गत सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर देशभर में अनेक प्रकार के कार्यक्रम हुए। उनकी जन्मभूमि दीनदयालधाम (मथुरा) के साथ ही धान्क्या (जयपुर), जहां दीनदयाल जी का बचपन बीता, में विशेष कार्यक्रम हुए।
धान्क्या में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि दीनदयाल जी एक महान व्यक्ति, विचारक, आदर्श कार्यकर्ता और प्रखर चिंतक थे। उनके जीवन से राष्ट्र के प्रति समर्पण और राष्ट्र के पुनर्निर्माण का कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।
आज मुझे दीनदयाल जी के बाल्यकाल की पावन-भूमि के दर्शन करने का सौभाग्य मिला। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि मेरे जीवन का सबसे बड़ा काम आदमी द्वारा आदमी को ढोने वाली प्रथा बंद कर ई-रिक्शा चलवाना है। इससे दीनदयाल जी का विचार साकार हुआ है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राजस्थान के क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल, समारोह समिति के अध्यक्ष प्रो. मोहनलाल छीपा, समिति के सह सचिव नीरज कुमावत, राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत आदि ने भी विचार रखे।
कार्यक्रम का आयोजन पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति समारोह समिति की ओर से किया गया था। इसी दिन दीनदयालधाम (मथुरा) में भी एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर बच्चों के लिए कृष्ण रूप सज्जा और लोकगीत प्रतियोगिता भी आयोजित हुई। इसका उद्देश्य था भारतीय संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाना।
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