प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को घोषणा की कि महान स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धांजलि के रूप में चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम अब शहीद भगत सिंह के नाम पर रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 93वें संस्करण में अपने विचार साझा कर रहे थे। मोदी ने कहा, “28 सितंबर को अमृत महोत्सव का एक विशेष दिन आ रहा है। इस दिन हम भारत मां के वीर सपूत भगत सिंह की जयंती मनाएंगे। भगत सिंह की जयंती के ठीक पहले उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है। यह तय किया है कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम अब शहीद भगत सिंह के नाम पर रखा जाएगा।”
राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने जा रहे खिलाड़ियों को दीं शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री ने 29 सितंबर से गुजरात में शुरू होने वाले राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने जा रहे खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने के लिए वह स्वयं इस मौके पर मौजूद रहेंगे। कोरोना के कारण पिछली बार इसे रद्द कर दिया गया था।
चीतों की वापसी से खुशी और गर्व से भरे 130 करोड़ भारतीय, नामकरण पर मांगे सुझाव
भारत में चीतों की वापसी के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नामीबिया से 17 सितंबर को आठ चीतों के भारत लौटने के बाद 130 करोड़ भारतीय खुशी और गर्व से भर हुए हैं। लोगों का सवाल कि हमें चीतों को देखने का अवसर कब मिलेगा का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि चीतों की निगरानी के लिए एक टास्क फोर्स बनाई गई है जो यह तय करेगी कि चीते यहां के माहौल में कितने घुल-मिल पाए हैं। इसी आधार पर कुछ महीने बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। उसी के बाद लोग चीतों को देख पायेंगे। उल्लेखनीय है कि नामीबिया से भारत लाये आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में रखा गया है।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से चीतों के लिए चलाए जा रहे अभियान के नामकरण को लेकर सुझाव मांगे हैं। इस प्रतियोगिता का ईनाम चीता देखने का पहला मौका भी दिला सकता है। उन्होंने कहा कि माई गॉव के प्लेटफार्म पर एक प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।
जलवायु परिवर्तन से समुद्रीय पारिस्थितिकी को बड़ा खतरा, निरंतर प्रयास जरूरी
जलवायु परिवर्तन से समुद्र और तटीय पारिस्थितिक तंत्र पर मंडरा रहे बड़े खतरे के प्रति आगाह करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इनसे निपटने के लिए गंभीर और निरंतर प्रयास करना हमारा दायित्व है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन समुद्री परिस्थितिक तंत्र के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है और दूसरी और हमारे तटों पर गंदगी भी परेशान करने वाली है। उन्होंने ‘स्वच्छ सागर और सुरक्षित सागर’ अभियान का भी उल्लेख किया। यह अभियान 5 जुलाई से शुरू होकर 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती तक चला था।
प्रधानमंत्री ने सर्जिकल स्ट्राइक को किया याद
प्रधानमंत्री ने भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी शिविरों के खिलाफ 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक को याद करते हुए कहा, “आप सभी के पास 28 सितंबर को जश्न मनाने की एक और वजह भी है। जानते हैं क्या है! मैं सिर्फ दो शब्द कहूंगा लेकिन मुझे पता है, आपका जोश चार गुना ज्यादा बढ़ जाएगा। ये दो शब्द हैं- सर्जिकल स्ट्राइक। बढ़ गया ना जोश!”
