शिलांग। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी मेघालय की दो दिवसीय यात्रा के दौरान ‘सेंग खासी’ पदाधिकारियों के साथ पवित्र शिखर, यू लुम सोहपेटबनेंग (ब्रह्मांड की नाभि) के गर्भगृह में प्रार्थना के लिए शामिल हुए। प्रार्थना सेंग खासी के प्रधान पुजारी स्कोर जाला द्वारा की गई। इसमें ‘ सेंग खासी किमी’ के अध्यक्ष तथा जोवाई के डोलोई ने भाग लिया। इसमें आशीर्वाद स्वरूप पवित्र चावल का वितरण भी किया गया। इस अवसर पर सरसंघचालक जी ने पवित्र परिसर के भीतर पौधा भी लगाया।
सेंग खासी एक सामाजिक-सांस्कृतिक और धार्मिक संगठन है, जिसका गठन 23 नवंबर 1899 को 16 खासी युवकों द्वारा किया गया था। इसकी स्थापना खासियों में चली आ रही परंपरा, जीवन मूल्यों और धर्म की रक्षा, संरक्षण और प्रचार करने के लिए किया गया था। आज 123 साल बाद सेंग खासी इन खासी पहाड़ियों में 300 से अधिक शाखाओं में विकसित हो गया है, और यह संगठन लोगों की जड़ों और पहचान को मजबूत कर रहा है।
श्री मोहन भागवत जी ने अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि वह यू लुम सोहपेटबनेंग के पवित्र संदेश को पूरे देश में आगे बढ़ाएंगे, कि “मनुष्य और भगवान को जोड़ने वाला वह ‘स्वर्णिम पुल’ अब एक सोने के हृदय के भीतर ही निवास कर रहा है।”
यू लुम सोहपेटबनेंग का शिखर वह स्थान माना जाता है जहां एक “स्वर्णिम पुल” मनुष्य को स्वर्ग से जोड़ता था। ऐसा माना जाता है कि सोलह परिवारों ने दो दुनिया के बीच यात्रा की। यह वह पवित्र उद्गम स्थल है, जहां भारत की सच्ची समृद्धि को दर्शाने वाली स्मरणीय घटना हुई है।
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