बॉलीवुड के बड़े-बड़े कलाकार और उनके चहेते हैरान हैं। क्योंकि सोशल मीडिया में ऐसा अभियान चला कि आमिर खान की फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ बुरी तरह पिट गई। ये वही आमिर हैं, जिनकी फिल्में लोग अपने दस काम छोड़कर और अपनी गांठ से पैसा खर्च कर देखते रहे हैं।
इन दिनों बॉलीवुड के बड़े-बड़े कलाकार और उनके चहेते हैरान हैं। क्योंकि सोशल मीडिया में ऐसा अभियान चला कि आमिर खान की फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ बुरी तरह पिट गई। ये वही आमिर हैं, जिनकी फिल्में लोग अपने दस काम छोड़कर और अपनी गांठ से पैसा खर्च कर देखते रहे हैं। लेकिन इस बार भारत के लोगों ने आमिर को बता दिया है कि हद में रहकर कलाकारी करें, नहीं तो बहुत नुकसान होगा।
गौरतलब है कि फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ में भारतीय सेना और सिख समाज का अपमान किया गया है। साथ ही ‘मानवता’ के नाम पर आतंकवादियों के प्रति नरम रवैया अपनाने पर जोर दिया है। इस कारण लोगों ने फिल्म का विरोध किया और अब यह फिल्म पूरी तरह डूब गई। कह सकते हैं कि एक ऐसे सितारे की फिल्म के प्रति देश की जनता ने एकजुट भाव से रोष प्रकट किया है, जो अपने बयानों से न केवल देश की अस्मिता को आहत करते रहे हैं, बल्कि तुर्की जैसे भारत विरोधी देश के राष्टÑपति से मेल-जोल बढ़ाकर राष्ट्रहित को भी खतरे में डाल
चुके हैं।
दरअसल, ‘लाल सिंह चड्ढा’ को लेकर विवाद तो 2020 में ही शुरू हो गया था, जब आमिर फिल्म की शूटिंग के लिए जगह की तलाश में तुर्की गए थे और वहां उन्होंने तुर्की की प्रथम महिला एमीन एर्दोगन से मुलाकात की थी। उनकी इस मुलाकात का पूरे देश में जमकर विरोध हुआ था।
बता दें कि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध किया था। इसके अलावा भी उन्होंने कई बार भारत के विरोध में बयान दिए थे।उनके इन बयानों पर भारत अपनी आपत्ति दर्ज करा चुका था। बावजूद इसके आमिर ने भारत वापस आकर न तो अपनी गलती मानी और न ही इस संबंध में कुछ कहा। वे चुपचाप रहे। इससे पहले 2015 में आमिर ने कहा था कि उनकी पत्नी किरण राव को भारत में रहने से डर लगता है।
आमिर खान ने हालीवुड की फिल्म ‘फॉरेस्ट गंप’ की नकल कर ‘लाल सिंह चड्ढा’ बनाई है। लेकिन इस नकल में उन्होंने बहुत ही चालाकी से अपनी सोच, विचारधारा और मजहब को जगह दे दी है। शायद आमिर को लगा होगा कि गंगा-जमुनी तहजीब की सुहावनी बातों से प्रभावित भारत के लोग सदैव की भांति उनकी चालाकी को पकड़ नहीं पाएंगे।
फिल्म ‘पीके’ में भी वे हिंदू देवी-देवताओं और भारतीय संस्कृति का मजाक उड़ा चुके हैं। शायद उनकी इन हरकतों से भारतीयों में उनके प्रति गुस्सा है और यह गुस्सा उनकी नई फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ पर लोगों ने उतार दिया। इस फिल्म को बॉक्स आफिस पर मुंह की खानी पड़ी है। इस रपट के लिखे जाने तक फिल्म ने केवल 45 करोड़ रु. की ही कमाई की थी। फिल्म को विदेशों में रह रहे भारतीयों ने भी नकारा है।
विदेश में इसने केवल 32 करोड़ रु. का कारोबार किया है। खबर है कि 180 करोड़ रु. में बनी इस फिल्म को करीब 134 करोड़ रु. का घाटा हुआ है। अब आमिर पर दबाव है कि वे वितरकों के नुकसान की भरपाई करें, क्योंकि वे फिल्म के निर्माता भी हैं।
एक झटके में सरका सिंहासन
आमिर के लिए यह दूसरा बड़ा झटका है। 2018 में 300 करोड़ रु. में बनी उनकी फिल्म ‘ठग्स आफ हिन्दोस्तान’ ने जैसे-तैसे 335 करोड़ रु. बटोरे थे। 2017 में आमिर की फिल्म ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ भी भारत में 62 करोड़ रु. ही कमा पाई थी। सही मायने में तो आमिर की अंतिम हिट फिल्म 2016 में आई ‘दंगल’ थी।