पंडित दीनदयाल उपाध्याय को जयंती पर किया याद
प्रधानमंत्री मोदी ने देश के प्रखर मानवतावादी, चिन्तक और विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी जयंती (25 सितंबर) पर याद करते हुए कहा कि वह देश के महान सपूत थे। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश में पनपी हीन भावना से हमें आजादी दिला कर उन्होंने बौद्धिक चेतना को जागृत किया। किसी देश के युवा जैसे-जैसे अपनी पहचान और गौरव पर गर्व करते हैं, उन्हें अपने मौलिक विचार और दर्शन उतने ही आकर्षित करते हैं। दीनदयाल जी ने विचारों के संघर्ष और विश्व की उथल-पुथल को देखते हुए ‘एकात्म मानव दर्शन’ और ‘अंत्योदय’ का एक विचार देश के सामने रखा। यह विचार पूरी तरह से भारतीय है। ‘एकात्म मानव दर्शन’ विचारधारा के द्वंद और दुराग्रह से मुक्ति दिलाता है और मानव मात्र को एक समान मानने वाले भारतीय दर्शन को दुनिया के सामने रखता है।
वर्ष 2025 तक भारत टीबी मुक्त होगा
प्रधानमंत्री ने कहा कि सही पोषण और समय पर दवाइयों से टीवी का इलाज संभव है। उन्हें विश्वास है कि जनभागीदारी से प्राप्त शक्ति से वर्ष 2025 तक भारत टीबी से मुक्त हो जाएगा।
त्यौहारी सीजन में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल को करें हतोत्साहित
प्रधानमंत्री लोगों से आग्रह किया कि वह पॉलिथीन से बने बैग के प्रयोग को हतोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि इससे पर्यावरण को बचाने में मदद मिलेगी। देश में अब जूट, कपास, केला फाइबर और पारंपरिक बैग का इस्तेमाल बढ़ रहा है। यह पर्यावरण को सुरक्षित रखते हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि हम त्योहारों पर गैर-प्लास्टिक बैग्स के उपयोग को बढ़ावा दें और स्वच्छता के साथ-साथ अपने पर्यावरण के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखें।
सांकेतिक भाषा विकास कार्यों से लाखों दिव्यांगों को मिल रहा लाभ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र’ के सांकेतिक भाषा विकास की दिशा में किए गए प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पिछले सात-आठ वर्षों में सांकेतिक भाषा विकास के लिए देश में चले अभियान से लाखों दिव्यांग भाई-बहनों को लाभ मिल रहा है। साथ ही प्रधानमंत्री ने ब्रेल लिपि में असमिया भाषा के शब्दकोश ‘हेमकोष’ का भी जिक्र किया। हेमकोष का ब्रेल संस्करण करीब दस हजार पन्नों का है और यह 15 खंडों में प्रकाशित होने जा रहा है इसमें एक लाख से भी अधिक शब्दों का अनुवाद होना है।
योग के बाद अब हाइपरटेंशन कंट्रोल इनीशिएटिव को मिली पहचान
मोदी ने कहा कि योग के भौतिक और मानसिक लाभ हैं। योग भारत की एक पहल है। योग के बाद अब संयुक्त राष्ट्र ने भारत के एक और प्रयास इंडिया हाइपरटेंशन कंट्रोल इनीशिएटिव कॉफी पहचाना है और सम्मानित किया है । साथ ही प्रधानमंत्री योग से लाभान्वित एक दिव्यांग बिटिया अन्वी का उल्लेख किया। योग ने अन्वी को नया जीवन दिया है। अन्वी आज देशभर में प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेती है और मेडल प्राप्त करती है।
बापू की जयंती पर वोकल फॉर लोकल का संकल्प लें
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूजनीय बापू (महात्मा गांधी) की जन्म जयंती पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को तेज करेंगे। त्योहारों की खुशी में स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों और व्यापारियों को शामिल करेंगे। इसके लिए खादी, हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट जैसे उत्पादों के साथ-साथ स्थानीय समान खरीदेंगे।
बेंगलुरु और मेरठ में चल रहे स्वच्छता अभियानों को बताया प्रेरणादायक
प्रधानमंत्री ने इस दौरान बेंगलुरु और मेरठ में चलाए जा रहे स्वच्छता अभियानों को प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु में ‘युथ फॉर परिवर्तन’ पिछले 8 सालों से स्वच्छता और दूसरी सामुदायिक गतिविधियों को लेकर काम कर रही है। उनका ‘मोटो’ बिल्कुल स्पष्ट है कि ‘शिकायत बंद करो और काम शुरू करो’ । इन्होंने अपने अभियान में सौ से डेढ़ सौ नागरिकों को जोड़ा है। यह हर रविवार को कचरा हटाने, सफाई करने और पेंटिंग व आर्क के जरिए सुंदरता का काम करते हैं। मोदी ने मेरठ में ‘कबाड़ से जुगाड़’ अभियान के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि यह अभियान पर्यावरण की सुरक्षा के साथ शहर का सौंदर्यीकरण कर रहा है। बेकार चीजों से कम खर्च में स्थानीय स्थलों का सौंदर्यकरण कर रहा है।
मोटे अनाज से बने व्यंजनों की तैयार हो रेसिपी बुक
प्रधानमंत्री ने पिछली बार की तरह इस बार भी वर्ष 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ घोषित किए जाने का उल्लेख किया और कहा कि हमें मोटे अनाजों पर आधारित खाद्य वस्तुओं की रेसिपी बुक और सार्वजनिक इनसाइक्लोपीडिया तैयार करना चाहिए। इसमें लोग मोटे अनाज से बनने वाले खाद्य पदार्थों और उनसे अनुभव साझा कर सकेंगे। साथ ही इसे अपनाते समय हमारे पास बेहतरीन रेसपी का भंडार भी होगा।
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