श्रीराम का जीवन सभी वर्ग के लिए समरसता का श्रेष्ठ उदाहरण  : दत्तात्रेय होसबाले
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श्रीराम का जीवन सभी वर्ग के लिए समरसता का श्रेष्ठ उदाहरण  : दत्तात्रेय होसबाले

संघ एक अभियान है, प्रयास है , राष्ट्रीय एकीकरण का। हिमालय से हिन्द महासागर तक “वसुधैव कुटुम्बकम्” का विचार स्वयंसेवकों में संचारित रहता है।

by WEB DESK
Oct 9, 2022, 05:00 pm IST
in संघ
महर्षि वाल्मीकि को नमन करते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी।

महर्षि वाल्मीकि को नमन करते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने अजमेर में ब्यावर रोड स्थित डीएवी कॉलेज के मैदान पर स्वयंसेवकों को संबोधित किया। इसके साथ ही होसबाले का तीन दिवसीय अजमेर प्रवास समाप्त हो गया।

होसबाले जी ने संघ की रीति-नीति से स्वयंसेवकों को अवगत कराया। इससे पहले 8 अक्टूबर को अजमेर महानगर की ओर से जवाहर रंगमंच पर एक भारत श्रेष्ठ भारत के निर्माण में समाज की भूमिका को लेकर प्रबुद्धजन सम्मेलन को भी होसबाले ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्र को युवा शक्ति की जरूरत है।

शरद पूर्णिमा व महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर स्थानीय डी.ए.वी कॉलेज के खेल मैदान में आयोजित अजमेर महानगर एकत्रीकरण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने मार्गदर्शन करते हुए कहा कि स्वयंसेवकों की सोच साधारण व्यक्तियों से अलग होती है। उनमें चुनौतियों व संकटों को झेलने व विपरीत परिस्थितियों में भी साहस से सामना करने की सोच हमेशा रहती है। संघ एक अभियान है, प्रयास है , राष्ट्रीय एकीकरण का। हिमालय से हिन्द महासागर तक “वसुधैव कुटुम्बकम्” का विचार स्वयंसेवकों में संचारित रहता है। ऋषि सदृश्य डॉ. हेडगेवार जी व श्री गुरु जी ने अपने व्यक्तित्व व कृतत्व से संघ को दिशा दी । विषम परिस्थितियों में भी नियत समय पर कार्यक्रम में पहुँच कर कार्य को सम्पन्न किया । अढ़ेगाँव से नागपुर तक 40 किलोमीटर पैदल चलना तथा श्री गुरु जी द्वारा क्षतिग्रस्त पुल को पैदल पार करना, कार्यकर्ताओं की संभाल करना, भीषण गर्मी में भी पैदल चल कर कुशल क्षेम पूछना, सामान्य जन के यहाँ चाय पीना, डॉ जी व श्री गुरुजी द्वारा हमारे सामने प्रस्तुत कुछ आदर्श उदाहरण हैं ।

संघ की कार्य पद्धति सरल तो है किन्तु उसकी निरंतरता बनाए रखना कठिन है । कार्यकर्ताओं का संघानुकूल जीवन निर्माण ही संघ का ध्येय रहता है । यहां मिलता कुछ नहीं बल्कि जो है वो भी खोने के लिए कार्यकर्ता समर्पित रहता है। स्वयं के आचरण के द्वारा हिन्दू धर्म में व्याप्त कुरीतियों का निवारण करना, “हिंदवे सोदरा सर्वे,न पतितो भवेत्” छुआछूत भेदभाव, जाति-पाति के भाव से ऊपर उठ कर संघ कार्य ही हमारा एक आदर्श प्रस्तुतिकरण है ।

महर्षि वाल्मीकि ने अपने साहित्य से भारत को शाश्वत चीजें दी हैं । रामायण के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन-आदर्श को सभी भारतवासियों के सम्मुख रखा । श्री राम ने सभी वर्गों के साथ समरसता का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया – जैसे केवट के साथ नदी पार जाना, शबरी के झूठे बेर खाना, हनुमान जी को गले लगाना, रावण के भाई को अपना बनाना व लंका जीत कर उसे अपने अयोध्या राज्य में शामिल न कर, वापस विभीषण को सौंप देना।

संघ के स्वयंसेवक आयातित कार्यकर्ता नहीं, अपितु इसी समाज के हैं, समाज के दोषों का निवारण करते हुए, अस्पृश्यता, जातिभेद, मतभेद समाज रूपी शरीर के विकारों को दूर करने का कार्य स्वयंसेवक कर रहे हैं । साथ ही अपने सकारात्मक दृष्टिकोण तथा प्रेम से सब को जोड़ते हुए सर्वसमाज को साथ लेकर आगे बढ़ते जा रहे हैं । संघ में स्वयंसेवक को लेने के लिए कुछ नहीं, अपितु देने के लिए बहुत कुछ है।

“देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें “

हमारी संस्कृति है “अतिथि देवो भव:” । समर्पण के लिए स्वयंसेवक हमेशा तत्पर रहते हैं । स्वदेशी उत्पादों को भी बढ़ावा देने के लिए हमें विचार करना चाहिए। भक्ति जोड़ने का काम करती है, विभक्ति विलग करती है । मीरा की भक्ति कृष्ण के प्रति अनन्य है ।

भारत के उत्थान में प्रत्येक स्वयंसेवक की भूमिका है । इस के लिए हमारे सम्पूर्ण जीवन में स्वयंसेवकत्व का प्रकटीकरण, हमारे कृतित्व में, व्यक्तित्व में, स्पष्ट दृष्टिगोचर रहे । स्वयंसेवक अपनी प्रतिभा अनुसार प्रत्येक क्षेत्र में कार्य करेगा । 2025 शताब्दी वर्ष से पूर्व प्रत्येक बस्ती, उप बस्ती, ग्राम में संघ कार्य पहुंचे यही हमारा ध्येय रहना चाहिए ।

संघ ने अपने कार्यक्रमों में मातृ शक्ति को बढ़ावा देने का जो अभियान चलाया है उसी के अंतर्गत 8 अक्टूबर को प्रबुद्धजन सम्मेलन का मुख्य अतिथि मशहूर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. स्नेहलता मिश्रा को बनाया गया। मालूम हो कि संघ के स्थापना दिवस पर दशहरे के दिन हुए कार्यक्रम में पर्वतारोही संतोष यादव को मुख्य अतिथि बनाया गया था। उसी तर्ज पर अजमेर में भी डॉ. मिश्रा का सम्मान संघ की ओर से किया गया। डॉ. मिश्रा को मुख्य अतिथि बनाने के पीछे संघ का उद्देश्य स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना भी रहा। डॉ. मिश्रा के पिता स्व. रुद्रदत्त मिश्रा ने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। रुद्रदत्त मिश्रा ने चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के साथ काम किया।

डॉ. मिश्रा की भावना देशभक्ति के साथ जुड़ी हुई है, इसलिए उन्होंने अपने संबोधन में इस बात पर अफसोस जताया कि देशभक्ति की भावना कमजोर हो रही है। देश में ऐसे ताकतें सक्रिय हैं जो भारत को मजबूत देखना नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया, लेकिन अब उसी बलिदान पर कुठाराघात किया जा रहा है। डॉ. मिश्रा ने माना कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देशभक्ति की भावना को मजबूत करने का काम कर रहा है। उन्होंने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में संघ की गतिविधियों की प्रशंसा की।

Topics: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघदत्तात्रेय होसबालेश्रीराम का जीवनसमरसता
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