करवा चौथ के दौरान महिलाओं के छलनी से चांद देखने की प्रथा का मजाक उड़ाया है और इसे अंधविश्वास बताया। मेघवाल अप्रैल, 2017 में भी करणी माता और अन्य हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुके हैं।
नवंबर, 2018 में गोविंदराम मेघवाल ने भगवान श्रीकृष्ण श्रीराम तथा हनुमान जी की खिल्ली उड़ाते हुए
हिंदुओं का अपमान किया था!
राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री गोविंदराम मेघवाल करवा चौथ को लेकर दिए गए अपने विवादित बयान को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने भारत की महिलाओं की उपलब्धियों की उपेक्षा करते हुए करवा चौथ के दौरान महिलाओं के छलनी से चांद देखने की प्रथा का मजाक उड़ाया है और इसे अंधविश्वास बताया।
मेघवाल अप्रैल, 2017 में भी करणी माता और अन्य हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुके हैं। नवंबर, 2018 में गोविंदराम मेघवाल ने भगवान श्रीकृष्ण श्रीराम तथा हनुमान जी की खिल्ली उड़ाते हुए हिंदुओं का अपमान किया था!
कांग्रेस शासन में हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी अलवर में 300 साल पुराने मंदिर, गौशाला और सालासर में सुजानगढ़-सालासर मुख्य राजमार्ग पर बने भव्य मुख्य द्वार को ध्वस्त करना, रामनवमी की शोभायात्रा पर प्रतिबंध, कांवड़ यात्रा के मार्ग बदलने जैसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कांग्रेस सरकार ने तुष्टीकरण की राजनीति के चलते हिंदुओं की आस्था पर गहरा आघात किया है। इसका विरोध करने वाले कई निर्दोष लोगों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं।
बड़े आश्चर्य की बात है कि करवा चौथ पर बयान देने वाले कांग्रेस नेता को राजस्थान की बिगड़ी कानून-व्यवस्था, महिला अत्याचार, अवैध खनन, साधु-संतों पर अत्याचार, मॉब लिंचिंग, हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार दिखाई नहीं देते। जिस कार्यक्रम में मेघवाल ने यह बात कही, उस दौरान मंच पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कई हस्तियां मौजूद थीं।
आत्मबोध-विहीन मेघवाल
मेघवाल का तर्क है कि चीन और अमेरिका जैसे देशों में महिलाएं ज्यादा संख्या में काम करती हैं, इसलिए ये देश विज्ञान की दुनिया में जी रहे हैं। उनका कथन आत्मबोध-विहीन है। मेघवाल ही नहीं, अनेक कांग्रेसी नेता आज तक उपनिवेशवाद की मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाए हैं।
हिंदू महिलाएं केवल करवा चौथ का व्रत ही नहीं रखतीं, बल्कि हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समान रूप से आगे भी बढ़ रही हैं। आज महिलाएं अंतरिक्ष में जाती हैं, तो आसमान में लड़ाकू विमान भी उड़ा रही हैं। देश में कई प्रमुख पदों पर आसीन महिलाएं अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन कर रही हैं।
मेघवाल का यह पहला विवादित बयान नहीं है, बल्कि कुछ दिन पहले जालौर में हुई अनुसूचित वर्ग के मासूम छात्र की हत्या के मामले में उनका कथित आडियो वायरल हुआ था। मेघवाल इस आडियो में किसी युवक के साथ गाली-गलौज करते सुनाई दे रहे थे। दरअसल मेघवाल से उनके विधानसभा क्षेत्र खाजूवाला के एक युवक ने फोन करके पूछा था कि आप इस मामले में चुप क्यों हैं? बाद में पुलिस ने युवक को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार भी किया था।
राजस्थान पुरुषों का प्रदेश : धारीवाल
उधर संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल भी महिला दुष्कर्म मामलों पर विवादित बयान दे चुके हैं। विधानसभा में मार्च माह में एक सवाल के उत्तर के दौरान धारीवाल ने बेहद गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा, ‘‘राजस्थान बलात्कार के मामलों में देश में नंबर एक पर है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर बलात्कार के मामले में नंबर वन क्यों है, कहीं न कहीं गलती है।
वैसे भी राजस्थान पुरुषों का प्रदेश रहा है।’’ अपने जवाब के दौरान धारीवाल ने हंसते हुए अपशब्दों का प्रयोग भी किया था। लोकतांत्रिक व्यवस्था में महिलाओं के प्रति सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों का चौकाने वाला बयान उनके प्रति उनकी वैचारिक मानसिकता को प्रकट करता है।
भाजपा ने मेघवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि हिंदू आस्थाओं का मजाक उड़ाना कांग्रेस नेताओं की परंपरा बन गई है। मेघवाल को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि कल्पना चावला अंतरिक्ष में गई थीं और आज भी कई भारतीय महिलाएं पायलट के रूप में काम कर रही हैं। उन्होंने देश की करोड़ों महिलाओं का अपमान किया है। उन्हें माफी मांगनी चाहिए। मुख्यमंत्री को मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
साढ़े तीन वर्ष में 8 लाख मुकदमे : पूनियां
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां कहते हैं, ‘‘राजस्थान में साढ़े तीन वर्ष में 7,97,693 मुकदमे दर्ज हुए हैं। महिलाओं पर अत्याचार के 1,45,288 मामले दर्ज हो चुके हैं। बच्चियों, महिलाओं पर रेप एवं गैंगरेप से संबंधित मामलों में 22,148 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। अनुसूचित जाति से संबंधित 26,794 मामले दर्ज हुए।
प्रदेश में अनुसूचित जनजाति से संबंधित 7,374 मामले दर्ज हुए। वर्ष 2020 के मुकाबले 2022 में हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, लूट, अपहरण, बलात्कार, चोरी में बढ़ोतरी हुई है, चोरी के मामलों में 21.53 प्रतिशत, लूट में 28.57 प्रतिशत, बलात्कार में 19.34 प्रतिशत और महिला अत्याचार में 18.75 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई।’’
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बचाव में कमजोर दलील देते हैं कि राज्य सरकार ने एफआईआर को अनिवार्य कर दिया है, इसलिए मामले ज्यादा दर्ज हो रहे हैं। हकीकत यह है कि थानों में कई लोगों की एफआईआर दर्ज नहीं होती है, मजबूरन न्यायालय का सहारा लेकर मामला दर्ज करवाना पड़ता है। अब जब मुख्यमंत्री ही इस तरह की बात करेंगे तो अंदाज लगा सकते है कि राजस्थान की स्थिति क्या होगी?
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