इस्लामी चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ 15 राज्यों में एनआईए ने ऑपरेशन चलाया था। इसका कोड नाम था ऑपरेशन ऑक्टोपस। एनआईए और ईडी की संयुक्त टीम ने पीएफआई के 106 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। एनआईए के अनुसार पीएफआई भारत के युवाओं को लश्कर ए तैयबा, आईएसआईस, अलकायदा में भर्ती होने के लिए तैयार कर रहा था। जिससे कि भारत में इस्लामिक राज लागू किया जा सके।
दोनों एजेंसियों ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, असम, मध्य प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार और मणिपुर में ऑपरेशन ऑक्टोपस को अंजाम दिया। इसमें एनआईए के तीन सौ अधिकारी शामिल थे। उन्होंने एक साथ कई राज्यों में छापा मारा। स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के नेताओं के ठिकानों का भंडाफोड़ किया।
इनपुट और सबूत के बाद एनआईए ने पांच मामलों के संबंध में तलाशी ली। पीएफआई नेता और कैडर आतंकवाद और आतंकवादी गतिविधियों की फंडिंग में शामिल थे, सशस्त्र प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित करते थे और लोगों को प्रतिबंधित में शामिल होने के लिए कट्टरपंथी बनाते थे। पीएफआई और उसके सदस्यों के खिलाफ कई हिंसक वारदात में शामिल होने के मामले पिछले कुछ वर्षों में दर्ज किए गए हैं। इसके सदस्यों ने कई आपराधिक वारदात को अंजाम दिया। एक कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काट दिया, अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की हत्याएं, प्रमुख लोगों और जगहों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटकों का संग्रह, आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट को समर्थन और आतंक फैलाकर जनता के मन में डर पैदा करना
कोर्ट ने 7 दिन की रिमांड पर एटीएस सौंपा
इंदौर और उज्जैन से गिरफ्तार पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) के संदिग्धों को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीम शुक्रवार को भोपाल पहुंची। यहां जेपी हॉस्पिटल में उनका मेडिकल परीक्षण कराया गया। इसके बाद उन्हें एनआईए की विशेष अदालत में पेश किया, जहां से उन्होंने 30 सितम्बर तक सात दिन की रिमांड पर एटीएस को सौंप दिया गया। एनआईए की टीम ने बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के इंदौर और उज्जैन जिले में पीएफआई के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी। यह कार्रवाई टेरर फंडिंग हासिल करने और ट्रेनिंग केंप आयोजित करने के आरोप में हुई थी। छापे के लिए एटीएस और इंटेलिजेंस के अधिकारियों को शामिल कर एनआईए ने पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल करीम बेकरी सहित चार पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया था। एनआईए टीम शुक्रवार को इन चारों आरोपितों को लेकर राजधानी भोपाल आई, जहां पहले जेपी अस्पताल में उनका मेडिकल कराया गया। इसके बाद चारों आरोपितों को एनआईए की विशेष अदालत में न्यायाधीश रघुवीर प्रसाद पटेल के समक्ष पेश किया गया और आरोपितों की रिमांड मांगी। रिमांड के लिए दलील दी गई कि आरोपितों से पूछताछ करनी है, सबूत जुटाने हैं। इनके पास से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, देश विरोधी दस्तावेज बरामद हुए हैं।
एटीएस की दलील
एटीएस की ओर से दलील दी गई कि आरोपितों का मकसद समुदाय विशेष के युवाओं को भड़का कर देश में कट्टरता पैदा करना था। भारत में इस्लामिक शरिया कानून कायम करने के एजेंडे के तहत यह अभियान में जुटे थे। आरोपितों की तरफ से वरिष्ठ वकील अतहर अली ने पक्ष रखा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश रघुवीर प्रसाद पटेल ने चारों आरोपियों को 30 सितंबर तक एटीएस को रिमांड पर सौंपने का आदेश दिया। सूत्रों का कहना है कि एटीएस उन्हें सीक्रेट जगह पर रख सकती है। जरूरत पड़ने पर एनआईए इन्हें ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली भी ले जा सकती है। जिन आरोपितों को कोर्ट में पेश किया गया, उनमें अब्दुल करीम बेकरीवाला पुत्र अब्दुल रहीम अब्बासी-पीएफआई का प्रदेश अध्यक्ष-इंदौर, अब्दुल खालिद पुत्र अब्दुल कयूम-पीएफआई का जनरल सेक्रेटरी-इंदौर, मोहम्मद जावेद पुत्र मोहम्मद साबिर- पीएफआई का प्रदेश कोषाध्यक्ष-इंदौर और जमील शेख पुत्र अब्दुल अजीज-पीएफआई का प्रदेश सचिव-उज्जैन शामिल है।
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