अपील भी काम न आई
आमिर ने लोगों के मन को देखते हुए यह भी अपील की थी कि लोग ‘लाल सिंह चड्ढा’ का बहिष्कार न करें। पर लोगों को लगता है कि आमिर उन लोगों की सूची में शामिल हैं, जो भारत को पसंद नहीं करते। इस पर आमिर ने कहा, ‘‘यह बिल्कुल गलत है। मैं सच में भारत से प्यार करता हूं। मैं सबको आश्वस्त करता हूं।’’
आमिर की हताशा उनके चेहरे के साथ-साथ इस बयान से भी दिखी। उनके अलावा फिल्म में काम करने वाले अन्य कलाकार भी लोगों से फिल्म देखने की अपील करते रहे, लेकिन कुछ काम नहीं आया। दूसरी तरफ निर्माता-निर्देशक विवेक अनिहोत्री ने आमिर के साथ-साथ करीना कपूर को भी आड़े हाथों लिया। कंगना रनौत ने भी आमिर की खिंचाई की।
सेना का अपमान
बता दें कि फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ में आमिर ने एक सिख युवक का किरदार निभाया है, जिसे मंदबुद्धि होने के बावजूद भारतीय सेना में नौकरी मिल जाती है। यह न केवल सिख समुदाय का अपमान है, बल्कि भारतीय सेना के गौरव के साथ भी मजाक है। आमिर क्या यह साबित करना चाहते हैं कि भारतीय सेना में मंदबुद्धि लोगों को रखा जाता है?
इतना ही नहीं, फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि वह मंदबुद्धि सैनिक कारगिल युद्ध में भाग ले रहा है और इस दौरान उसने पाकिस्तान की ओर से लड़ रहे एक आतंकवादी की जान ‘इंसानियत’ के नाम पर बचाई है। यानी आमिर यहां यह संदेश देना चाहते हैं कि आतंकवादी भी इंसान हैं और इसलिए उनके प्रति लचीला रवैया अपनाया जाए। फिर अपने मुख्य पात्र लाल सिंह चड्ढा को मजाकिया कलेवर में दिखाकर वे सिख समुदाय को आखिर क्या संदेश देना चाहते हैं?
कुछ ऐसे ही आरोपों को लेकर इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर मोंटी पनेसर ने ट्विट किया, जिसमें उन्होंने आमिर से सवाल तो पूछे ही, साथ ही जमकर कोसा भी। फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ में सेना के अपमान को लेकर दिल्ली के एक वकील ने आमिर खान और उनकी टीम पर मुकदमा भी किया है।
आपको बता दें कि ‘लाल सिंह चड्ढा’1994 में बनी हॉलीवुड की फिल्म ‘फॉरेस्ट गंप’ की नकल है। यह फिल्म वियतनाम युद्ध पर है। फिल्म में दिखाया गया है कि इस युद्ध में भाग ले रही अमेरिकी सेना में एक सैनिक है, जो मानसिक रूप से कमजोर है। इसके बावजूद उसने युद्ध के दौरान अदम्य शौर्य का प्रदर्शन करते हुए अपने एक अधिकारी की जान बचाई है। बाद में उस सैनिक और अधिकारी ने मिलकर अपना कारोबार किया और खूब पैसा कमाया। यही कहानी इस फिल्म में प्रस्तुत की गई है।
आमिर खान ने इसी ‘फॉरेस्ट गंप’ की नकल कर ‘लाल सिंह चड्ढा’ बनाई है। लेकिन इस नकल में उन्होंने बहुत ही चालाकी से अपनी सोच, विचारधारा और मजहब को जगह दे दी है। शायद आमिर को लगा होगा कि गंगा-जमुनी तहजीब की सुहावनी बातों से प्रभावित भारत के लोग सदैव की भांति उनकी चालाकी को पकड़ नहीं पाएंगे। इसलिए उन्होंने अपनी फिल्म में दिखाया है कि एक ‘मंदबुद्धि’ भारतीय सैनिक कारगिल युद्ध में लड़ रहा है और उसने पाकिस्तान की ओर से लड़ रहे एक आतंकवादी की जान बचाई है, क्योंकि वह भी तो ‘इनसान’ ही है।
यानी आमिर ने उन आतंकवादियों के प्रति भी सहानुभूति दिखाने की कोशिश की है, जो प्रतिदिन भारतीय सैनिकों और आम नागरिकों पर हमले करते हैं, उनकी जान लेते हैं। क्या आमिर को पता नहीं है कि भारतीय सेना में मंदबुद्धि या किसी विकलांग की भर्ती ही नहीं होती है। फिर आमिर ने लोगों के सामने झूठे तथ्य क्यों रखे, भारतीय सेना को अपमानित क्यों किया!
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