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फरमाइश पर वीडियो बनाने लगी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस!

महान भौतिकीविद् स्व. प्रो. स्टीफन हॉकिंग ने भी इससे मिलता-जुलता बयान दिया था। समय के साथ इस आशंका की वास्तविकता का पता चलेगा लेकिन फिलहाल कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विकास करने वाली कंपनियां खुद भी बहुत संभलकर चल रही हैं और इसीलिए मेटा ने अपने मॉडल को आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं कराया है

by बालेन्दु शर्मा दाधीच
Oct 15, 2022, 08:25 am IST
in भारत, विश्लेषण, मत अभिमत, विज्ञान और तकनीक
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आपके दिए गए विवरण के आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए चित्र बनाने की तकनीक के बाद अब वीडियो बनाने की तकनीक भी विकसित हो गई है

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमें चौंकाने से बाज नहीं आती। अब जो नया हुआ है, वह मीडिया के मित्रों, कन्टेन्ट निर्माताओं, ग्राफिक डिजाइनरों और मार्केटिंग के दिग्गजों को चौंका देगा। कुछ खुश होंगे तो कुछ दुखी। मेटा ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता का एक नया संस्करण पेश किया है जिसका नाम है- मेक ए वीडियो।

अर्थ स्पष्ट है और वह यह कि यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आपके लिए वीडियो का निर्माण करने में सक्षम है। इससे पहले हम टेक्स्ट को चित्रों में बदलते देख चुके हैं। आप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस किसी वेबसाइट, वेब सेवा या ऐप्प पर जाकर लिखते हैं कि ऐसा या वैसा चित्र बना दो, और पलक झपकते ही आपके द्वारा दिए गए विवरण के आधार पर एक चित्र तैयार कर दिया जाता है। लेकिन बात अब चित्रों से आगे बढ़ चुकी है।

‘मेक ए वीडियो’ में भी आपको वैसा ही करना है लेकिन इस बार परिणाम किसी चित्र के रूप में नहीं बल्कि पांच सेकंड के चलते-फिरते वीडियो के रूप में सामने आता है। अपने पास मौजूद अथाह सामग्री, कृत्रिम दिमाग और कंप्यूटरी रचनात्मकता का इस्तेमाल करते हुए यह प्रौद्योगिकी स्वाभाविक लगने वाले वीडियो भी बना सकती है तो तिलिस्मी या फंतासी जैसा प्रतीत होने वाले वीडियो भी।

आप जितना लंबा विवरण देंगे, उतने ही बेहतर वीडियो तैयार हो जाएंगे। मिसाल के तौर पर आपने निर्देश दिया कि एक ऐसे कुत्ते का चित्र बना दो जो सुपरहीरो वाली पोशाक तथा लाल टोपी पहने हुए हो और आसमान में उड़ रहा हो।

मेटा (जिसे पहले फेसबुक कहते थे) के तकनीक विशेषज्ञों ने यही टेक्स्ट लिखा और जवाब में ठीक वैसा ही उड़ता हुआ सुपरहीरो कुत्ता बना दिया गया। लेकिन बात और भी आगे बढ़ चुकी है। ‘फेनाकी’ नामक एक अन्य एआई मॉडल किसी चित्र को आधार बनाकर उसे वीडियो में तब्दील करने की क्षमता रखता है। इतना ही नहीं, यह पांच सेकेंड से कहीं ज्यादा लंबे वीडियो बनाने में सक्षम है।

आप जितना लंबा विवरण फरमाइश के रूप में देंगे, उतना ही लंबा और स्वाभाविक लगने वाला वीडियो बना दिया जाएगा। एक मिसाल देखिए- एक असली-सा दिखने वाला टैडी बियर सैन फ्रांसिस्को के समुद्र में तैर रहा है। यह टैडी बियर पानी के भीतर डुबकी मारता है और भीतर ही भीतर तैरता रहता है। उसके आसपास रंगीन मछलियां हैं और तभी वहां पर एक खिलौना पांडा भी दिखाई देता है जो पानी के भीतर ही तैर रहा है।

जब इस तरह का लंबा-चौड़ा विवरण दिया गया तो फेनाकी ने ठीक वैसा ही वीडियो बना दिया, जैसे टैडी बियर तथा पांडा के खिलौने सजीव हों और सचमुच पानी में तैर रहे हों। हालांकि फेनाकी के विकासकर्ताओं का कहना है कि अभी तक ये वीडियो एकदम से वैसे नहीं हैं, जैसे सचमुच फिल्माए गए वीडियो होते हैं लेकिन मैंने इन वीडियो को देखा है और सच कहूं तो वास्तविकता और कल्पना के बीच का यह अंतर ज्यादा महीन नहीं है।

टेक्स्ट से वीडियो निर्माण की कृत्रिम बुद्धिमत्ता का सवाल है, कुछ लोग खुश होंगे यह जानकर कि अब हमें लाखों-करोड़ों मनचाहे वीडियो उपलब्ध होने का रास्ता खुलने जा रहा है। लेकिन अनेक लोग परेशान हो जाएंगे जिन्हें लगेगा कि तब तो हमारे चित्रों के आधार पर कोई हमसे कुछ भी करवाने का काल्पनिक वीडियो रिकॉर्ड कर सकता है!

आपको याद होगा कि कुछ समय पहले डाल-ई नामक एक और एआई मॉडल की चर्चा जोरों से हुई थी जो आपके बताए टेक्स्ट के आधार पर चित्र बना देता है। इस बीच गूगल ने भी ड्रीम फ्यूजन नाम के मॉडल का विकास किया है जो टेक्स्ट के आधार पर 3डी चित्र बनाने की क्षमता रखता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में जो कुछ हो रहा है, वह विश्वव्यापी रोमांच को भी जन्म दे रहा है और कई तरह की आशंकाओं को भी। आपको याद होगा, तकनीकी दुनिया के दिग्गजों में से एक एलोन मस्क ने कुछ साल पहले कहा था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास करके इनसान अपने इतिहास की सबसे बड़ी गलती कर रहा है।

महान भौतिकीविद् स्व. प्रो. स्टीफन हॉकिंग ने भी इससे मिलता-जुलता बयान दिया था। समय के साथ इस आशंका की वास्तविकता का पता चलेगा लेकिन फिलहाल कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विकास करने वाली कंपनियां खुद भी बहुत संभलकर चल रही हैं और इसीलिए मेटा ने अपने मॉडल को आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं कराया है।

जहां तक टेक्स्ट से वीडियो निर्माण की कृत्रिम बुद्धिमत्ता का सवाल है, कुछ लोग खुश होंगे यह जानकर कि अब हमें लाखों-करोड़ों मनचाहे वीडियो उपलब्ध होने का रास्ता खुलने जा रहा है। लेकिन अनेक लोग परेशान हो जाएंगे जिन्हें लगेगा कि तब तो हमारे चित्रों के आधार पर कोई हमसे कुछ भी करवाने का काल्पनिक वीडियो रिकॉर्ड कर सकता है!
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में निदेशक- भारतीय भाषाएं और
सुगम्यता के पद पर कार्यरत हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी हैं)।

Topics: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसटेक्स्ट से वीडियो निर्माणग्राफिक डिजाइनरों और मार्केटिंग
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