उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मदरसों के बाद वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे कराने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले का समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विरोध किया है। उन्होंने कहा कि हम इस सर्वे के खिलाफ हैं। सरकार अन्य मुद्दों से भटकाकर प्रदेश में सिर्फ हिंदू-मुस्लिम कर रही है।
योगी सरकार ने 33 साल पुराने आदेश को रद्द करते हुए वक्फ संपत्तियों को राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने के आदेश दिए हैं। अल्पसंख्यक कल्याण और वक्फ बोर्ड के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।
बता दें कि 7 अप्रैल, 1989 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि यदि सामान्य संपत्ति बंजर, ऊसर आदि का इस्तेमाल वक्फ कब्रिस्तान, मस्जिद, ईदगाह के रूप में कर रहा है तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में ही दर्ज कर दिया जाए। जिसे अब प्रदेश की योगी सरकार ने रद्द कर दिया है।
योगी सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार 7 अप्रैल 1989 से लेकर अब तक यानी 33 साल के वक्फ बोर्ड की जो बंजर, ऊसर सहित अन्य भूमि थी, जिनका रिकॉर्ड नहीं दर्ज किया गया। अब उनका ब्योरा जुटाया जाएगा। उत्तर प्रदेश मुस्लिम वक्फ अधिनियम 1960 को लागू करते हुए वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों का रिकॉर्ड मेंटेन किया जाएगा। ऐसी संपत्तियों के रिकॉर्ड में कब्रिस्तान, मस्जिद, ईदगाह जैसी स्थिति में सही दर्ज है या नहीं, इन सबका अवलोकन किया जाएगा।
बता दें देश में रेलवे और सेना के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। भारत के सभी वक्फ बोर्ड की जमीन अगर मिला दी जाए तो कुल मिलाकर 8 लाख 54 हजार 509 संपत्तियां बैठेंगी। जो लगभग 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैली हुई है।
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