बिहार के सीतामढ़ी में लोग डाकुओं के डर से गांव छोड़ रहे हैं। यह सिलसिला पिछले कुछ वर्षों से लगातार जारी है। गत 3 वर्ष में डकैती की 3 दर्जन से अधिक घटनाएं घटी हैं। 2021 में 19 और इस वर्ष सितंबर के अंत तक 12 घरों में डकैती हुई है। 5 करोड़ से अधिक की संपत्ति लूट ली गई लेकिन पुलिस एक भी घटना का अब तक कोई उद्भेदन नहीं कर पाई है।
डकैतों का कहर ऐसा है कि लोग जानमाल बचाकर दूसरी जगह अपना नया ठिकाना ढूंढ रहे हैं। सोनबरसा और परिहार के आधा दर्जन से अधिक लोगों ने सीतामढ़ी शहर में अपना आशियाना बसा लिया है। ये लोग अब वहीं पर अपना व्यवसाय कर रहे हैं। जिले के 5 प्रखंड सोनबरसा, मेजरगंज, परिहार, बैगनिया और सुरसंड नेपाल सीमा से सटे हैं। इन प्रखंडों के 500 गांव के लोग दहशत में रह रहे हैं।
यहां डकैत किसी किसी घर में 2 या 2 से अधिक बार डकैती कर चुके हैं। परिहार के रामदरेश प्रसाद के घर 2 बार डकैती हो चुकी है। अब ये लोग सपरिवार सीतामढ़ी में रह रहे हैं, जबकि उनके कई चाचा गांव छोड़कर परिहार प्रखंड कार्यालय के समीप रह रहे हैं। इसी प्रकार बेला थाना क्षेत्र की बाया पंचायत के बहुअरवा गांव में कई ऐसे घरों में भी डकैती हुई है जहां पूर्व में भी डकैती हो चुकी है। 1990 में डकैतों ने आनंद लाल साह के बड़े पुत्र सुरेश प्रसाद व उनके चाचा रामजुलूम साह को गोली मार हत्या कर दी थी। अब उनके घर में फिर से डकैती हुई है। रामजुलूम साह के पोते अभी बिहार सरकार में एसडीपीओ हैं।
4 नवंबर, 2018 को धनतेरस से एक दिन पहले भी आनंद लाल साह के पड़ोस में ही दो घरों में डकैती हुई थी। जुलाई माह में भिसा और सितंबर माह में खैरवा में डकैती हुई थी। लगातार हो रही डकैती की घटनाओं से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। पुलिस कुछ भी करने में स्वयं को असहाय महसूस कर रही है।
डकैत बिहार नेपाल खुली सीमा का लाभ उठाकर नेपाल में चले जाते हैं। लूट के बाद वे आसानी से नेपाल में प्रवेश कर जाते हैं। दूसरे देश में धर-पकड़ में तमाम मुश्किलें हैं। सीमा क्षेत्र में संचार व्यवस्था कमजोर होने के चलते भी समय पर सूचना नहीं मिल पाती। स्थानीय प्रशासन बार बार लोगों से अपील कर रही है कि वे डकैती पर रोक लगाने के लिए पुलिस का हरसंभव सहयोग करें।
टिप्पणियाँ