देहरादून। ऋषिकेश में गैरकानूनी रूप से चल रहे रिजॉर्ट की कर्मचारी अंकिता भंडारी की हत्या के बाद ये सवाल उठ रहा है कि देवभूमि कहा जाने वाला उत्तराखंड राज्य कहीं अय्याशी का अड्डा तो नही बनता जा रहा है। गंगा नगरी ऋषिकेश में हुई इस ह्रदय विदारक घटना ने जन मानस को हिलाकर रख दिया है।
अंकिता भंडारी की हत्या का आरोप रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य पर लगा है जोकि बीजेपी के नेता विनोद आर्य का पुत्र है। पुलकित के साथ दो अन्य आरोपी भी हैं। इस हत्या के पीछे कहा जा रहा है कि पुलकित आर्य के इस रिजॉर्ट में स्पा सेंटर और अन्य बहाने से गलत काम होते थे। अंकिता एक माह पहले ही यहां नौकरी पर आई और उसे ये सब कुछ ठीक नहीं लगा और इसी बात को लेकर उसका पुलकित आर्य से विवाद हुआ और फिर गंगा नहर में फेंक कर उसकी हत्या कर दी गई।
उत्तराखंड में धार्मिक स्थानों के आसपास खास तौर पर गंगा और अन्य नदियों के किनारे सैकड़ों रिजॉर्ट बन गए हैं। खबर है कि ये रिजॉर्ट गैरकानूनी रूप से बनाए गए हैं और ऑनलाइन बुकिंग करके जिस्मफरोशी करते हैं। उत्तराखंड में एक दो नहीं, दर्जनों घटनाएं ऐसी हुई हैं जहां पुलिस ने गलत काम कर रहे मसाज सेंटर योग केंद्रों को बंद करवाया है। खास बात ये भी है कि बहुत से रिजॉर्ट, होटल, गेस्ट हाउस पुलिस की बेगार नीति से ही फलते-फूलते रहे हैं।
अंकिता भंडारी हत्याकांड से व्यथित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उच्च स्तरीय अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में ये मामला सामने आया । जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री धामी इस घटना से बेहद आहत नजर आए और बैठक में पहले भावुक हुए फिर उन्होंने अपने व्यवहार में सख्ती दिखाई और कहा कि उत्तराखंड के समस्त रिजॉर्ट की जांच करें।
मुख्यमंत्री की बैठक खत्म होते ही शासन स्तर से सीएम के निर्देश जिलाधिकारियों को दिए गए हैं कि राज्य की देव भूमि की गरिमा को हर हाल में बनाए रखा जाए और जो रिजॉर्ट अवैध बने हैं या अवैधानिक रूप से संचालित हैं, उनके विरुद्ध तत्काल आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। प्रदेश भर में स्थित होटल/रिज़ार्ट/गेस्ट हाउस आदि में कार्य करने वाले कर्मचारियों से भी उनकी स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त की जाए। पर्यटन तीर्थाटन संबंधी शिकायतों को गम्भीरता से लिया जाए।
मुख्यमंत्री के आदेश पर अंकिता हत्यकांड में आईपीएस रेणुका देवी के नेतृत्व में एसआईटी बनाकर जांच शुरू कर दी गई है और देर रात आरोपी के रिजॉर्ट को जेसीबी से गिरा दिया गया है। उत्तराखंड पुलिस प्रशासन के इस एक्शन से उन रिजॉर्ट संचालकों को संदेश मिल गया होगा जोकि गलत धंधों में लिप्त होकर अपना कारोबार कर रहे है और ऊंचे रसूख का फायदा उठाकर बचते रहे हैं।
देवभूमि को कुछ रिजॉर्ट मालिको ने बदनाम कर दिया है
सामाजिक कार्यकर्ता विनय उनियाल कहते हैं कि उत्तराखंड में लोग देव दर्शनों के लिए आते हैं। पर्यटन भी अभी तक ठीक-ठाक रहा है लेकिन पिछले दो-चार सालों से ऑनलाइन बुकिंग और स्पा सेंटरों के जरिए यहां अय्याशी के अड्डे भी बन रहे हैं, जिन्हें रोका जाना चाहिए।
रिजॉर्ट में आने वाले गेस्ट के बारे में पूरी खबर नही ली जाती
सामाजिक कार्यकर्ता रतन सिंह असवाल कहते हैं कि उत्तराखंड के रिजॉर्ट मालिक पैसा कमाने की होड़ में अपना जमीर बेच रहे हैं। प्रॉपर्टी मालिकों ने लीज पर अय्याशी अड्डे खुलवा रखे हैं। देवभूमि बदनाम हो रही है, इस पर नियंत्रण जरूरी है।
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