अल्मोड़ा। शहर के डेढ़ सौ साल से भी पुराने इतिहास में पहली बार रावण के पुतले का दहन नहीं हुआ। दरअसल पुतला समिति के दो गुटों में आपसी झगड़े की वजह से रावण का पुतला वापस चला गया, लोग इंतजार में खड़े रहे।
अल्मोड़ा में करीब 22 स्थानों में रावण, उसके दरबार और अन्य पात्रों के पुतले बनते हैं फिर उन्हें पहियों के सहारे घुमाकर दशहरा मैदान में लाया जाता है। रावण पुतला समिति के अध्यक्ष धनंजय के साथ किसी अन्य पुतला समिति के युवक ने कहासुनी की, जिसको लेकर विवाद मारपीट में बढ़ता गया। दशहरा आयोजन समिति के सामने जब ये मामला पहुंचा तो इसे सुलझाने की बजाय और उलझा दिया। इसके बाद नाराज समिति के लोग रावण के पुतले को वापस ले गए और उसे नंदा देवी मंदिर के पास खड़ा कर दिया।
रावण पुतला समिति के लोग इस बात पर अड़े रहे कि बदसलूकी करने वाला युवक पहले आकार माफी मांगे तभी रावण को मैदान में ले जायेंगे। दशहरा आयोजन समिति और रावण पुतला समिति के लोगों के बीच बातचीत नहीं बनी। दशहरे में सभी राक्षसों के पुतले जलाए गए लेकिन रावण बच गया। जिसको लेकर पूरे अल्मोड़ा में चर्चा बनी हुई है।
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