनसे लगातार संपर्क में थे।
देश में मोबाइल क्रांति तो हुई थी मगर हिमाचल प्रदेश में आकर लगा कि यहां एक और मोबाइल क्रांति हुई है। मोबाइल क्लीनिक के बारे में आपके मन में कैसे विचार आया और अभी कितना आगे बढ़ा है और इसका भविष्य क्या है?
हमारे यहां बहुत सारे लोगों को अस्पताल पहुंचते में देर होने के कारण स्वास्थ्य का बहुत नुकसान होता है। इसमें जानकारी का अभाव भी एक वजह है। रास्ता ठीक नहीं होने के कारण आने-जाने में परेशानी आती है। इन चीजों को ध्यान में रखते हुए इस बजट में इसके लिए ध्यान रखा है। हमारे हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की 68 सीटें हैं। सभी सीटों पर मोबाइल क्लीनिक की व्यवस्था होगी जिसमें डॉक्टर रहेगा, पैरामेडिकल स्टाफ रहेगा, लैब टेक्नीशियन रहेगा और आधारभूत उपकरण भी रहेंगे। मोबाइल वैन गांव में जाएंगी। वहीं उनकी जांच होगी। इस पर काम हो रहा है और इसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं। आने वाले समय में इसको और फैलाएंगे और उनके घर पर ही स्वास्थ्य संबंधी सारी सुविधा मिलेंगी।
पहाड़ में सड़कें बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती है जिसका कारण यहां का मौसम, भूगोल भी है। इस चुनौती के बारे में आप क्या कहेंगे?
पहले की दृष्टि से हमारे कार्यकाल में इस पर बहुत काम हुआ है। इस पर बहुत ज्यादा काम करने की जरूरत है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र को सड़क से जोड़ने का काम बहुत हुआ है और अभी भी काम करने की जरूरत है। इन्हें जोड़ने के साथ-साथ सड़क की गुणवत्ता को बेहतर बनाना भी एक चुनौती और आवश्यकता भी है। यहां का मौसम भी ऐसा है कि आज हम सड़कें बनाते हैं और तुरंत बरसात होने लगती है जिसके कारण सड़कें तहस-नहस हो जाती है।
रोजगार के मामले में उत्तर प्रदेश में एक जिला-एक उत्पाद, उत्तराखंड में एक जिला-दो उत्पाद योजना है। आपकी कोई ऐसी योजना है?
ये तो हमने भी अपने राज्य में किया है। यहां भी एक जिला-एक उत्पाद योजना है। हमारे यहां इस पर काम तो हुआ है परंतु अभी और ज्यादा काम करने की जरूरत है। एक जिला-एक उत्पाद के नाते उसकी पहचान हो जाती है जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार का भी लाभ मिलता है।
इस राज्य में हम देखते हैं कि बदलाव का दौर चलता है और दूसरे, लगातार दूसरी तरफ से चुनौती प्रबल रहती है। इस बार आप भाजपा के लिए किस प्रकार की चुनौती मानते हैं?
देखिए, चुनौती तो हिमाचल प्रदेश में यह है कि यहां सरकार बनती है लेकिन पांच वर्ष बाद बदल जाती है। यहां की यह एक बड़ी चुनौती है। ये कांग्रेस के जमाने और हमारे जमाने में भी हुआ। ये रिवाज बन गया है और अबकी बार इसको बदलेंगे। मैं इसलिए कह रहा हूं कि पूरे देशभर मे आदरणीय मोदी जी के नेतृत्व में ऐसा वातावरण खड़ा हुआ है कि जहां कभी भी भाजपा की सरकारें नहीं बनती थीं, वहां भी सरकारें बन गई। जहां पर पांच वर्ष के बाद दोबारा नहीं आते थे, वहां पर भी भाजपा दोबारा आ रही है। आप देख सकते हैं कि रिवाज पूरे देशभर में बदला है, हिमाचल प्रदेश में भी पांच-पांच साल का रिवाज बदलना है।
यहां एक स्वावलंबन योजना है जिसके माध्यम से हमारे नौजवानों को अपने पांव पर खड़े होने की ताकत मिलती है। इसमें 1 करोड़ रुपये तक कौशल विकास योजना को आगे बढ़ाने के लिए दिए जाते हैं। इसमें हम 25 प्रतिशत की छूट भी दे रहे हैं। इसी तरह जनमंच है जिसके अंतर्गत सारी समस्याओं का समाधान एक स्थान पर होता है।
बल्क ड्रग पार्क : उद्यम व रोजगार की सौगात
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 13 अक्तूबर को ऊना में बल्क ड्रग पार्क की आधारशिला रखी और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान ऊना को राष्ट्र को समर्पित किया। डबल इंजन की सरकार ड्रग पार्क में 2000 करोड़ का निवेश कर रही है। इससे स्वरोजगार और नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।
हिमाचल प्रदेश में एक नारा भी लगता है जय श्रीराम-जय जयराम। इस नारे से आप कितना संतुष्ट होते हैं?
स्वाभाविक रूप से नारे होते हैं, समर्थक होते हैं, विचार के भी होते हैं। हिमाचल प्रदेश में भगवान राम के प्रति, राम मंदिर के प्रति बहुत आस्था भी है, श्रद्धा भी है। देश में अपने-आप में एक ऐतिहासिक बात हुई है कि जहां भगवान राम का जन्म हुआ, वहां मंदिर बनने में जो बाधा थी, वह हटी और उस समय हटी जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। मंदिर बनाने का रास्ता जिस रूप से सरल और सहज हो गया, वह नरेन्द्र मोदी जी की सक्रियता के कारण ही संभव हुआ। इन चीजों को लोग आस्था के साथ भी जोड़ते हैं और इसके साथ-साथ राजनीतिक दृष्टि से भी। इस तरह की भावना व्यक्त करते हैं कि अगर ये नेतृत्व इस प्रकार कार्य करता है जिससे हमारी संस्कृति भी मजबूत होगी, संरक्षित रहेगी और हम लोग भी सुरक्षित रहेंगे।
टिप्पणियाँ